December 25, 2024

Dragon Missile : तबाही के हथियार बनाने में जुटा चीन, अंतरिक्ष में किया ‘महाविनाशक’ मिसाइल का परीक्षण

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बीजिंग ,17 अक्टूबर(इ खबरटुडे)। दुनिया पर अपना दबदबा बनाए रखने की चाहत में अंधे हो चुके चीन ने अब अंतरिक्ष की ओर पैर बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। चीनी ड्रैगन ने अंतरिक्ष से हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चीन ने यह परीक्षण गत अगस्‍त महीने में किया है। चीन ने पहले एक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा। इस मिसाइल ने पहले धरती का चक्‍कर लगाया और फिर यह अपने लक्ष्‍य पर हाइपरसोनिक स्‍पीड से काल की तरह दौड़ पड़ी। चीन की तरह अंतरिक्ष से मिसाइल दागने की क्षमता अभी किसी देश के पास नहीं है।

ब्रिट‍िश अखबार फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी मिसाइल का परीक्षण पूरी तरह से सफल नहीं रहा और यह अपने लक्ष्‍य से मात्र 32 किमी की दूरी पर गिरी। अखबार ने कई खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन ने अपने हाइपरसोनिक ग्‍लाइड वीइकल को लॉन्‍ग मार्च रॉकेट से भेजा था। चीन अपने परीक्षण की अक्‍सर घोषणा करता है लेकिन अगस्‍त में हुए परीक्षण की उसने घोषणा नहीं की और इसे बेहद गोपनीय रखा।

चीन के परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां हैरत में

खबर में कहा गया है कि चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल के इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी हैरत में हैं। इस पूरे मामले में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्‍ता जॉन किर्बी ने कहा कि वह इस खास रिपोर्ट पर कोई टिप्‍पणी नहीं करेंगे। किर्बी ने इतना कहा कि हमने चीन की सैन्‍य क्षमताओं पर लगातार चिंता जताई है जिससे क्षेत्र में और दुनिया के अन्‍य हिस्‍सों केवल टेंशन बढ़ेगा। इसी वजह से हम चीन को अपने लिए नंबर एक की चुनौती मानते हैं।

चीन के अलावा अमेरिका, रूस और 5 अन्‍य देश हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम कर रहे हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलों के मामले में अभी रूस दुनिया में सबसे आगे चल रहा है। हाइपरसोनिक मिसाइलें अन्‍य मिसाइलों की तरह से ही परमाणु बम ले जा सकती हैं। हालांकि उनकी स्‍पीड साउंड की रफ्तार से 5 गुना ज्‍यादा होती है। आम मिसाइलें बैलस्टिक ट्रैजेक्‍टरी फॉलो करती हैं। इसका मतलब है कि उनके रास्‍ते को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।

अभेद्य हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें

इससे दुश्‍मन को तैयारी और काउंटर अटैक का मौका मिलता है जबकि हाइपरसोनिक वेपन सिस्‍टम कोई तयशुदा रास्‍ते पर नहीं चलता। इस कारण दुश्‍मन को कभी अंदाजा नहीं लगेगा कि उसका रास्‍ता क्‍या है। स्‍पीड इतनी तेज है कि टारगेट को पता भी नहीं चलेगा। यानी एयर डिफेंस सिस्‍टम इसके आगे पानी भरेंगे। अमेरिका ने हाल ही में अपने अलास्‍का राज्‍य में अरबों डॉलर खर्च करके मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम लगाया है लेकिन चीनी अंतरिक्ष मिसाइल के आने के बाद अब ये एयर डिफेंस सिस्‍टम भी बेकार हो जाएंगे।

रूस के अत्‍याधुनिक S-500 एयर डिफेंस सिस्‍टम के अलावा किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक मिसाइलों का रोकने की क्षमता नहीं है। रूस और चीन से टक्‍कर के लिए अमेरिका भी इस ब्रह्मास्त्र का निर्माण कर रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि अमेरिका अभी अविश्वसनीय मिलिट्री एक्विपमेंट बना रहा है। उन्होंने इसे सुपर-डुपर मिसाइल नाम दिया। ट्रंप ने यह भी कहा कि हमारे पास अभी जो मिसाइलें मौजूद हैं यह उससे यह 17 गुना तेज है।

‘आधुनिक ब्रह्मास्‍त्र’ मचा सकता है ज्‍यादा तबाही

हाइपरसोनिक मिसाइलों की खासियत यह है कि यह परंपरागत बमों को भी अन्‍य मिसाइलों की तुलना में ज्‍यादा तेजी और सटीकता के साथ अपने लक्ष्‍य पर गिरा सकती हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलें परमाणु बम भी गिराने में सक्षम हैं जिससे दुनिया में परमाणु युद्ध शुरू होने का खतरा पैदा हो जाएगा। हाइपरसोनिक मिसाइलों का खतरा अब दुनिया के सामने मुंह बाए खड़ा है। रूस, चीन, अमेरिका और अब उत्‍तर कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया है।

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