गृह निर्माण मण्डल सेवा में कमी का दोषी
उपभोक्ता फोरम ने योजना के विलम्ब पर और ब्याज की मांग किए जाने पर दिया निर्णय
रतलाम,4 जुलाई (इ खबरटुडे)। उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा गया है कि गृह निर्माण मण्डल द्वारा भूखण्ड आवंटित करने में किया गया विलम्ब और आवेदक को उसकी जमा राशि पर ब्याज देने की बजाय ब्याज की मांग करने को सेवा में कमी माना जाएगा। ऐसी स्थिति में आवेदक गृह निर्माण मण्डल से अपनी जमा राशि पर ब्याज प्राप्त करने का हकदार है।
उक्त महत्वपूर्ण निर्णय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम के अध्यक्ष ऋ षभ कुमार सिंघई ने शुक्रवार को परिवादी तुषार कोठारी की ओर से अभिभाषक नीरज सक्सेना द्वारा दायर परिवाद की सुनवाई के पश्चात पारित किया। परिवादी तुषार कोठारी ने गृह निर्माण मण्डल रतलाम द्वारा घोषित अलकापुरी रतलाम में 43 एलआईजी भूखण्ड योजना में आवंटित भूखण्ड की मूल्यवृध्दि से व्यथित होकर प्रस्तुत किया था।
परिवादी तुषार कोठारी ने अपने अभिभाषक नीरज सक्सेना के माध्यम से प्रस्तुत परिवाद में बताया था कि गृह निर्माण मण्डल रतलाम ने वर्ष 2005 में अलकापुरी में 43 एलआईजी भवनों के आवंटन की एक योजना प्रसारित की थी और इस योजना में शामिल होने के लिए आवेदकों से 35 हजार रु.की राशि मांगी गई थी। परिवादी ने चालान के माध्यम से 35 हजार रु.जमा कराए थे। इसके चार साल बाद वर्ष 2009 में गृह निर्माण मण्डल ने एक पत्र भेजकर परिवादी को सूचित किया कि उक्त योजना को निरस्त कर अब 42 एमआईजी सीनीयर भवन की योजना बनाई गई है,जिसकी अनुमानित कीमत 12 लाख 40 हजार रु. होगी। यदि आवेदक नई योजना में भवन लेने का इच्छुक है तो अपनी सहमति प्रस्तुत करें। आवेदक ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई और पूर्व योजना अनुसार ही वर्ष 2005 में दर्शाए गए मूल्य पर भवन उपलब्ध कराने का निवेदन किया। इसके साथ ही आवेदक ने यह भी निवेदन किया कि यदि पुराने मूल्य पर भवन उपलब्ध नहीं कराया जा सकता हो तो उसे भवन के स्थान पर भूखण्ड उपलब्ध कराया जाए। गृह निर्माण मण्डल ने दूसरी योजना भी निरस्त कर दी और भूखण्ड उपलब्ध कराने की योजना प्रस्तुत की। इस योजना में भूखण्ड का मूल्य 3 लाख 93 हजार 8 सौ रुपए बताया गया। गृह निर्माण मण्डल ने इस योजना को लाभकारी बताते हुए आवेदक को इस नई योजना में सहमति देने के लिए राजी कर लिया। आवेदक की सहमति के बाद गृह निर्माण मण्डल ने भूखण्ड की दस प्रतिशत राशि में पूर्व के जमा 35 हजार रु.समायोजित कर शेष 4 हजार 380 रुपए जमा करवाने हेतु आवेदक को सूचना दी। यह राशि भी आवेदक ने चालान के माध्यम से जमा करवा दी। इसके बाद गृह निर्माण मण्डल ने आवेदक को पत्र भेजकर सूचित किया कि भूखण्डों के विकास का काम शुरु हो चुका है अत: अवशेष राशि तीन किश्तों में जमा कराई जाए। गृह निर्माण मण्डल द्वारा अवशेष राशि की मांग किए जाने पर आवेदक ने उक्त राशि भी तीन किश्तों में चालान के माध्यम से जमा करवा दी।
इसके बाद गृह निर्माण मण्डल ने 31 अक्टूबर 2012 को भूखण्ड चयन के लिए लाटरी कराई जाना दर्शाकर आवेदक को सूचना प्रेषित की कि परिवादी को भूखण्ड क्र.40 आवंटित किया जाएगा। इसके बाद गृह निर्माण मण्डल ने जिस भूखण्ड का मूल्य 3 लाख 93 हजार 8 सौ रु. निर्धारित किया था,उसका मूल्य अचानक बढाकर 5 लाख 46 हजार रु.कर दिया और परिवादी को एक पत्र भेज कर शेष राशि की मांग की गई। गृह निर्माण मण्डल ने परिवादी से अन्य चार्जेस की मांग भी की। जबकि परिवादी पहले ही 4 लाख 37 रुपए की राशि गृनिमं को जमा करवा चुका था। उसे न तो भवन दिया गया और ना ही भूखण्ड। गृनिम. परिवादी से 2 लाख 25 हजार 563 रु. की मांग कर रहा है। इस राशि में पूंजीगत ब्याज की राशि 37 हजार 463 रु. भी जोड दिए गए है। गृह निर्माण मण्डल के इन्ही निर्णयों से व्यथित होकर परिवादी ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया था।
उपभोक्ता फोरम के विद्वान अध्यक्ष ऋ षभ कुमार जैन व सदस्य श्रीमती किरण शर्मा ने परिवादी और प्रतिप्रार्थी गृह निर्माण मण्डल द्वारा प्रस्तुत तर्कों और तथ्यों का गहनता से विचारण करने के पश्चात परिवादी से ब्याज की राशि मांगे जाने को सेवा में कमी माना है। परिवादी अभिभाषक नीरज सक्सेना के तर्कों से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि गृह निर्माण मण्डल को आवेदक द्वारा अग्रिम जमा राशि पर आठ प्रतिशत की दर से मण्डल को ब्याज देना चाहिए था परन्तु वह ब्याज न देकर और उसके विपरित ब्याज मांग रहा है। यह सेवा में कमी है।
उपभोक्ता फोरम ने गृह निर्माण मण्डल को आदेशित किया है कि वह परिवादी द्वारा अग्रिम जमा राशियों पर आठ प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करें। ब्याज की राशि की गणना कर परिवादी को सूचित करे। ब्याज की यह राशि परिवादी पर बकाया राशि में से समायोजित कर शेष राशि जमा होने पर परिवादी को भूखण्ड उपलब्ध कराए।
उल्लेखनीय है गृह निर्माण मण्डल की उक्त योजना में अन्य कई आवेदकों ने भी भूखण्ड लिए है। उपभोक्ता फोरम के इस आदेश के बाद अन्य भूखण्डधारियों को भी लाभ मिल सकता है।