November 5, 2024

बिन करंट झटके देती बिजली, जनता त्रस्त

रतलाम,31 मार्च (ऋत्युत मिश्र /इ खबरटुडे)। जहां एक ओर मध्यप्रदेश में  24×7 बिजली, अटल ज्योति योजना और जगमग मध्यप्रदेश जैसे  आश्वासनों और नारे आम हो चले हैं वहीं यदि शहर की असलियत पर नजर डाली जाए तो यह सब केवल लुभावना झुनझुना प्रतीत होता है। विघुत विभाग में ठेका पद्धति होने की वजह से अधिकारी केवल जेबें भरने में लगे हैं। शहर की जनता पहले ही अघोषित बिजली कटौती और बड़े-बड़े बिलों से परेशान है उसपर लापरवाह तरीके से उलझते तारों की वजह से कईं बार फाल्ट हो जाता है और लंबे समय तक बिजली नदारद हो जाती है।

विघुत चोरी में भी  मदद

शहर के कई क्षेत्रों में आंकड़ी लगाकर बिजली घरों में उपयोग की जाती है जिससे कि जनता अनबुझ नहीं है और धीरे-धीरे भेड़चाल में और लोग भी बिजली चोरी में लग जाते हैं। लेकिन प्रशासन सब देखते हुए भी अनजान बना हुआ है। यदि कर्मचारियों की हथेली गर्म समय-समय पर होती रहे तो बिजली विभाग को भी इससे कोई एतराज नहीं है। कईं बार इसी वजह से फाल्ट हो जाते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि कईं बार कर्मचारी वरिष्ठ अफसर को सारी जनता के आगे असल स्थिति से अवगत कराता है परंतु कोई कार्यवाही नहीं होती।

मीटर में रीडिंग कम बिल ज्यादा

विभाग द्वारा कईं मीटर रीडिंग में भी भारी चूक की जाती है। बहुत बार बिल में रीडिंग ज्यादा अंकित होती है। जिसपर कोई कार्यवाही करने हेतु न तो आलाअधिकारी सुनते हैं न ही ही कर्मचारी। उनका कहना होता है जो बिल में है उतना भुगतान करना होगा। एक दिन की भी देरी होने पर अमला बिजली कनेक्शन काट देता है।

 विघुत सप्लाई का कोई ठिकाना नहीं

विगत कईं दिनों से विघुत विभाग द्वारा किसी भी समय पर विघुत सप्लाई बंद कर दी जाती है जिसके चालू होने का कोई समय निश्चित नहीं होता। वहीं ठेका पद्धति होने के कारण मनमानी तो होती ही है। सप्लाई किसी भी समय कटने पर संबंधित अधिकारी का नंबर या तो लगाए नहीं लगता एवं यदि लगता भी है तो वे उठाकर जवाब देना वाजिब नहीं समझते।

लाखों का भ्रष्टाचार, कागजों पर ही होते हैं मेंटेनेंस

विघुत विभाग को प्रतिवर्ष शासन द्वारा लाखों रुपए की राशि मेंटेनेंस के लिए आवंटित की जाती है लेकिन भ्रष्टाचार के चलते विभाग द्वारा कटौती तो कर दी जाती है लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है। आए दिन शॉर्टसर्किट होते हैं। लेकिन इस समस्या से विभाग को कोई लेना-देना नहीं है। मेंटेनेंस के नाम पर आने वाली राशि को चट कर लिया जाता है।
क्षेत्र में कईं जगहों पर ऐसे तार या पोल देखे जाना आम बात है जिनपर कईं कनेक्शन किए जा चुके हैं और दुर्घटना का बुलावा दे रहे हैं।

नेताओं को देना होगा ध्यान

आए दिन की जा रही मनमानी से अवगत होने के बाद भी किसी नेता का इस विषय में न बोलना ठेकेदारों की दादागिरी व रसूखदार लोगों का बोलबाला होने का परिचय देता है। उपभोक्ताओं के लिए बढ़ती परेशानी का कुछ निवारण करने और लापरवाही करने वाले के खिलाफ कुछ सख्त कार्यवाही करना चाहिए जिससे कि भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगाया जा सके।

 नहीं मिलता संतोषजनक उत्तर

विघुत विभाग की वजह से हो रहे आए दिन फाल्टों के लिए उपभोक्ताओं को दूरभाष क्रमांक का नंबर तो दिया हुआ है लेकिन उसपर जवाब देने के लिए शायद किसी को नहीं रखा। कभी-कबार उठ जाने वाले फोन को रिसीवर उठाकर रखने की परंपरा सालों से चली आ रही है।

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