November 22, 2024

जलसंकट और सुविधाओं के अभाव से जूझता कलेक्टोरेट

हर ओर गंदगी और बदबू,जिम्मेदार पूरी तरह लापरवाह

रतलाम,6 जुलाई (इ खबरटुडे)। पूरे जिले की व्यवस्थाओं पर नियंत्रण रखने वाले जिला प्रशासन का मुख्यालय कलेक्टोरेट परिसर दीया तले अन्धेरा की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। जिले भर के नागरिकों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले कलेक्टोरेट के विभिन्न विभागों के कर्मचारी और जिले भर से यहां आने वाले हजारों नागरिक प्रतिदिन सुविधाओं के अभाव में कष्ट झेल रहे है। जलोतों के संरक्षण की नसीहतें देने वाले अफसरों के सबसे नजदीक के जलोत को ही उपेक्षित छोड दिया गया है।
कलेक्टोरेट परिसर में जिला कलेक्टर के अलावा अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी,अनुविभागीय दण्डाधिकारी, तहसीलदार,भू अभिलेख,खाद्य विभाग,जनपद पंचायत,खनिज विभाग जैसे अनेक विभागों के कार्यालय है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी इसी परिसर में मौजूद है। लेकिन  इन तमाम दफ्तरों में काम करने वालों को सामान्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है।
कलेक्टोरेट परिसर में एक सार्वजनिक मूत्रालय है। बरसों से इसकी साफ सफाई नहीं हुई है। जिले में अन्यान्य स्थानों से आने वाले नागरिक आवश्यकता पडने पर इसी का उपयोग करते है। लेकिन यह इतना गन्दा है कि इसके भीतर जाकर इसका उपयोग कर पाना संभव नहीं इसलिए लोग बाहर खडे रहकर ही इसका उपयोग करते है। इसके अलावा कालिका माता परिसर से सटी कलेक्टोरेट की दीवार का उपयोग भी लोग सुविधाघर के रुप में करते है। नतीजा यह है कि कालिका माता परिसर में हर ओर दुर्गन्ध फैली रहती है।

कार्यालयों में भी नहीं सुविधा

 वैसे तो कलेक्टोरेट के विभिन्न कार्यालयों में शौचस्थान व सुविधाघर बने हुए है,लेकिन बरसों से इसकी साफ सफाई नहीं हुई है। कार्यालयों के कर्मचारी इन्ही गन्दे बदबूदार स्थानों का उपयोग करने को विवश है।  तहसील कार्यालय के भवन में बना सुविधाघर हो या कलेक्टर कार्यालय और खाद्य विभाग वाले भवन का सुविधाघर। सभी की एक सी हालत है। सुविधाधरों की सफाई न होने का मुख्य कारण यह है कि किसी भी कार्यालय में पानी की व्यवस्था ही नहीं है।

टंकीयां है लेकिन पानी नहीं

कलेक्टोरेट परिसर के विभिन्न भवनों की छतों पर पानी की टंकीया रखी हुई है। लेकिन इन टंकियों में लम्बे समय से पानी नहीं भरा गया है। इन टंकियों के कनेक्शन विभिन्न विभागों में बनाए गए सुविधाघरों से है,लेकिन टंकीयों में पानी नहीं होने के कारण इसकी कोई उपयोगिता नहीं है। स्थिति इतनी विकट है कि स्वयं कलेक्टर कक्ष के सुविधाघर में भृत्य हेण्डपंप से बाल्टियां भर कर पानी पंहुचाते है। कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के कक्षों में अटैच बाथरुम इत्यादि में तो भृत्य हेण्डपंप से पानी भर देते है,लेकिन कार्यालयों के सार्वजनिक मूत्रालयों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। पीने के पानी की व्यवस्था तो कलेक्टोरेट परिसर में लगाई गई प्याउ से हो जाती है,लेकिन अन्य उपयोग में आने वाला पानी यहां है ही नहीं।

बरसों से खराब है कुएं की मोटर

 कलेक्टोरेट परिसर में भू अभिलेख कार्यालय के पीछे स्थित कुंआ कभी कलेक्टोरेट परिसर के कार्यालयों को पानी मुहैया कराता था। तमाम भवनों के उपर लगी टंकियों में इसी कुंए से पानी पंहुचाया जाता था। इस कुंए में अब भी पर्याफ्त पानी उपलब्ध है। लेकिन इस कुंए को भी पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया है। जिले भर में जल संरक्षण के कार्यक्रम चलाने वाला जिला प्रशासन अपने ही मुख्यालय में मौजूद जलोत का संरक्षण करने को तैयार नहीं है। कुंए में गन्दगी और कचरा गिरता रहता है। मोटर लम्बे समय से खराब है। नतीजा यह है कि सारे कार्यालयों में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। दफ्तरों में सुविधास्थानों की सफाई के लिए पानी की जरुरत है लेकिन पानी नहीं होने  के कारण इनकी सफाई संभव ही नहीं है।

जिम्मेदार ही लापरवाह

मजेदार बात यह है कि जिले भर के विभिन्न विभागों की व्यवस्था सुधारने का दावा करने वाले जिला प्रशासन के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों में से किसी ने भी आज तक कलेक्टोरेट परिसर की सुध नहीं ली है। जहां नागरिकों को सर्वाधिक सुविधाएं मिलना चाहिए वहीं नागरिक गन्दगी और बदबू से जूझते रहते है। अधीनस्थों को हर बात में नसीहत देने वाले अफसर इतने लापरवाह है कि जिले के सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिसर में शर्मनाक दृश्य दिखाई देते रहते है।

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