September 29, 2024

सीबीएसई स्कूलों की खुली लूट पर जबलपुर कलेक्टर की बड़ी कार्यवाही,11 स्कूलों के 51 लोगो के खिलाफ एफआईआर; रतलाम में भी जारी है सीबीएसई स्कूलों की लूट लेकिन जिला प्रशासन मौन

रतलाम,28 मई (इ खबरटुडे)। नए शिक्षा सत्र का आगमन निजी स्कूल संचालकों के लिए मोटी कमाई का सीजन बनकर आता है। खासतौर पर सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले निजी स्कूल इन दिनों फीस में मनमानी वृद्धि करने के साथ औचित्यहीन पुस्तकों और यूनिफार्म की खरीददारी विशेष दुकानों से करवाकर करोडों रु.का कमीशन वसूलते है। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा जबलपुर के निजी स्कूलों की जांच करवाने पर इन बातों का खुलासा हुआ है। यहां रतलाम में भी दर्जनों निजी स्कूल इन्ही हथकण्डों से करोडों रु. की अवैध कमाई कर रहे है। लेकिन इन पर अब तक जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

उल्लेखनीय है कि सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले प्राईवेट स्कूल प्रत्येक नए शिक्षा सत्र में एक तरफ तो फीस में मनमानी वृद्धि कर देते हैैं,वहीं दूसरी ओर छात्रों के पाठ्यक्रम में ऐसी पुस्तकें शामिल कर देते है,जिनका कोई औचित्य ही नहीं होता। ये विशेष पुस्तकें,विशेष दुकानों पर ही उपलब्ध होती है। इस तरह से इन पुस्तकों की बिक्री पर स्कूल संचालक मोटा कमीशन प्राप्त कर लेते है। इसी तरह यूनिफार्म के मामले में स्कूल संचालक अभिभावकों को विशेष दुकान से यूनिफार्म खरीदवाते है और इससे भी करोडों की कमाई करते है।

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जबलपुर जिले में संचालित सीबीएसई पाठ्यक्रम और अंग्रेजी मीडीयम वाले सभी 11 निजी विद्यालयों की व्यापक जांच करवाई । इस जांच में कई अनुविभागीय अधिकारी,तहसीलदार इत्यादि अधिकारियों को लगाया गया। जांच में जो तथ्य सामने आए,उन्होने हर किसी को आश्चर्यचकित कर दिया। जांच में पता चला कि जबलपुर के इन ग्यारह निजी विद्यालयों द्वारा बच्चों के स्कूल बैग का बेवजह वजन बढाकर,औचित्यहीन पुस्तकें पाठ्यक्रम में जुडवाकर और कमीशन वाली दुकानों से ये पुस्तकें और यूनिफार्म व अन्य सामग्री बिकवाकर कुल 4.12 करोड रु. का अवैध कमीशन अर्जित किया गया।

जांच में म.प्र निजी विद्यालय( फीस एवं अन्य संबन्धित विषयों का विनियम) अधिनियम 2017 तथा म.प्र. निजी विद्यालय नियम 2022 के उल्लंघन के सारे तथ्य सामने आने पर ग्यारह विद्यालयों से जुडे कुल 51 आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है। आरोपियों में स्कूल संचालक,प्राचर्य,प्रबन्धन और कमीशनखोरी में लिप्त दुकानदार इत्यादि सभी शामिल है। इन आरोपियों पर कुल 22 लाख रु. का अर्थदण्ड भी आरोपित किया गया है।

इतना ही नहीं जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने अभिभावकों को जागरूक करने के लिए यूट्यूब पर लाइव प्रसारण करके भी कई महत्वपूर्ण जानकारिया साझा की। उन्होंने सीबीएसई स्कूलों द्वारा की जा रही लूट का पता लगाने के लिए अभिभावकों को एक फार्मूला भी बताया है। जो इस प्रकार है-

  1. क्या आपने आडिट रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की है?
  2. क्या आपकी वार्षिक प्राप्तियों का आधिक्य कुल प्राप्तियों के 15% से कम है?
  3. क्या आपने औचित्य सहित फ़ीस वृद्धि की सूचना सत्र प्रारंभ होने के 90 दिवस की अवधि में दे दी है?
  4. क्या आपने 10% से अधिक फ़ीस वृद्धि के लिये सक्षम स्वीकृति ज़िला कलेक्टर या राज्य शासन से प्राप्त कर ली है?
    यदि नहीं…..तो किस हक़ से हमारी जेब हल्की कर रहे हो?
  • 25 जनवरी 2018 से राज्य शासन ने फ़ीस वृद्धि के पैमाने तय कर दिये हैं..
  • अपने हक के लिये करें सवाल … किसी को भी अपनी गाड़ी कमाई पर डाका डालने का मौक़ा न दें..

दीपक सक्सेना
कलेक्टर
जबलपुर

रतलाम जिले में सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले कुल 30 स्कूल संचालित किए जा रहे है। सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले सभी निजी स्कूल इंग्लिश मीडीयम के स्कूल है और इन सभी स्कूलों में काली कमाई और कमीशनखोरी का ठीक वही खेल चल रहा है,जैसा जबलपुर में चल रहा था। जिला प्रशासन हर वर्ष नया सत्र शुरु होने के पहले स्कूल संचालकों के लिए गाईडलाईन जारी करने की औपचारिकता पूरी करता है,जिसमें स्कूल संचालकों को हिदायत दी जाती है कि वे अभिभावकों को निर्धारित दुकान से पाठ्यक्रम या अन्य सामग्री खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेंगे। इसी तरह दुकानदारों को भी निर्देश दिए जाते है।

सीबीएसई स्कूल संचालक जिला प्रशासन के निर्देशों के बावजूद हर साल पाठ्यक्रम में कुछ ऐसी औचित्यहीन पुस्तकें जोड देते है,जो कि विशेष दुकानों पर ही मिलती है। इसलिए अभिभावक को मजबूरन उन्ही दुकानों पर पाठ्यक्रम खरीदने जाना पडता है। इतना ही नहीं कुछ स्कूल संचालकों ने तो सीधे स्कूल से शिक्षण सामग्री बेचने का व्यवसाय आरंभ कर दिया है। मजबूर अभिभावक अपने नौनिहालों को अच्छी शिक्षा दिलाने की मजबूरी में हजारों रुपए की चपत खाते है।

वैसे तो शासन ने अभिभावकों को इस धोखाधडी और शोषण से बचाने के लिए कई व्यवस्थाएं की है,लेकिन अभिभावकों में जानकारी के अभाव और अधिकारियों की अनदेखी के कारण अभिभावकों को ठगने का यह गोरखधन्धा बदस्तूर फलफूल रहा है। जबलपुर में धोखाधडी और ठगी के आरोपी पाए गए सीबीएसई स्कूलों में ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित स्कूल भी बडी संख्या में शामिल है। यहां रतलाम में देखा जाए,तो जिले में भी ईसाई मिशनरीज द्वारा कई इंग्लिश मीडीयम सीबीएसई स्कूल सेन्ट जोसफ कान्वेन्ट स्कूल,निर्मला कान्वेन्ट स्कूल,सेन्ट जेवियर कान्वेन्ट स्कूल इत्यादि चलाए जा रहे है। इन सभी मिशनरीज स्कूलों में ठगी का यह गोरखधन्धा धडल्ले से चल रहा है।

सेन्ट जोसेफ कान्वेन्ट स्कूल में बच्चे को दाखिल करवाना आज भी अनेक लोगों के लिए बडे स्टेटस का विषय होता है। स्कूलों की इसी प्रतिष्ठा की वजह से वे अभिभावकों का धडल्ले से शोषण करते है। इतनी ही नहीं अनेक प्रशासनिक और शासकीय अधिकारियों के बच्चे इसी प्रकार के कान्वेन्ट स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते है। यही कारण है कि अंग्रेजी मीडीयम के ये कान्वेन्ट स्कूल बेखौफ बेहिचक अभिभावकों को लूटने मेंं लगे हुए है। लेकिन प्रशासन इनके खिलाफ कोई जांच नहीं कर पाता।

ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन की जिम्मेदार अधिकारी इन बातो को जानते नहीं है। हर नए शिक्षा सत्र के पहले स्कूलों की जाँच करने की औपचारिकता पूरी की जाती है। लेकिन आज तक किसी स्कुल में चल रही किसी गड़बड़ी के खिलाफ कोई ठोस दंडात्मक कार्यवाही का कोई उदहारण मौजूद नहीं है। जाँच की औपचारिकता इस बार भी चल रही है लेकिन क्या और कैसी जाँच हो रही है यह कोई नहीं जानता। जिला शिक्षा अधिकारी केसी शर्मा ने इ खबरटुडे से चर्चा में कहा कि जिले में संचालित सीबीएसई स्कूलों की जांच की जा रही है। स्कूल संचालकों को स्कूल से संबन्धित जानकारियां पोर्टल पर अपलोड करना होती है। अपलोड करने की अंतिम तिथी 8 जून है। इसके बाद ही जांच पूरी हो पाएगी।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds