Lecture Series : अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसे हासिल करने के लिए लगातार चलते रहें ; विवेकानन्द व्याख्यान माला में बोले राजीव रंजन
रतलाम,23 जनवरी (इ खबरटुडे)। देश की युवा पीढी को अपने लक्ष्य निर्धारित कर उन्हे हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए। यही स्वामी विवेकानन्द का सूत्र वाक्य है। देश की संस्कृति के प्रति गौरव का भाव रखते हुए निरन्तर चलते रहना,यही स्वामी विवेकानन्द का सन्देश है।
उक्त बात स्वामी विवेकानन्द व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र के प्रमुख वक्ता प्रसिद्ध साहित्यकार,लेखक और यूट्यूबर राजीव रंजन प्रसाद ने उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कही। दो दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन स्वामी विवेकानन्द व्याख्यानमाला समिति द्वारा स्वामी विवेकानन्द जयंती के उपलक्ष्य में लायंस हाल में किया गया है।
प्रथम सत्र के प्रमुख वक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन के प्रसंग सुनाते हुए बताया कि स्वामी विवेकानन्द जी ने शिकागो में भारतीय आध्यात्म और संस्कृति को पूरे विश्व के सामने प्रतिष्ठित किया। वे चाहते तो अमेरिका में पाश्चात्य परिधान धारण कर अपना व्याख्यान दे सकते थे,लेकिन उन्हे अपनी संस्कृति पर गर्व था,इसलिए उन्होने भगवा वस्त्र धारण करके ही विश्वप्रसिद्ध व्याख्यान दिया था।
श्री प्रसाद ने कहा कि युवा क्या नहीं कर सकते? युवाओं में असीमित उर्जा होती है। लेकिन जरुरत इस बात की है कि इस उर्जा का उपयोग सही दिशा में किया जाए। श्री प्रसाद ने स्वयं का उदाहरण देते हुए बताया कि असीरगढ किले के भ्रमण के बाद उनके मन में यह विचार आया कि विकृत किए गए इतिहास को सही ढंग से लिखा जाए। इसके लिए उन्होने किसी अन्य का इंतजार न करते हुए स्वयं ही इसका संकल्प लिया। श्री प्रसाद ने कहा कि असीरगढ किले की मान्यता है कि यहां अश्वत्थामा आज भी आते है। इसी को आधार बना कर उन्होने एक ऐतिहासिक उपन्यास की कल्पना की,जो अश्वत्थामा द्वारा कही जाएगी। मान्यता यह है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित है,इसलिए यदि अश्वत्थामा इतिहास बताएंगे तो वह महाभारत से प्रारंभ होकर आज तक के युग तक आएगा। इनके लिए श्री प्रसाद ने छ: खण्डों के उपन्यास की कल्पना की,जिसमे से दो खण्ड वे लिख चुके है।
श्री प्रसाद ने कहा कि आज के युवाओं को देश को आगे ले जाने के लिए संकल्प लेना चाहिए और अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्य ी प्राप्ति होने तक रुकना नहीं चाहिए। स्वामी विवेकानन्द के प्रसिद्ध सूत्र वाक्य उठो,जागो और तब तक चलते रहो जब तक कि लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी का जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणादायी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. सविता जैन ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि युवा होना शारिरीक अवस्था नहीं है,बल्कि व्यक्ति अपने विचारों से युवा होता है। उन्होने कहा कि आज भारतीयता के संस्कार लुप्त होते जा रहे है और पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है। अपने संस्कारों के संरक्षण के लिए गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
प्रारंभ में अतिथियों का परिचय व्याख्यानमाला आयोजन समिति के सचिव डा.हितेष पाठक ने दिया। अतिथियों का स्वागत शाल व श्रीफल भेंट कर किया गया। आभार प्रदर्शन आयोजन समिति के अध्यक्ष विम्पि छाबडा ने किया। उदबोधन के अंत में आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा अतिथियों को स्वामी विवेकानन्द के चित्र स्मृति चिन्ह के रुप में भेंट किए गए। लायंस हाल में आयोजित व्याख्यान माला के प्रथम सत्र में बडी संख्या में नगर के गणमान्य और बुद्धिजीवी जन उपस्थित थे। व्याख्यान माला का द्वितीय सत्र 24 जनवरी को शाम सात बजे लायंस हाल में आयोजित किया गया है। द्वितीय सत्र को प्रसिद्ध विधि विशेषज्ञ व यू ट्यूबर डा. डीके दुबे सम्बोधित करेंगे। वे भारत का संविधान-भारतीय संस्कृति का दर्पण विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे।