November 20, 2024

NRC पर आज आएगी पहली लिस्ट, असम से 41 लाख लोग होंगे बाहर

नई दिल्ली,31अगस्त(इ ख़बर टुडे)।राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लिस्ट के आने से पहले असम में कई लोगों का तनाव बढ़ गया है. एनआरसी लिस्ट में नाम नहीं होने की आशंका के चलते लोगों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है. आपको बता दें कि 31 अगस्त को सुबह 10 बजे एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की जाएगी. इस लिस्ट से 41 लाख लोगों को बाहर किया जा सकता है.

क्लेरिकल एरर का शिकार हुए साधन दास
अंजली और उनका परिवार दशकों से असम में रह रहा है, लेकिन अब उनके पति साधन दास क्लेरिकल एरर के शिकार हो गए हैं. पहली दो लिस्ट में उनका नाम बदलकर साधना दास कर दिया गया और अब अचानक उनका नाम लिस्ट से हटा दिया. जब साधन दास का नाम गलत दर्ज किया गया, तो उन्होंने इसको सुधारने के लिए दो बार आवेदन भी किया, लेकिन सुधार नहीं किया गया. साधन दास एक किसान हैं और असम के मोरीगांव के बोरखल के निवासी हैं.

मां-बाप के साथ बेटे-बेटी भी चिंतित
साधन दास के बेटे सुनील दास और उनकी बेटी कमला दास भी एनआरसी की लिस्ट में नाम नहीं होने को लेकर बेहद चिंतित हैं. सुनील दास का कहना है कि एनआरसी लिस्ट में नाम नहीं होने की चिंता की वजह से न खाना अच्छा लगता है और न ही काम में मन लगता है. दिमाग ने काम करना भी बंद कर दिया है. उनका कहना है कि अगर एनआरसी लिस्ट में नाम नहीं आया, तो न जाने क्या होगा?

एनआरसी को लेकर कमला दास ने कहा, ‘हमने केस लड़ने और डिक्री हासिल करने में खूब पैसा खर्च किया. हमने अपनी सारी बचत खत्म कर दी. अब हम बेहद दुखी हैं. अगर एनआरसी की आखिरी लिस्ट में हमारा नाम नहीं रहता है, तो क्या होगा.’

मां-बाप का नाम शामिल, पर बच्चों का नाम गायब
ऐसे हालात सिर्फ असम के एक जिले में नहीं हैं, बल्कि पूरे राज्य में हैं. असम के नेली इलाके में कुछ परिवार की ऐसी कहानी है कि मां-बाप का नाम एनआरसी लिस्ट में हैं, लेकिन उनके बच्चों का नाम गायब है. नसीम उल नेसा ने कहा, ‘मेरा और मेरे पति का नाम एनआरसी लिस्ट में है, लेकिन मेरे सभी चार बच्चों का नाम एनआरसी लिस्ट से गायब है. अब क्या होगा, इसका कुछ पता नहीं है. क्या बच्चों को भी देश और स्कूल छोड़ने के लिए कहा जाएगा? हम इसको लेकर बेहद निराश भी हैं.’

हालांकि सरकार ने अगले 120 दिन में उन परिवारों को सभी संभव मदद देने का आश्वासन दिया है, जो मूल रूप से असम के निवासी हैं. इसके अलावा रियाजुद्दीन ने बताया, ‘मैं किसान हूं और साथ में मजदूरी करता हूं. पिछले कुछ महीनों में एनआरसी में नाम के लिए सब कुछ किया है. अब अगर मेरे बच्चों का नाम एनआरसी में नहीं है, तो हम कैसे यहां रह पाएंगे और बच्चों को बिना कैसे नागरिक कहलाएंगे. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है.’

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