BJP Damage Control : भाजपा संगठन को हार के डर के आगे जीत नजर आ रही है डैमेज कंट्रोल के सहारे….
-चंद्र मोहन भगत
प्रदेश भर में भाजपा संगठन के नेतृत्व ने डैमेज कंट्रोलरो को नियुक्त कर यह स्वीकार कर लिया कि भावी विधानसभा चुनाव में प्रतिस्पर्धी कार्यकर्ता आपसी लड़ाई से पार्टी का नुकसान कर सकते हैं । नुक्कड़ों पर तो यह सिर्फ चर्चा का विषय ही था पर संगठन ने डैमेज कंट्रोल के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर अपना डर आठ महीने पहले ही उजागर कर दिया । जबसे कंट्रोल करने के लिए नेताओं को जिलों की कमान की विधिवत घोषणा हुई तब से यह भी सिद्ध माना जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को विधानसभा चुनाव के पहले से ही अपने ही भीतर घातियों से डर इतना ज्यादा लगा कि अभी से ही इसे कंट्रोल करने के लिए कई बड़े नेताओं को जिले सोप दिए गए है ।
भाजपा जिसे कभी पार्टी विद डिफरेंस की परिभाषा से जाना जाता था आज उसी भाजपा संगठन की हालत इतनी दयनीय हो गई है कि खुद संगठन ने अभी से मान लिया है कि अपने ही पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे । और इस डर का पैमाना इनको जितना भी डर का घनत्व बता रहा है संभवत आंकड़ा खतरे के चिन्हित निशान से ज्यादा होगा । यही कारण है कि बीते 10 सालों से भाजपाई अपने प्रतिद्वंदी राजनीतिक दल को कीड़ा मकोड़ा समझ चाहे जब मसल देने का दावा करते थे। आज वही भाजपा अभी से सुरक्षात्मक तरीके से अपना कर अपनी साख बचाने के लिए चुनाव से 8 महीने पहले ही बचाव की मुद्रा में आ गई है।
पिछले 20 सालों से मैं से साढ़े 18 साल का शासन प्रदेश में भाजपा के खाते में रहा है कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजमी है कि भाजपा के वरिष्ठ संगठन ने भी यह मान लिया कि कांग्रेसियों के प्रवेश के बाद भी शिवराज सरकार ने भाजपा की जनसाख को अधोगति से तक पहुंचा दिया है । प्रदेश भर का प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी लगातार शिवराज सरकार की कमियों आधारहीन घोषणाओं और शिथिल प्रशासनिक कार्य प्रणालियों को उजागर करते रहे हैं । शिवराज सिंह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह मीडिया को नजरअंदाज करते रहे हैं उनसे ही चर्चा करते हैं जिन पर प्रशंसा किए जाने का भरोसा हो । खुद शिवराज सिंह इतने आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री हो गए हैं कि लगातार सार्वजनिक कार्यक्रमों में डायस से अलग मंच को कदमों से नापते हुए अपने ही मुख से अपनी घोषणाओं की बलात प्रशंसा करने लगे हैं जबकि अधिकांश घोषणाए सिर्फ आयोजनों में जनता को लुभाने के लिए कर देते हैं । ऐसी घोषणाएं कागजों पर कभी उतरेगी ही नही ।विधिवत घोषणाओं पर अमल होना अभी बाकी है ।
शिवराज की इसी अदा का उनकी पार्टी के प्रतिस्पर्धी और कांग्रेसी दोनों ही फायदा उठा रहे हैं । शिवराज ने दो साल पहले राजस्व विभाग से ही जारी वीडियो में घोषणा की थी कि 2014 के पहले के कब्जा धारियों को पट्टे देंगे और प्रदेश में एक भी नागरिक ऐसा नहीं होगा जिसकी अपनी जमीन और छत ना होगी ! इसके विपरीत 50 से अधिक सालों से बसी बस्तियों में जाकर खुद वादा करने के बाद भी दिसंबर 2022 तक तुड़वा कर हजारों परिवारों को बेघर कर दिया । रोजगार उपलब्धता का ग्राफ बढ़ता ही कैसे जब इंफोसिस, टीसीएस जैसे अनेकों कंपनियों ने प्रदेश की आर्थिक राजधानी में सरकार से जमीन तो ली पर सिर्फ अपने कारपोरेट ऑफिस बना लीए इस मामले में एमएसएमई विभाग के मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कंपनियों को साल भर पहले ही चेतावनी दी थी कि स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिए जाने की शर्त भी पूरी करें ।
शासकीय विभागों में परोक्ष रूप से भर्तियों पर लोग लगाकर आउटसोर्स कर्मचारियों को भर्ती करना भी शिक्षित बेरोजगारों मैं नाराजगी का कारण बना हुआ है इसके अलावा सभी शासकीय कर्मचारियों में भी पुरानी पेंशन योजना को लेकर गंभीर आंतरिक नाराजी शिवराज सरकार के साथ भाजपा को सबक सिखाने की तैयारी में हैं । भाजपा के अंतर्विरोध के साथ ही जनमत में भी नाराजगी का ग्राफ अधिक होने के कारण भाजपा संगठन ने सतर्क होकर अभी से ही डैमेज कंट्रोलरों को जिम्मेदारियां सौंप दी है । यह सभी कंट्रोलर भाजपा की भावी सरकार बनाने लायक डैमेज कंट्रोल कर पाएंगे सतह पर इसमें संदेह की गुंजाइश से ज्यादा है।