December 24, 2024

लम्बी कानूनी लडाई के बाद एसडीएम की मौजूदगी में नगर निगम ने लिया ज्योति होटल का कब्जा

jyoti hotel

रतलाम,26 मार्च (इ खबरटुडे)। लम्बे समय तक कानूनी दांव पेंच में उलझे रहे ज्योति होटल का कब्जा आज नगर निगम ने ले लिया। ज्योति होटल का कब्जा लेने के की कार्यवाही के दौरान निगम अधिकारियों के अलावा एसडीएम अनिल भाना भी मौजूद थे। शनिवार को ही जिला न्यायालय ने नगर निगम की अपील स्वीकार कर कब्जा हासिल करने का रास्ता साफ किया था।
ज्योति होटल का कब्जा लेने की कार्यवाही आज सुबह दस बजे प्रारंभ की गई। कब्जा लेने के लिए निगम के उपायुक्त संदेश शर्मा,सिटी इंजीनियर जीके जायसवाल,निगम अभिभाषक वीरेन्द्र पाटीदार समेत अनेक अधिकारी सुबह दस बजे ही दो बत्ती स्थित ज्योति होटल पंहुच गए थे। किसी विवाद की आशंका के चलते निगम अधिकारियों ने सिटी एसडीएम अनिल भाना को भी मौके पर बुलवा लिया था। निगम अधिकारियों के दल ने ज्योति होटल पंहुचकर कब्जा पंचनामा तैयार किया और ज्योति होटल को सील कर दिया गया। कब्जे की कार्यवाही के दौरान दोबत्ती पर भारी भीड एकत्रित हो गई थी। उल्लेखनीय है कि इ खबरटुडे ने ही सबसे पहले इस मामले को उठाया था।

उच्च न्यायालय की अवमानना

ज्योति होटल के मामले में इन्दौर उच्च न्यायालय द्वारा विगत 30 अक्टूबर 2014 को ज्योति होटल का कब्जा नगर निगम को दिए जाने का स्पष्ट आदेश पारित किया था। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने ज्योति होटल के संचालक द्वारा दायर याचिका को दो हजार रु.अर्थदण्ड आरोपित करते हुए निरस्त किया था और आदेश में यह स्पष्ट किया था कि ज्योति होटल की लीज विधिवत रुप से समाप्त हो चुकी है और ऐसी स्थिति में ज्योति होटल संचालक को ज्योति होटल पर कब्जा रखने का कोई अधिकार नहीं है। इस आदेश में नगर निगम को कहा गया था कि वह विधि की प्रक्रिया के अनुसार कब्जा प्राप्त कर लें। उच्च न्यायालय के सुस्पष्ट आदेश के बावजूद नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों और शहर एसडीएम की जुगलबन्दी के चलते यह मामला एसडीएम कोर्ट में ढाई साल तक बेवजह लम्बित रखा गया,ताकि ज्योति होटल संचालक का अवैध कब्जा बना रहे।
इ खबरटुडे द्वारा यह मामला उजागर किए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया और उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद शहर एसडीएम ने इस मामले में नगर निगम के पक्ष में आदेश पारित कर दिया। लेकिन इसी बीच ज्योति होटल संचालक ने स्थानीय न्यायालय में मामला दायर कर वहां से स्थगनादेश प्राप्त कर लिया। मजेदार तथ्य यह है कि उच्च न्यायालय द्वारा जारी स्पष्ट आदेश  व्यवहार न्यायाधीश के न्यायालय में भी पेश किया जा चुका था। इसके बावजूद भी निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई जारी रही और 6 अप्रैल 2017 को व्यवहार न्यायाधीश ने ज्योति होटल के पक्ष में प्रकरण के अंतिम निराकरण तक के लिए स्थगनादेश दे दिया था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ नगर निगम द्वारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश मृत्युंजल सिंह के न्यायालय में अपील प्रस्तुत कर स्थगनादेश निरस्त करने की मांग की गई थी। जिला न्यायाधीश श्री सिंह ने लगभग ग्यारह महीने तक इस प्रकरण की सुनवाई के बाद शनिवार को इस मामले में अंतिम आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद यह तय हो गया था कि ज्योति होटल का कब्जा नगर निगम द्वारा ले लिया जाएगा। निगम सूत्रों के मुताबिक ज्योति होटल पर नौ लाख रु. से अधिक किराये की राशि भी बकाया है। ज्योति होटल को सामान सहित सील किया गया है। नगर निगम ज्योति होटल के सामान को किराये की वसूली के लिए जब्त कर सकता है।

तत्कालीन एसडीएम पर होगी कार्यवाही…?

ज्योति होटल का पूरा मामला निपटने के बाद अब यह सवाल फिजाओं में तैर रहा है कि उच्च न्यायालय के सुस्पष्ट आदेश के बावजूद इस मामले को अवैध आदेश जारी कर बरसों तक लटकाने वाले तत्कालीन एसडीएम सुनील झा के विरुध्द क्या कार्यवाही होगी? तत्कालीन एसडीएम सुनील झा ने उच्च न्यायालय के सुस्पष्ट आदेश के बावजूद ज्योति होटल के पक्ष में स्थगन आदेश जारी कर दिया था। यह सीधे सीधे उच्च न्यायालय की अवमानना का मामला था। उच्च न्यायालय की अवमानना का उक्त अवैध आदेश जारी करने के एवज में तत्कालीन एसडीएम सुनील झा ने अनुचित लाभ भी प्राप्त किए थे। इ खबरटुडे द्वारा यह मामला उठाए जाने के बाद तत्कालीन उच्चाधिकारियों के दबाव में ही इस मामले में तत्कालीन एसडीएम ने नगर निगम के पक्ष में आदेश जारी किया था।

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