शिवराज सिंह कब तक बनेंगे अपने मुंह मियां मिठ्ठू…..?
-चंद्र मोहन भगत
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किस अज्ञात भय से इतने डरे हुए हैं कि खुद ही अपने मुंह से सार्वजनिक मंच से अपनी तारीफ करने लगे हैं । खुद उनके समर्थक भाजपाइयों के अलावा राजनीति को में भी यह विषय चर्चा में रहने लगा है कि इस अज्ञात भय से इतने ख़ौफ़ज़दा है कि इस डर को कम करने के लिए खुद ही अपनी प्रशंसा के किस्से भी खुद सार्वजनिक मंचों से सुनाने लगे है । जिसे सुन मंचासीन भाजपाई नेता भी असहज होकर सुन रहे हैं और मंच से उतरते ही अपने नेता का उपहास भी करने लगते हैं ।
ऐसा करना और होना भी स्वाभाविक मानव स्वभाव भी है क्योंकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिर्फ सफेद से उजले झूठे वायदे कर सरकार बनाकर स्वयं को मध्यप्रदेश में भाजपा का सबसे मजबूत जनाधार वाला नेता मानने लगे हैं । यह भी मानते हैं कि वह जो भी जुमलेबाजी कर जनता से झूठे वादे करेंगे उसके बाद भी जनमत उनके ही नेतृत्व वाली सरकार को चुनेंगे । ऐसा हुआ भी था पर बीते विधानसभा चुनाव में शिवराज के इस भ्रम को जनता ने सिरे से खारिज किया था। किस्मत से पूर्व कांग्रेसी नेता ज्योतिराज सिंधिया अपने 23 समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर प्रदेश भाजपा के साथ हो गए थे और फिर से शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे ।
राजनीतिक दोगलों के साथ मिलकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं पर अपने ही दल में विलेन नेता बनते जा रहे हैं । दरअसल सरकार के मुखिया के नाते ऊलजलूल घोषणा तो सार्वजनिक मंच से शिवराज सिंह कर देते हैं । ऐसी घोषणाओं के प्रक्रिया में आने ना आने का जनता को जवाब स्थानीय भाजपा के विधायकों को देना पड़ता है । ताजा उदाहरण में खाद् मामलों में ही देखें शिवराज कहते हैं कमी नही आने देंगें जबकि समितियों के पास माल कम और मांग अधिक है । मुख्यमंत्री के सार्वजनिक मंच से कहने मात्र से गोदाम में स्टॉक तो बढ़ता नहीं है । ग्रामीण क्षेत्र में खाद बाटते समय सोसाइटी प्रबंधकों को पुलिस बुलाना पड़ी थी । अगर शिवराजसिंह के कथनानुसार भरपूर स्टॉक होता तो ऐसी स्थिति क्यों बनती!
सभी शासकीय विभागों में खाली पदों को खाली ही रखने के लिए आउट शोर्स के नाम पर हजारों युवाओं के भविष्य से शिवराज सरकार खिलवाड़ कर रही है । ऐसी सत्यता को कभी मंच से स्वीकारते नहीं है पर एक नागरिक का शासकीय योजना में नकली हाथ लगवाने की घटना को कई मिनट तक सार्वजनिक मंच से डींगे हांक कर बताते हैं। जैसे पूरे प्रदेश के सभी विकलांगों को राहत पहुंचा दी हो । किसी भी प्रदेश का मुख्यमंत्री संवेदनशील हो तो प्रदेश वासी भाग्यशाली हो जाते हैं। पर शिवराज सिंह सड़क किनारे की गुमटी में भजिए कचौरी खाकर भी ऐसा प्रचारित करते हैं जैसे गरीबों के लिए कोई राहत भरी योजना की घोषणा कर दी हो । इसके उलट खाद्य सामग्री के आसमान छूते दामों से जनता की परेशानी नजरअंदाज करते हैं ।
हाल के वीडियो में शिवराज सिंह ने मंच को कदमों से नापते हुए माइक पर कह गए कि यहां बैठे अधिकारी नेता सभी जनता के सेवक हैं। जनता है तो हमें फिर जनता के टैक्स के पैसों से सुविधाएं पर इन्हीं लोगों अधिकार क्यों है छीन कर जनता को ही क्यों नहीं दे देते शिवराज सिंह । घोषणा जरूर कर सकते हैं जैसे प्रदेश में कोई बेघर नहीं रहेगा पर बिल्डर धन्ना सेठों के लिए प्रदेश में कहीं भी गरीबों के घर शिवराज के अधिकारी तुड़वाते रहेंगे। ऐसे ही कामों को प्रदेश में बढ़ावा देकर खुद मसीहा होने का चोला ओढे रखना चाहते हैं । इसलिए शिवराज सिंह को खुद ही खुद की तारीफ सार्वजनिक मंच से करना पड़ रही है । ये नोबत इसलिए भी आ गई है कि विधानसभा चुनाव को एक साल बचा है। शिवराज से लेकर भाजपा हाईकमान को विभिन्न एजेंसियों से सरकार के प्रति जनमत की नाराजगी की खबर मिल रही है । ऐसे में कोई शिवराज के ढकोसलो की प्रशंसा करें ना करें,वे खुद तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बन ही सकते है। पर यह पब्लिक है सब जानती है कि शिवराज सिंह इन दिनों हर सार्वजनिक मंच से अपने भविष्य के डर को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं