दो दिनों तक दोबत्ती घोडे के पास बैठी रही मानसिक विक्षिप्त गर्भवती युवती,समाजसेवियों की मदद से पंहुचाया गया अस्पताल (देखिए लाइव विडियो)
रतलाम,13 सितम्बर (इ खबरटुडे)। दो बत्ती घोडा चौराहे से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने देखा कि मानसिक रुप से विक्षिप्त एक गर्भवती युवती स्टैण्ड पर बैठी हुई है। दो दिन गुजरने के बाद आज कुछ समाज सेवी व्यक्तियों ने सीएम हेल्पलाइन से लगाकर स्थानीय पुलिस अधिकारियो को इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने और गर्भवती युवती को किसी सुरक्षित स्थान पर पंहुचाने की गुहार लगाई। समाजसेवियों के प्रयासों के बाद रात करीब दस बजे प्रशासन द्वारा युवती को अस्पताल पंहुचाने के लिए एम्बूलैैंस भेजी गई।
दो बत्ती घोडे की सीढियों पर पिछले दो दिनों से मनोरोगी गर्भवती युवती नजर आ रही थी। हर आने जाने वाले की उस पर निगाह भी पड रही थी। आखिरकार समाजसेवी संजीत मेहता और उनके साथियों ने सीएम हेल्पलाइन पर मनोरोगी युवती की व्यवस्था के लिए गुहार लगाई। सीएम हेल्पलाइन पर गुहार लगाए जाने के बाद उन्होने स्टेशन रोड पुलिस थाने को भी इस बात की सचूना दी कि उक्त युवती का प्रबन्ध किया जाए। सामाजिक संस्था दिशा के कार्यकर्ता भी मौके पर पंहुचे,लेकिन मनोरोगी युवती लगातार बडबडा रही थी। महिला होने की वजह से समाजसेवी चाहते थे कि महिला पुलिस कर्मी उसे लेकर अस्पताल पंहुचाए।
काफी प्रयासों के बाद रात करीब दस बजे एम्बूलैैंस दो बत्ती पर पंहुची। कुछ महिला पुलिसकर्मी भी पंहुची और दोबत्ती निवासी एक महिला ने भी मनोरोगी महिला को उठाने की हिम्मत दिखाई। आखिरकार महिला को एम्बूलैैंस में चढा दिया गया और अस्पताल के मनोरोगी वार्ड में पंहुचा दिया गया।
उल्लेखनीय है कि रतलाम में मनोरोगियों की उपस्थिति बहुत ज्यादा देखी जाती है। ये मनोरोगी देश के अलग अलग इलाकों से यहां पंहुचते है। ऐसा माना जाता है कि जावरा स्थित हुसैन टेकरी पर बडी संख्या में मनोरोगियों को लाया जाता है। उनमें से कुछ के रिश्तेदार मनोरोगियों को रतलाम स्टेशन पर छोड जाते है। फिर ये मनोरोगी स्टेशन से शहर के अलग अलग इलाकों में पंहुच जाते है। शहर के गोविन्द काकानी जैसे कुछ समाजसेवी इन मनोरोगियों का इलाज कराते है और फिर उनके परिजनों का पता लगाकर उन्हे उनके घर पंहुचाने की व्यवस्था करते है। उल्लेखनीय है कि समाजसेवी गोविद काकानी इस तरह के दर्जनों मनोरोगियों को उनके परिजनों के पास पंहुचा चुके है।
दोबत्ती चौराहे पर पाई गई मरोरोगी महिला का प्रकरण अत्यन्त आश्चर्य चकित करने वाला है। उक्त मनोरोगी की युवती कि आयु बीस से तीस वर्ष के बीच होगी। वह गर्भवती थी और उसके पेट में पांच से छ: माह का गर्भ प्रतीत हो रहा था। मनोरोगी महिला गर्भवती किस तरह हुई होगी? कहीं उसका बलात्कार तो नहीं किया गया? गर्भ की इस अवस्था में वह रतलाम कैसे पंहुची? इस तरह के कई सवाल है। प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक मनोरोगी महिला लगातार बडबडा रही थी और हैदर अनवर और गोलू जैसे नाम बोल रही थी। ये किन लोगों के नाम है और इनका इस मनोरोगी युवती से क्या सम्बन्ध है ? ये भी एक बडा सवाल है।