Raag Ratlami Land Mafia : कानून के शिंकजे में आने वाले है अवैध कालोनियां बनाने वाले,जमकर वसूली में लगे है राजस्व महकमे के लोग
-तुषार कोठारी
रतलाम। लम्बे इंतजार के बाद अब वो वक्त आने वाला है,जब भोले भाले लोगों को अवैध कालोनियों में उलझाने वाले कानून के शिकंजे में आएंगे। शहर की 55 अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में इनके डेढ सौ से ज्यादा कालोनाईजरों पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी अब आखरी चरण में है।
अफसरों की लापरवाही और अकर्मण्यता के चलते शहर में ए दो नहीं बल्कि 55 अवैध कालोनियां तैयार हो गई थी। जमीन दलालों ने भोले भाले लोगों को अपने घर का सपना दिखाकर उन्हे इन अवैध कालोनियों में प्लाट बेच दिए। बाद में नगर निगम के अफसरों की मिलीभगत से इन अवैध प्लाटों पर मकान भी तान दिए गए और लोग इन घरों में रहने भी लगे। लेकिन कालोनी के अवैध होने से इन कालोनियों में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं थी।
इन कालोनियों में रहने वालों को ना तो नल से पानी मिलता था,और ना ही दूसरी मूलभूत सुविधाएं मिल पाती थी। कालोनी के अवैध होने के चलते नगर निगम की अन्य सेवाओं से भी ये हजारों लोग वंचित रह रहे थे।
अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया काफी समय पहले शुरु की गई थी। इस प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण चरण इन कालोनियों को बनाने वाले कालोनाईजर्स के खिलाफ कार्यवाही करने का था। जाहिर सी बात है कि अवैध कालोनियों के बन जाने में जितना रोल जमीन माफियाओं का है,उतना ही रोल इससे जुडे अफसरों का भी है,जिन्होने प्लाट बिकने और मकान बनने के वक्त उस पर रोक नहीं लगाई और ये कालोनियां बनती चली गई।
अवैध को वैध करने के इस अभियान में अब कालोनाईजरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। शहर में 55 अवैध कालोनियां बनाने के पीछे कुल करीब 160 लोगों का रोल पाया गया है। ये 160 लोग वे है, जिन्होने नियम कायदों को ताक पर रखते हुए अवैध कालोनियां बनाई।
मजेदार पहलू यह भी है कि इन कालोनाईजरों पर एफआईआर की तैयारी उसी नगर निगम द्वारा की जा रही है,जिसने किसी समय इन अवैध कालोनियों के बनने में बडी भूमिका निभाई थी। अब नगर निगम द्वारा सारे 160 कालोनाईजरों को नोटिस देकर उनसे दावे आपत्तियां बुलवाई गई थी। नगर निगम का कहना है कि अब तक करीब एक दर्जन आपत्तियां आई है,जिनका निराकरण मंगलवार तक कर दिया जाएगा। आपत्तियों का निराकरण होने के बाद तमाम कालोनाईजरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। यानी कि आने वाला सप्ताह शहर के जमीनखोरों के लिए खतरनाक साबित होने वाला है।
अब सवाल ये बचा हुआ है कि कालोनाईजरों के नाम तो सामने आ चुके है,लेकिन बरसों पहले जिन अफसरों के रहते ये गडबडियां हुई थी,उन्हे ढूंढा गया है या नहीं? क्योकि इस वक्त के अफसरों को छोडकर सिर्फ कालोनाईजरों पर एफआईआर दाखिल करने से कोई खास असर नहीं पडने वाला है।फिर भी फिलहाल कालोनाईजरों पर गिरने वाली गाज से भी लोग बडे संतुष्ट है कि कम से कम जिन्होने गडबडियां की है,उनके खिलाफ कार्रवाई तो शुरु हो रही है। अगले हफ्ते में ही साफ हो पाएगा कि असल में कितने जमीन खोरों पर गाज गिरती है?
नामांतरण के नाम पर वसूली
जिले में नामान्तरण का खेल बहुत बडा खेल बन चुका है। राजस्व अमले के छोटे से लेकर बडे अफसरों तक सब के सब नामान्तरण,बंटवारे,नपती जैसे कामों के लिए जमकर वसूली कर रहे है। सैलाना के पटवारी का विडीयो तो वायरल भी हो चुका है,जिसने नामान्तरण के लिए सीधे पचास हजार रु.छीन लिए थे। हांलाकि जिला इंतजामिया के बडे साहब को जब विडीयो वायरल होने की जानकारी मिली,उन्होने फौरन पटवारी को सस्पैण्ड कर दिया।
लेकिन अब सवाल ये है कि राजस्व महकमे के सबसे छोटे अफसर यानी पटवारी की इतनी औकात नहीं हो सकती कि वो सीधे पचास हजार रु.की मांग कर ले। पटवारी जब भी मामला तय करता है,उपर तक की तय करता है। कोई भी पटवारी जब किसी आवेदक से सोदा जमाता है,तो रुपए की मांग साहब के नाम पर ही करता है। साहब के नाम पर ही कोई व्यक्ति पचास हजार रु. तक देने को राजी होता है।
तहसीलों का निजाम सम्हालने वाले साहब लोगों ने अपने तमाम मातहत पटवारियों को वसूली के काम पर तैनात कर रखा है। अविवादित नामान्तरण और अविवादित बंटवारे जैसे सीधे साधे कामों के लिए पचास हजार रु. की फीस आजकल बेहद सामान्य हो गई है। इन कामों की वसूली के लेवल की अगर काम्पिटिशन रखी जाए,तो रतलाम वाली मैडम शर्तिया पहले नम्बर पर आएगी। जिला इंतजामिया के बडे साहब की नाक के नीचे ये मैडम जी पूरी दीदादिलेरी के साथ जमकर वसूली कर रही है। नियम कायदों का उनके लिए कोई मतलब नहीं है। उनकी मर्जी ही उनका शासन है।
सैलाना के पटवारी का हश्र देखकर लोगों को उम्मीद बंधी है कि बडे साहब,वसूली के खेल में लगे तहसील वाले अफसरों की नकेल भी कसेंगे।