पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार,ब्याज सहित राशि भी लौटाएं
अन्तर्राष्ट्रिय ख्यातिप्राप्त कलाकार बाबा मौर्य ने कहा
रतलाम,16 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। दादरी घटना के नाम पर साहित्य अकादमी के पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों को पुरस्कार में मिली राशि भी ब्याज समेत लौटाना चाहिए। साहित्य अकादमी के पुरस्कार उन्ही को मिलते हैं,जिन्हे जनता पसन्द नहीं करती। जनता के साहित्यकारों को कभी पुरस्कार नहीं दिया जाता। सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला और श्रीकृष्ण सरल जैसे महान कवियों को आज तक कोई पुरस्कार नहीं दिया गया।
ये बात कवि,गीतकार और चित्रकार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने एक विशेष चर्चा में कही। बाबा मौर्य ने दूरभाष पर दिए एक विशेष साक्षात्कार में इस संवाददाता को बताया कि जिन साहित्याकारों को जनता महत्व नहीं देती,वे ही सरकारी पुरस्कार लेने की जोडतोड करके पुरस्कार लेते हैं। सरकार के चरण चुम्बन करने वाले साहित्यकारों को ही पुरस्कार मिलते है। बाबा मौर्य ने उदाहरण देते हुए बताया कि आज पूरी दुनिया में सर्वाधिक बिक्री अमीश त्रिपाठी के उपन्यासों की हो रही है,लेकिन उन्हे आज तक कोई पुरस्कार नहीं दिया गया। फिल्मी गीतकार आनन्द बक्षी के गीत आज तक लोगों की जुबान पर है,उन्हे आज तक कोई पुरस्कार नहीं मिला। जिन्हे पुरस्कार मिले है उन कवियों को यदि कवि सम्मेलन के मंच पर खडा कर दिया जाए,तो श्रोता दस मिनट भी उन्हे सुनना पसन्द नहीं करेंगे।
बाबा मौर्य ने कहा कि उनकी स्वयं की पुस्तकों की लाखों प्रतियां बिक चुकी है,लेकिन उन्हे कभी कोई सरकारी पुरस्कार नहीं दिया गया। उनका पुरस्कार तो जनता में उनकी लोकप्रियता है। अमेरिका से प्रारंभ किए गए उनके विशेष कार्यक्रम भारत माताा की आरती को सत्रह वर्ष हो गए। देश के कोने कोने में उनके कार्यक्रम को सुनने के लिए हजारों लोग उमडते है।
बाबा मौर्य ने कहा कि अकादमी पुरस्कार जैसे पुरस्कार तो बन्द ही कर दिए जाने चाहिए,क्योंकि ये जनता के कर की राशि से दिए जाते है और उन्हे दिए जाते है,जिनके साहित्य का कोई उपयोग ही नहीं हैं।