साहित्यसाहित्य

“रोटी”

पिछले कई वर्षों से वह बेरोजगार था इंटरव्यू देते देते बहुत थक चुका था  ! कुछ ही महीने में वह ओवरएज होने जा रहा था, सरकारी नौकरी के लिए  !आज भी वह दबे पांव देर रात घर पहुंचा था ताकि  मां-बाप की बुढ़ाती आंखों में टूटते सपनों का दर्द और भूख से मुरझाए चेहरों से बच सकें !वह कुशल चोर की भांति बिस्तर की और बड़ा ही था ,कि मां की आवाजा आयी बेटा खाना खा ले, कई दिनों के फाको के बाद खाने को मिला वह भी इतना बढ़िया खाना, आया होगा कहीं से, अपन को क्या ?भरपेट खाने के बाद जैसे ही उसकी नजर बीस वर्षीया बहन के बिस्तर पर गई, तो बिस्तर खाली था !

इन्दु सिन्हा”इन्दु”रतलाम

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