October 15, 2024

सच्चे प्यार को पहचाने…..

वैदेही कोठारी (स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका)

पोथी पढि़ पढि़ जग मुआ,पंडित भया न कोय,ढाई आखर प्रेम का,पढ़े सो पंडित होए…
कबीर दास जी कहते है,बड़े-बड़े ग्रंथ पढऩे से कोई ज्ञानी नही बना,जिसने प्रेम प्यार के ढाई अक्षर पढ़ लिए,अर्थात प्यार का सच्चा व वास्तविक रुप पहचान लिया,वह ज्ञानी बन गया। फरवरी महीने का इंतजार सभी प्यार करने वाले करते हैं। कई युगल प्रेमी इसे लव मंथ भी कहते हैं। आज का प्यार कितनी सच्चाई पर है,ये तो हम सब अच्छी तरह जानते है।

हर दूसरे दिन अखबार में प्रेमी युगलों की खबरे पढ़ते रहते हैं। प्रेमी ने प्रेम जाल में फंसा कर … किया,प्रेमी अपना नाम बदल कर प्रेमिका को झांसा देता रहा,किशोरी को भगा ले गया आदि। देखा जाए तो कुछ वर्षो में प्रेम प्रसंग करने की उमर भी अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। कुछ वर्षो पहले तक सत्रह-अट्ठारह हुआ करती थी,किंतु आज-कल बारह-तेरह साल के बच्चे भी प्रेम प्रसंग चला रहे हैं। प्रेम तक तो फिर भी ठीक है, किंतु अपने प्रेम प्रसंग की नुमाइश करना, तो आजकल फेशन सा बन गया हैं। आज कल छोटे-छोटे प्रेमी युगल अपने प्रेम प्रसंग के आलिंगन वीडियों बिंदास सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। इसी तरह कुछ प्रेमी युगल अपने अंतरंग आलिंगन फोटोस और वीडियो चोरी छिपे बना कर अपनी प्रेमिकाओं को ब्लैकमेल भी करते है,इस तरह कई वारदातों को अन्जाम दिया जा रहे है।

हमारे ग्रंथो में हर कार्य करने की उम्र व वक्त को बताया गया है। किंतु आज की पीढ़ी वक्त से आगे भाग रही है,जिस उम्र में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए,उस उम्र में प्यार सेक्स के सपने संजो रही हैं। आज-कल प्रेम प्रसंग करना आम बात होती जा रही हैं। अधिकतर लड़का-लड़की प्रेम प्रसंग में लिप्त हैं। फरवरी माह शुरू होते ही, सोशल साइटस एवं टी.वी के विज्ञापन, सीरियलों ने जिस तरह प्रेम प्रसंग को अधिक से अधिक दिखाया,साथ ही मोहब्बत के तोहफों को प्रेमिकाओं को देना। आज की युवा पीढी जैसा देख रही है,वैसा ही चल रही है। आज से लगभग 25 वर्ष पहले तक शायद ही कोई वेलेंटाइन डे भारत में जानता होगा। यह पाश्चात्य देश की संस्कृति में मनाने वाला प्यार का दिवस हुआ करता था,किंतु आज वेलेंटाइन डे ने भारत में पूरी तरह अपनी पेंठ जमा ली है। आज भारत में बच्चा बच्चा जानता है, कि वेलेंटाईन डे क्या होता है? आज से कुछ वर्षो पहले तक तो सिर्फ एक ही दिन मनाया जाता था,किंतु जैसे-जैसे इस दिन प्यार के तोहफे व कार्ड का बाजार बढ़ा है, वैसे ही धीरे-धीरे इसके दिनों की संख्या भी बढ़ गई। आज वेलेंटाइन डे पूरे आठ दिनों का हो गया हैं। रोज -डे,प्रपोस -डे,चाकलेट-डे,टेडी-डे,प्रामिस-डे,हग डे,किस-डे,आखरी दिन वेलेंटाइन-डे,अब आठ दिनों के लिए तोहफे भी अलग-अलग ही होगें हैं। इन दिनों प्यार के तोहफों के बाजार ज्यादा चमकने लगते है। आज की अधिकतर युवा पीढ़ी इन्ही बाजारों के चक्कर लगा रही है। ऐसा लगता है,जैसे-जैसे इश्क में तोहफों का प्यार बढ़ा वैसे-वैसे बाजार भी बढ़ा।

हमारी आज की पीढ़ी शायद ही यह जानती होगी,कि हमारे भारत में बसंत पंचमी भी प्रेम दिवस के रुप में मनाया जाता है। बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना गया है। क्योंकि इस ऋतु में पेड़ो में नई कोपलों व पत्त्तों का आना, अधिकतर पौधों में फूलों का खिलना शुरू हो जाता हैं। खेतों में सरसों के पीले फूलों का होना,ऐसा प्रतीत होता है, जैसे जमीन पर पीली हरी कालीन पीछा दी हो। साथ ही ठंड का धीरे-धीरे कम होना। हमारी प्रकृति में चारों ओर मनभावक वातावरण व तापमान सुखद होना। पौराणिक कथाओं के अनुसार बसंत ऋतु को कामदेव का पुत्र कहा गया है। जब कामदेव को पुत्र हुआ चारों ओर हरियाली,फूलों से लदे पेड़ पौधे ऐसा लगा मानों प्रकृति भी नाचने लगी। बसंत पंचमी हमारा विशेष त्यौहारों में से एक है।

प्यार मोहब्बत एक बहुत ही खूबसुरत एहसास है,प्रेम का मतलब विश्वास,एक-दूसरे का ध्यान रखना,संवेदनशीलता,त्याग तपस्या होता है। जैसे मीरा राधा ने कृष्ण से किया था। शबरी ने राम से किया था। कबीर दास जी ने आत्मा से प्रेम की बात कही थी, किंतु आज आत्मा से नही शरीर से प्रेम की बात होने लगी है।

आज प्यार मोहब्बत के खेल में हमारी युवा पीढ़ी बाजारवाद के दल-दल में गिरती जा रही है। हमारी भोली युवा पीढी ये भी नही समझ पा रही है कि वेलेंटाइन डे के बहाने बाजारवाद किस तरह उन्हे दिमागी तोर से धीर-धीरे अपने शिकंजे में ले रही है। साथ ही मोबाइल इंटरनेट ने प्यार को बाजार में ला कर खड़ा कर दिया है। हर साल वेलेंटाइन डे के बाद सैकड़ो केस सुसाईड व मर्डर के होते है। आज की युवा पीढ़ी को ये समझने की आवश्यकता है,कि यह उनका कीमती समय हैं,जिसे बर्बाद न करे। साथ ही अपना और अपने माता-पिता का आत्मसम्मान बनाएं रखे। कबीर के अनुसार प्यार के सच्चे व वास्तविक रुप को समझे।

You may have missed