December 24, 2024

महाकाल में हुआ लक्ष्मीपूजन

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आज से कार्तिक एवं अगहन की सवारी
उज्जैन  4 नवम्बर दीपावाली पर्व पर श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रशासनिक कार्यालय में श्री महालक्ष्मी पूजन विधि विधान से संपन्न किया गया इस अवसर पर श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति के प्रशासनिक कार्यालय के शाखा प्रमुखों के साथ अन्य कर्मचारी भी उपस्थित थे।
प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी श्री महाकालेश्वर भगवान की कार्तिक एवं अगहन मास की सवारी परम्परानुसार एवं पूर्ण गरिमामय तरीके से सोमवार को निकाली जावेगी। कार्तिक मास की प्रथम सवारी सभा मण्डप में पूजन के पश्चात सायं 4 बजे मंदिर द्वार पर पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के बाद श्री महाकाल रोड,गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी, होते हुए रामघाट पहुचंगी। जहॉ पर श्री चन्द्रमौलीश्वर भगवान एवं मॉ क्षिप्रा का पूजन होने के बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई पालकी श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आयेगी। सवारी के साथ पर्याप्त संख्या में घुडसवार, पुलिस बल, नगर सैनिक, विशेष सशस्त्र बल की टुकडियाँ तथा पुलिस बैंड आदि भी शामिल रहेगे। इसके अलावा 11, 18, 25 नवम्बर तथा शाही सवारी 2दिसंबर को निकाली जावेगी। इसी प्रकार हरिहर मिलन सवारी 15नवम्बर शुवार (वैकुण्ठ चतुर्दशी कार्तिक शुक्लपक्ष) को रात्री 11 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, पटनी बाजार, गोपाल मंदिर जावेगी, जहॉ पूजन के पश्चात इसी मार्ग से श्री महाकालेश्वर मंदिर आयेगी। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति श्रध्दालुओं से अनुरोध है कि, वे श्रावण मास की सवारी की तरह ही कार्तिक एवं अगहन मास की सवारियों तथा हरिहर मिलन की सवारी में भी भक्ति-भाव के साथ सम्मिलित हो तथा बाबा श्री महाकालेश्वर के दर्शन लाभ ले। प्रशासक जयन्त जोशी, समिति सदस्य पुजारी प्रदीप गुरू, गोविन्द शर्मा, पं.सत्यनारायण जोशी आदि महालक्ष्मी पूजा में शामिल हुए।
सवारी मार्ग में आंशिक परिवर्तन
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक जयंत जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि श्री महाकालेश्वर भगवान की कार्तिक अगहन मास 2013 में निकलने वाली सवारी के मार्ग में नदी से गणगौर दरवाजे तक सिंहस्थ-2016 के अन्तर्गत चल रहे निर्माण कार्य के कारण मार्ग अवरूध्द होने से, सवारी मार्ग शिप्रा नदी पर पूजन पश्चात सीधे मोढ़ की धर्मशाला न जाते हुए वापस नदी से रामानुज कोट के रास्ते मोढ़ की धर्मशाला होकर जावेगी एवं शेष मार्ग यथावत रहेगा।

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