राजस्थान

राजस्थान सरकार की सख्ती : कोचिंग सेंटरों के लिए नए कानून

राजस्थान में बढ़ते कोचिंग सेंटरों की मनमानी को कम करने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है। सरकार अब इस संबंध में नया कानून बनाएगी ताकि इन कोचिंग सेंटरों पर लगाम लगाई जा सके। इसमें सबसे बड़ा नियम एक साथ फीस लेने पर रोक का होगा। इसके अलावा छात्राओं की सुरक्षा तथा छात्रावासों पर सख्ती के नियम भी बनाए जाएंगे। इसके लिए सरकार राजस्थान कोचिंग सेंटर विधेयक-2025 ला रही है।


राजस्थान में कोचिंग सेंटरों की भरमार है। पूरे भारत से राजस्थान में विद्यार्थी कोचिंग लेने के लिए आते हैं। अब इन कोचिंग सेंटरों की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि यह मनमाने तरीके से फीस वसूलते हैं। इस कारण गरीब अ​भिभावकों के बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। इसके अलावा यह कोचिंग सेंटर झूठे विज्ञापन देते हैं लेकिन इनकी वास्तविकता कुछ होती है। अब सरकार इन झूठे विज्ञापनों पर भी रोक लगाएगी।


क्या होंगे नए नियम
नए नियमों में सरकार काफी सख्त दिखाई दे रही है। सबसे पहले तो कोई भी कोचिंग सेंटर झूठे विज्ञापन प्रसारित नहीं कर सकता। इसमें जो सुविधाएं कोचिंग सेंटरों द्वारा दी जाएंगी, केवल वही सुविधाएं विज्ञापन में प्रसारित कर सकती है। इन सभी सुविधाओं की सरकार जांच भी करवा सकती है। राजस्थान कोचिंग सेंटर अ​धिनियम-2025 में एक साथ पूरी फीस लेने पर राेक लगाई जाएगी। इसके अलावा कक्षाओं का समय नि​श्चित करना होगा। इसके अलावा हर कोचिंग सेंटर को अपने यहां ​शिकायत पेटी लगानी होगी तथा हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने होंगे। इस ​शिकायत पेटी तथा हेल्पलाइन नंबर की निगरानी सरकार द्वारा की जाएगी।
21 मार्च को होगी बैठक
जिस विधेयक को सरकार लाने की तैयारी कर रही है। इसके सभी प्रस्तावों, दावों तथा दंड के प्रावधानों पर विचार करने के लिए सरकार 21 मार्च को बैठक करेगी। इसके बाद ही यह विधायक पारित किया जाएगा। इसके साथ ही विद्या​र्थियों को अपनी फीस किस्तों में देनी होगी। यदि कोई छात्र संस्थान छोड़ देता है तो दस दिनों के अंदर उसकी फीस कोचिंग सेंटर को वापस करनी पड़ेगी। छात्रावास पर भी यह नियम लागू होंगे। एक दिन में पांच घंटे से ज्यादा कक्षाएं नहीं लगाई जा सकेंगी।


बढ़ रहे थे आत्महत्या के मामले
राजस्थान के कोचिंग सेंटरों में विद्या​र्थियों द्वारा आत्महत्या के मामले बढ़ रहे थे। कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई का प्रेशर तथा कोचिंग संस्थाओं के मनमाने नियमों के कारण हर वर्ष कई बच्चों द्वारा आत्महत्याएं करने के मामले सामने आते थे। इसके अलावा अ​धिक समय तक पढ़ाई करवाने के कारण काफी विद्यार्थी मानसिक रुप से परेशान हो रहे थे।

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