China India : चीन की दुखती रग पर हाथ रखकर बोले भारतीय विदेश मंत्री, क्षेत्रीय अखंडता का करें सम्मान
नई दिल्ली/पेइचिंग,15 नवंबर (इ खबरटुडे)। दक्षिण चीन सागर में दादागिरी दिखा रहे चीन को भारत ने इशारों ही इशारों में बेहद कड़ा संदेश दिया है। भारत ने शनिवार को साउथ चाइना सी में विश्वास को नष्ट करने वाली ‘कार्रवाई’ और ‘घटनाओं’ पर चिंता जताई। साथ ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान के महत्व पर जोर दिया।
भारतीय विदेश मंत्री ने 15वें ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने हिंद-प्रशांत इलाके के बारे में बात की और इस क्षेत्र के बढ़ते महत्व की ओर ध्यान आकर्षित कराया जो आसियान के 10 देशों का एकीकृत और मूलभूत नौवहन क्षेत्र है। जयशंकर ने हाल ही में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों की ओर से की गई हाल की घोषणाओं की ओर भी ध्यान दिलाया।
कोरोना के बाद दुनिया में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर
जयशंकर ने कहा कि सभी विचारों को सुसंगत बनाना कभी भी चुनौती नहीं रहेगा यदि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता है। यह शिखर सम्मेलन वर्चुअल तरीके से अंजाम दिया गया था। इसकी अध्यक्षता वियतनाम के पीएम नगुयेन शुआजन फूक ने किया था। इसमें आसियान के सभी देश शामिल हुए। इस सम्मेलन के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आमतौर पर शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री शामिल होते रहे हैं।
भारतीय विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कोरोना वायरस के बाद की दुनिया में व्यापक पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर दिया ताकि आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और महामारी आदि से भविष्य में निपटा जा सके। बता दें कि ईस्ट एशिया समिट एशिया प्रशांत क्षेत्र के मुद्दों से निपटने के लिए एक प्रमुख फोरम है। वर्ष 2005 में शुरुआत के बाद इस सम्मेलन ने पूर्वी एशिया के रणनीतिक, भूराजनीतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद
विदेश मंत्री जयशंकर का संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है। यही नहीं चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को दक्षिण चीन सागर और उससे सटे देशों में भी लागू कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘साउथ चाइना सी के मामले में विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र में विश्वास को खत्म करने वाले कदमों और घटनाओं पर चिंता जताई।’
दक्षिण चीन सागर चीनी ड्रैगन के लिए एक दुखती रग है जो प्राकृतिक संपदा जैसे हाइड्रोकार्बन से भरपूर है। उधर, दक्षिण चीन सागर से सटे अन्य देश जैसे वियतनाम, ब्रुनई और फिलीपीन्स भी इस प्राकृतिक संपदा पर अपना दावा करते हैं। कोरोना वायरस महामारी का फायदा उठाकर चीन ने पिछले कुछ महीनों में अपनी आक्रामक सैन्य गतिविधि को बढ़ा दिया है। ड्रैगन की इस चाल से पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई है।