इसलिए जरुरी है स्कूली इतिहास को बदलना
-डा डीएन पचौरी
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत राष्ट्रीय शैक्षणिक एवं अनुसंधान परिषद अर्थात एनसीईआरटी ने केंद्रीय बोर्ड के स्कूल पाठ्यक्रम अर्थात 10वीं 12वीं के पाठ्यक्रम में संशोधन किया है और विपक्ष को हो हल्ला मचाने का मौका मिल गया है। इसके पहले भी कांग्रेस के जमाने में अनेकों बार पाठ्यक्रम में परिवर्तन हुआ है परंतु कभी किसी नेता ने कोई आवाज नहीं उठाई पर अभी विपक्ष को कोई न कोई मुद्दा चाहिए इसलिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन क्यों किया गया? इसी बात पर एतराज उठाया जा रहा है। यूं तो विज्ञान के विषय भौतिक शास्त्र रसायन शास्त्र जीवशास्त्र और आर्ट्स के विषय अर्थशास्त्र नागरिक शास्त्र राजनीति शास्त्र इतिहास आदि में परिवर्तन किया गया है किंतु सबसे ज्यादा हिंदी और इतिहास पर नेताओं का ध्यान केंद्रित है। जिन लगभग अनपढ़ और कम पढ़े लिखे नेताओं जिनको शुद्ध हिंदी लिखना पढ़ना और मात्रा तक का उचित ज्ञान नहीं है वह गजानन मुक्तिबोध की कविताओं फिराक गोरखपुरी की शायरी और निराला के गीतों पर ऑब्जेक्शन उठा रहे हैं। पाठ्यक्रम परिवर्तन उच्च कोटि के पढ़े-लिखे विद्वान सोच समझ कर फैसला करते हैं के किन पाठों को कोर्स में रखना चाहिए और किन को निकाल देना चाहिए। इन नेताओं को जबरदस्ती बीच में कूदने की क्या जरूरत है? निराला जी की कविताओं को पूरी तरह से पाठ्यक्रम से नहीं निकाला गया है इनकी दूसरी कविताएं कोर्स में रखी गई हैं किंतु विपक्षी नेताओं को तो कुछ तो भी बोलने के लिए सरकार की कमियां निकालने के लिए मुद्दा चाहिए।
सबसे ज्यादा हल्ला कांग्रेस इतिहास के पाठ्यक्रम परिवर्तन पर मचा रही है क्योंकि इतिहास में से अनावश्यक मुगलकालीन पाठ्यक्रम को कम किया गया है। मुगल काल का आठ सो वर्ष का इतिहास बहुत बड़ा चढ़ाकर महिमामंडित किया गया है । ऐसा होता भी क्यों ना? कांग्रेस के जमाने में सन 1947 से लगाकर सन 1977 तक अर्थात नेहरू जी से इंदिरा गांधी के शासनकाल तक 5 मुस्लिम शिक्षा मंत्री रहे जिनमें प्रथम 11 वर्ष तक मौलाना अबुल कलाम आजाद और बाद में डॉक्टर श्रीमाली को छोड़ दें तो हुमायूं कबीर एमसी छागला फखरुद्दीन अली अहमद और नूर उल हसन ने शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। मोहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का शासक बना कर खुद गजनी लौट गया और उसके बाद गुलाम वंश खिलजी वंश तुगलक वंश लोदी वंश और भी न जाने कौन कौन से वंश के शासकों ने दिल्ली पर शासन किया और फिर इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने सत्ता संभाली। बाबर के पुत्र हुमायूं उनके पुत्र अकबर उनके पुत्र जहांगीर इनके पुत्र शाहजहां और शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह औरंगजेब मुराद आदि थे जिनमें औरंगजेब ने दारा शिकोह और मुराद का कत्ल करके अपने बाप शाहजहां को जेल में डाल कर दिल्ली पर शासन किया। बाद में और कई मुसलमान शासकों ने शासन किया और अंत में 1857 में बहादुर शाह जफर से अंग्रेजों ने सत्ता हथिया ली और जफर को कैद करके रंगून भेज दिया। जहां वह “न किसी की आंख का नूर हूं ना किसी के दिल का करार हूं” तथा “दो गज जमीन भी न मिली कूचा ए यार मैं” गाते गाते जन्नत रवाना हो गए। हिंदू राजाओं और क्षत्रिय वीरों का इतिहास अत्यंत सीमित कर दिया गया है। केवल महाराणा प्रताप का थोड़ा बहुत वर्णन इतिहास में दर्ज है। थोड़ा महाराजा शिवाजी और मराठों के शासन काल का वर्णन है। कांग्रेस चाहती है मुगलों के इतिहास को यथास्थिति में ही रखा जाए जैसा कि एक जमाने से चला आ रहा है।
कांग्रेसी यह क्यों भूल जाते है कि मुगलों के शासन काल में हर शासक ने हिंदुओं पर जिंदा रहने का टैक्स अर्थात जजिया कर लगाया। इतना ही नहीं अनेकों मंदिरों को तोड़ा और हजारों हिंदुओं का कत्लेआम किया गया। क्योंकि इनकी धार्मिक पुस्तक में ही लिखा है कि जो तुम्हारे धर्म को न माने वह काफिर है और काफ़िर का कत्ल करने से कोई पाप नहीं लगता । पूरे मुगल काल में हजारों मंदिरों को तोड़ा गया और लाखों हिंदू कत्ल किए गए। फिर भी हिंदू धर्म बचा है यह बहुत बड़ी बात है । औरंगजेब ने तो अत्याचारों की पराकाष्ठा कर दी थी । जिसने अपने भाइयों का कत्ल किया बाप को जेल में डाला वह हिंदुओं पर क्या दया दिखाता ? किंतु इतिहास में ऐसे बहुत से किस्से लिखे गए हैं जिनमें औरंगजेब को हिंदुओं का शुभचिंतक बताया गया है। जिन्हें यहां लिखने पर लेख बहुत अधिक बड़ा हो जाएगा । औरंगजेब ने हिंदुओं पर इतने अधिक जुल्म किए कि डरपोक और कायर हिंदुओं ने मुस्लिम धर्म अपना लिया और आज मुसलमानों की जो पीढ़ी है वह इन्हीं हिंदुओं की संताने हैं यह कोई अरब देश से आए हुए मुस्लिम नहीं है । हम हिंदू और इन मुसलमानों के पूर्वज दादा ओं के दादा परदादा एक ही थे। फिर भी इस अत्याचारी औरंगजेब के नाम पर रोड का नाम औरंगजेब रोड रखा गया। जैसे इसने कोई बहुत बड़ा महान काम किया हो ।
मुस्लिमों को इतना महिमामंडित किया गया है कि अकबर को अकबर महान के नाम से संबोधन किया जाता है। रही सही कसर बॉलीवुड फिल्मों ने पूरी कर दी। निर्देशक के आसिफ ने एक भव्य फिल्म मुग़ल-ए-आज़म बनाई जिसके बनने में लगभग 8 वर्ष लगे और इसे इतने बड़े पैमाने पर फिल्माया गया किसमें एक गाना जब प्यार किया तो डरना क्या जिस सेट पर फिल्माया गया है वह इतना भव्य था कि मुंबई में स्टूडियो में यह सेट महीनों तक लगा रहा और लोग इसे देखने जाते रहे। युद्ध के दृश्य वास्तविक भारतीय सेना से सिपाहियों को लेकर जयपुर के निकट सात आठ कैमरे लगाकर कई महीनों में लड़ाई के दृश्य को शूट किया गया । अकबर एक सामान्य कद काठी का हल्के सांवले रंग बादशाह था जबकि फिल्म मुग़ल-ए-आज़म में पृथ्वीराज कपूर को अकबर बादशाह के रूप में दिखाया गया है जो स्वयं भारी भरकम पर्सनैलिटी के सुदर्शन इंसान थे।
हैदराबादी बकर उद्दीन ओवैसी का कहना है तुम मुस्लिम इस देश से लेकर कुछ नहीं गए तो इस मूर्ख से पूछा जाए महमूद गजनवी जो कई बार यहां लूट मचा कर अनेकों मंदिरों को तोड़कर मुख्य सोमनाथ मंदिर से हीरे जवाहरात अशरफिया सोना ऊंट और खच्चर ओं परलाद लादकर ले गया यह क्या कम लूट थी? नादिरशाह ने कितनी लूट मचाई भारत को सोने की चिड़िया कहलाता था। इन लुटेरों ने इसके सुनहरे पंख नोच डालें और जी भर के लूट मचाई और इस देश को खोखला कर के रख दिया। ओवैसी जैसे और दूसरे लोगों और कांग्रेस का कहना यह है कि मुसलमानों ने यहां पर भव्य इमारत है जैसे ताजमहल लाल किला कुतुब मीनार आदि बनाए तो इनसे पूछा जाए कि बनाने वाले कारीगर और सामान सब भारत का ही था। यदि मुसलमानों में इतने कुशल कारीगर और कलाकार होते तो उस जमाने में ईरान तेहरान मिस्र काहिरा सऊदीअरबिया आदि में ऐसी भव्य इमारतें क्यों नहीं बनी?
आज देश की राजधानी दिल्ली मैं चले जाइए तो अकबर रोड हिमायू रोड बाबर रोड औरंगजेब रोड जहांगीरपुरी शाहजहानाबाद और भी न जाने कितने रोड और मोहल्ले मुसलमानों के नाम पर हैं। वहां घूमने पर ऐसा लगता है क्या आप हिंदुस्तान में नहीं पाकिस्तान में घूम रहे हैं। देश को आजाद हुए छियत्तर वर्ष हो चुके है। इतने समय में तो इन रोड के नाम बदल जाने चाहिए थे और देश में इतने वीर पुरुष और वीरांगना और शहीद हुए हैं कि इन रोडो और मोहल्लों के नाम इनके नाम पर रखे जा सकते थे। लेकिन किसी रोड का नाम बदल कर तो देखिए विपक्ष इतना हल्ला मच आएगा मुख्यतः कांग्रेसी कि यह बहुत बड़ा मुद्दा बन जाएगा। केजरीवाल जैसा देशद्रोही और गद्दार इसे केंद्र सरकार की तानाशाही बताएगा।
इब्तिदा ए इश्क हैरोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या।