मिशन रफ्तार को लगे पंख नागदा-गोधरा खंड में ट्रैक साइड बाउंड्री वाल का निर्माण कार्य 58 प्रतिशत पूर्ण
रतलाम,06 सितम्बर (इ खबर टुडे)। भारतीय रेलवे द्वारा आधारभूत संरचना के विकास के क्षेत्र में काफी कार्य किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य संरक्षा एवं सुरक्षा को बढ़ाना, ट्रेनों की गति बढ़ाना, यात्री सुविधा में वृद्धि सहित अनेक कार्य है। इसी क्रम में मुम्बई-दिल्ली वाया रतलाम रेल खंड पर ट्रेनों को मिशन रफ्तार के तहत 160 किमीप्रघ (किलोमीटरप्रति घंटा) से चलाने के लिए रतलाम मंडल के नागदा-गोधरा खंड में संबंधित कार्यों को प्राथमिकता के साथ ही शीघ्रता से किया जा रहा है। इस हेतु ब्रिजों के मरम्मत, ओएचई का रख-रखाव, सिगनलिंग सिस्टम में सुधार,कर्व का री-अलाइनमेंट, ब्रिजों के ऊपर स्टीलचैनल स्लीपर के स्थान पर एच बीम स्लीपर लगाने, परिचालनिक अवरोधों को दूर करने, ई. आई. कार्य सहित विभिन्न प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं। इनमें से कई कार्य संपन्न हो चुके हैं तथा कुछ कार्यप्रगति पर हैं।
इसी के तहत संरक्षा एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तथा ट्रेनों को अधिकतम गति सेचलाने के लिए नागदा-गोधरा खंड में रेलवे लाइन के दोनों ओर बाउंड्री वॉल का निर्माण कार्य भी जारी है तथा 58 प्रतिशत से अधिक कार्य को पूर्ण कर लिया गया है। रतलाम मंडल के नागदा-गोधरा खंड में लगभग 56 करोड़ की लागत से रेलवे ट्रैक के दोनों ओर कुल 160 किलोमीटर बाउंड्री वॉल का निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत रतलाम मंडल के नागदा से रतलाम के मध्य 60 किलोमीटर खंड में कार्य लगभग पूर्ण हो गया है तथा रतलाम से गोधरा के मध्य 100 किलोमीटर में 33.20 किलोमीटर बाउंड्री वॉल का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है अर्थात 160 किमी में 93.20 किलोमीटर बाउंड्री वॉल का निमार्ण पूर्ण कर लिया गया है। शेष कार्य को इस वित्त वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इसके अतिरिक्त रतलाम मंडल के उज्जैन-देवास-इंदौर खंड में 11 किलोमीटर खंड में पशुओं को ट्रैक पर आने से रोकने के लिए सेफ्टी फेंसिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मंडल के नागदा-भोपाल खंड में 21 किलोमीटर, रतलाम-खंडवा सेक्शन में 4 किमी, चंदेरिया-मंदसौर के मध्य 6.20 किमी तथा मंदसौर रतलाम के मध्य 3.70 किमी में फेंसिंग का कार्य प्रगति पर है।
इन कार्यों के पूर्ण होने से रेलवे ट्रैक पर पालतू एवं जंगली जानवरों की आवाजाही रुकगी, ट्रेनों निर्बाध रुप से अपने अधिकतम गति से चलेगी, ट्रैक के आस-पास के किसानों के पशुधन का नुकसान बचेगा, ट्रेनों का संरक्षित संचालन होगा जिससे समयपालनता में भी सुधार होगा तथा यात्री निर्धारित समय में अपने गंतव्य स्टेशन तक पहुँच सकेंगे।