राष्ट्रीय कला स्पर्धा में प्रथम रही रतलाम की दिव्या पटवा
चयनित कलाकृति का प्रदर्शन राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी भोपाल में 17 अप्रैल को
रतलाम,4 अप्रैल(इ खबरटुडे)। नगर की प्रतिभाशाली युवा कलाकार दिव्या पटवा ने नागपुर मे आयोजित राष्ट्रीय कला स्पर्धा में ग्राफिक्स श्रेणी का प्रथम पुरस्कार जीता है। स्पर्धा में विजयी रहने पर उन्हे प्रशस्तिपत्र के साथ एक लाख रुपए नगद की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। दिव्या पटवा व अन्य कलाकारों की पुरस्कृत कलाकृतियां भारत भवन भोपाल में राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में 17 अप्रैल से प्रदर्शित की जाएगी।
राष्ट्रीय कला स्पर्धा का आयोजन दक्षिण मध्य सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर द्वारा मार्च माह में किया गया था। इस स्पर्धा में देशभर के 1 हजार 695 कलाकारों ने अपनी 5 हजार 85 कलाकृतियां प्रस्तुत की थी। स्पर्धा दो समूहों में चार श्रेणियों के लिए थी। देश के अंतर्राष्ट्रिय ख्यातिप्राप्त कलाकार जतीन दास,रघु राय व लक्ष्मी गौड इस स्पर्धा के निर्णायक थे। रतलाम की दिव्या पटवा को जूनियर समूह की ग्राफिक्स श्रेणी में उनकी कलाकृति डेलिब्रेटली साइलेंस के लिए प्रथम पुरस्कार दिया गया। स्पर्धा की चयनित कलाकृतियों को नागपुर के राजा रवि वर्मा आर्ट गैलरी में प्रदर्शित किया गया था।
17 अप्रैल को भारत भवन भोपाल में आयोजित 28 वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के शुभारंभ के मौके पर पुरस्कृत कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे तथा उनकी परस्कृत कलाकृतियों को राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सुश्री दिव्या पटवा जन्मजात कलाकार है। उन्होने बडौदा की एमएस यूनिवर्सिटी से चित्रकला में स्नातक और छापाकला(प्रिन्ट मेकिंग) में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। उन्होने देश के अनेक कलाशिविरों में भागीदारी की है और बडौदा,हैदराबाद,मुंबई इत्यादि अनेक प्रमुख नगरों की प्रतिष्ठित कलादीर्घाओं में उनकी कलाकृतियां प्रदर्शित हो चुकी है। डीएम यूनिवर्सिटी इग्लैण्ड में उनकी कृतियों की एकल प्रदर्शनी आयोजित हो चुकी है। हाल ही में 24 से 29 मार्च तक भारत भवन भोपाल में भी उनके छापाचित्रों की एकल प्रदर्शनी आयोजित की गई थी,जिसे काफी सराहा गया था। सुश्री दिव्या पटवा,व्यवसायी महेन्द्र पटवा की पुत्री है और व्यवसायी परिवार से होने के बावजूद प्रारंभ से कला के प्रति समर्पित है।
चित्रकला का राष्ट्रीय अवार्ड मिलने पर सुश्री दिव्या पटवा ने कहा कि इस पुरस्कार से वे काफी खुश हैं। उन्होने कहा कि अपने चित्रों के माध्यम से वे मूक प्राणियों के अधिकारों की लडाई लड रही है। मानव अपनी सुख सुविधा के लिए बेजुबान जानवरों पर अत्याचार करता है। जानवरों की खाल,फर आदि के लिए उन्हे मार दिया जाता है। अपनी कलाकृतियों के माध्यम से उन्होने यही दर्शाने का प्रयास किया है। उनकी पुरस्कृत कलाकृति डेलिब्रेटली साइलेंस्ड (जानबूझकर खामोश) में भी उन्होने मूक प्राणियों की व्यथा को प्रदर्शित किया है। सुश्री पटवा ने बताया कि बचपन से ही मूक प्राणियों के प्रति उन्हे लगाव था। यही लगाव अब उनकी कलाकृतियों में प्रदर्शित हो रहा है। वे दो-तीन अलग अलग प्राणियों का फ्यूजन प्रस्तुत करती है और इस माध्यम से उनकी व्यथा और पीडा का चित्रण अपने तरीके से करती है।