जहां से गुजरना है मुंबई दिल्ली एटलेन रोड उसी गांव के सरकारी रेकार्ड में है गडबडियां,अब तक आनलाईन नहीं हुआ है धामनोद की भूमि का रेकार्ड
रतलाम,24 जुलाई (इ खबरटुडे)। केन्द्र सरकार का महत्वाकांक्षी एटलेन प्रोजेक्ट जिले में जिस स्थान से गुजरने वाला है,वहीं जमीनों के रेकार्ड में भारी गडबडियां है। जिले भर के तमाम गांवों की भूमि का रेकार्ड आनलाइन हो चुका है,लेकिन शहर के नजदीक स्थित धामनोद का रेकार्ड आज तक आन लाइन नहीं किया गया है। धामनोद के हजारों किसान प्रशासन की इस गलती का खामियाजा भुगतने को मजबूर है।
प्रदेश भर में जमीनों का पूरा रेकार्ड,खसरा और नक्शे इत्यादि आनलाइन किए जा चुके है। जमीनों का सारा रेकार्ड आनलाइन होने से प्रदेश के लाखों किसानों को अपनी कृषि भूमि का रेकार्ड हासिल करने में बेहद आसानी हो गई है। कोई भी व्यक्ति चाहें जहां चुटकियों में अपनी कृषि भूमि का नक्शा या खसरा प्राप्त कर सकता है। लेकिन रतलाम जिला इसका अपवाद है। रतलाम शहर से सटे धामनोद के किसान आज भी अपनी कृषि भूमि का खसरा या नक्शा लेने के लिए सरकारी दफ्तरों और अफसरों के चक्कर लगाने को मजबूर है।
रतलाम जिले में कुल 1089 गांव है। इनमें से अधिकांश गांवों का शासकीय रेकार्ड आनलाइन हो चुका है। लेकिन धामनोद समेत कुछेक गांव ऐसे है,जिनका रेकार्ड आज भी आनलाइन नहीं है। धामनोद के हजारों किसानों को अपनी कृषि भूमि का नक्शा या खसरा इत्यादि लेने के लिए न सिर्फ सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पडते हैं बल्कि सम्बन्धित कर्मचारियों को भारी चढावा भी चढाना पडता है।
धामनोद का रेकार्ड आनलाइन नहीं होने का सबसे बडा खामियाजा वहां से गुजरने वाले एटलेन रोड पर आ रहे किसानों को भुगतना पड रहा है। गांव का नक्शा आनलाइन नहीं होने से धामनोद के किसानों के लिए यह पता करना दुष्कर है कि एटलेन रोड पर किस किसान की कितनी जमीन जा रही है। इस बात का पता लगाने के लिए वे पूरी तरह से सम्बन्धित राजस्व कर्मचारियों पर निर्भर है। इसी तकनीकी कमी का फायदा लेकर सम्बन्धित राजस्व कर्मचारियों द्वारा एटलेन प्रोजेक्ट में कई तरह की गडबडियां की जा रही है। कई ग्रामीणों का कहना है कि एटलेन के लिए जमीनों को अधिगृहित करने की धमकियां देकर किसानों को डराया जा रहा है,लेकिन आनलाइन नक्शा उपलब्ध नहीं होने के कारण कोई भी यह नहीं जान पाता है कि वास्तव में किसकी कितनी जमीन एटलेन में अधिगृहित हो रही है।
मजेदार तथ्य यह है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि धामनोद का नक्शा आज तक आनलाइन क्यों नहीं हो पाया है। भू अभिलेख विभाग के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिस समय जिले का सारा रेकार्ड आनलाइन किया जा रहा था,उस समय धामनोद समेत करीब दस गांवों का रेकार्ड समय पर उपलब्ध नहीं हो पाया था। इसी वजह से धामनोद समेत इन गांवों का रेकार्ड आनलाइन नहीं हो पाया। तब से लेकर अब तक राजस्व विभाग के किसी अधिकारी ने इस तरफ कभी ध्यान नहीं दिया और धामनोद का रेकार्ड अब तक आनलाइन नहीं हो पाया।
धामनोद वर्तमान में नगर परिषद बन चुका है और यहां हजारों किसानों की कृषिभूमियां स्थित है। रतलाम शहर के नजदीक होने और यहां से नई दिल्ली मुंबई एटलेन रोड गुजरने से यह अत्यन्त महत्वपूर्ण बन गया है। इतने महत्वपूर्ण गांव का रेकार्ड आनलाइन नहीं होना और लम्बे समय से राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं किया जाना भी अपने आप में सन्देहों को जन्म देता है।