November 8, 2024

झाबुआ उपचुनाव-भाजपा के टिकट में भारी उलटफेर की संभावना

चर्चित नामों को छोडकर नए प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है भाजपा

भोपाल,19 जुलाई (इ खबरटुडे)। रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के  आगामी नवंबर माह में होने वाले उपचुनाव को लेकर सुगबुगाहटें शुरु हो गई हैं। दोनो ही पार्टियों  में प्रत्याशी चयन को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कांग्रेस में प्रत्याशी को लेकर उतनी उत्सुकता नहीं है,जितनी सत्तारुढ पार्टी भाजपा में। कांग्रेस में टिकट के दावेदार कम है,जबकि भाजपा में कई सारे। पार्टी में चल रही चर्चाओं के मुताबिक भाजपा चर्चित नामों से हट कर एकदम नए चेहरे पर भी दांव लगा सकती है।
रतलाम झाबुआ के सांसद दिलीपसिंह भूरिया की असमय मृत्यु ने इस संसदीय क्षेत्र को उपचुनाव के मुहाने पर लाकर खडा कर दिया है। कांग्रेस के पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया तो कई दिनों से सक्रिय हो चुके है। अधिकांश कांग्रेसी भी यही मान कर चल रहे है कि कांग्रेस का टिकट कांतिलाल भूरिया या उनके पुत्र विक्रान्त भूरिया को ही मिलेगा।
बडी चर्चा भाजपा के टिकट को लेकर है। आमतौर पर यह माना जा रहा था कि पार्टी सहानुभूति के मुद्दे को ध्यान में रखकर स्व. दिलीपसिंह भूरिया की विधायक पुत्री निर्मला भूरिया को मैदान में उतार देगी। लेकिन अब यह संभावना कम होती जा रही है। भाजपा के जानकार सूत्रों के मुताबिक स्वयं निर्मला भूरिया ने इसमें अनिच्छा जाहिर की है। सूत्रों के मुताबिक वे स्वास्थ्यगत कारणों से चुनावी मैदान में उतरने को तैयार नहीं है। इसका एक कारण यह भी है कि सुश्री भूरिया लम्बे समय से मंत्रीमण्डल में शामिल होने की आस लगाए बैठी थी। ऐसे में सांसद का चुनाव लडना उनकी संभावनाओं पर पानी फेर देगा। एक तथ्य यह भी है कि पार्टी खुद भी एक उपचुनाव के लिए दूसरे उपचुनाव का रिस्क लेना नहीं चाहती। इसलिए किसी वर्तमान विधायक को उपचुनाव नहीं लडवाया जाएगा।
सुश्री निर्मला भूरिया के टिकट की संभावनाएं कम होने पर दूसरा नाम अलीराजपुर विधायक नागरसिंह चौहान का सामने आया था,लेकिन यह भी उसी फार्मूले पर खारिज हो गया,कि वर्तमान विधायक को उपचुनाव नहीं लडवाया जाए। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सांसद चुनाव में नए चेहरे की खोज के चलते हाल ही में एकदम नए नाम पर चर्चा चल पडी है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में प्रमुख इंजीनियर के पद पर कार्यरत जीएस डामोर के नाम अचानक ही सामने आया है। पार्ची सूत्रों का कहना है कि श्री डामोर शासकीय सेवा में होने के बावजूद आरएसएस के संगठन सेवा भारत और वनवासी कल्याण परिषद में लम्बे समय से सक्रिय है। इन्ही संगठनों की
सक्रियता के कारण उनका झाबुआ और अलीराजपुर के दूरस्थ गांवों तक सम्पर्क भी है। आरएसएस की पृष्ठभूमि के कारण श्री डामोर का नाम संसदीय सीट के लिए तेजी से सामने आया है। नए चेहरों के मामले में मंत्री रंजना बघेल के पति मुकामसिंह किराडे,राजू डामोर और बहादुरसिंह भाबर जैसे कुछ और नाम भी सामने आए है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजू डामोर और बहादुरसिंह भाबर भी आरएसएस की पृष्ठभूमि से ही है।
झाबुआ संसदीय उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न माना जा रहा है। पूरे देश की नजरें इस उपरुनाव पर लगी होंगी। भाजपा की प्रदेश इकाई भी इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अभी से सक्रिय होने लगी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि झाबुआ उपचुनाव में कोई ढीलपोल ना रह जाए,इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को एक एक जिले के संगठन मंत्री के रुप में तैनात किए जाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए रतलाम जिले में वरिष्ठ नेता तपन भौमिक,झाबुआ में विजय दुबे और अलीराजपुर में सुरेश आर्य को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। ये वरिष्ठ नेता पूरे समय अपने जिलों में डेरा डाले रहेंगे।
बहरहाल,संसदीय उपचुनाव में प्रत्याशी का सही चयन दोनो ही पार्टियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होगा। क्योकि यदि चयन में कोई गडबडी हो गई तो यह जंग शुरु होने के पहले ही आधी जंग हार जाने के समान होगा।

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