
मध्य प्रदेश कीव्यावसायिक राजधानी इंदौर के लिए अगले तीन साल तस्वीर बदलने वाले साबित होंगे। इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब रेलवे, एयरपोर्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े 50 से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इनमें से कई इसी साल पूरे हो जाएंगे।
इंडिया के टॉप 10 टियर -2 सिटी
में शामिल इंदौर का जल्द कायाकल्प होने वाला है। 2028 के उज्जैन सिंहस्थ और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन सिटी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। मास्टर प्लान में इंदौर का दायरा बढ़ाकर 505 वर्ग किमी करने की योजना है। 2050 में अनुमानित 80 लाख आबादी के लिहाज से नई सड़कों के निर्माण, एयरपोर्ट का विस्तार, नया रेलवे स्टेशन, नई रेलवे लाइनें, मेजर रोड और 7500 करोड़ के मेट्रो जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
फोकस केवल ट्रांसपोर्ट या सड़कों पर ही नहीं है, बल्कि अस्पताल, स्मार्ट सिटी, ग्रीन मोबेलिटी, सोलर सिटी, मार्डन लोक परिवहन और एम्यूजमेंट पार्क, 450 करोड़ का स्टार्टअप पार्क, नए इंडिस्ट्रयल एरिया पर एक साथ काम किया जा रहा है, ताकि समग्र विकास का कॉन्सेप्ट धरातल पर आ सके। यह काम लगभग उसी तरह हो रहे
हैं, जिस तरह आंध्र में नई राजधानी के लिए हो रहे हैं।
पहले चरण के कई प्रोजेक्ट इस साल नवंबर-दिसंबर तक पूरे हो जाएंगे। रेलवे और एयरपोर्ट के काम 2026 में पूरा करने का लक्ष्य है। सड़कों, फ्लायओवर और नए बायपास व रिंग रोड 2028 जनवरी से पहले आकार लेंगे।
इंदौर में मेडिकल टूरिज्म डेवलप करने के लिए 1300 बेड के नए एमवाय अस्पताल का प्रस्ताव तैयार हुआ है। इस पर भी काम शुरू होने वाला है। धार रोड पर 300 बेड का नया जिला अस्पताल भी 83 करोड़ में बन रहा है। एमवाय परिसर में ही नया कैंसर अस्पताल निर्माणाधीन है। आधुनिक बस स्टैंड आईएसबीटी के रूप में कुमेड़ी और नायता मुंडला में बनकर तैयार हैं। मेट्रो ट्रेन का गांधी नगर से टीसीएस तक 6 किमी का प्रायोरिटी कॉरिडोर भी बन कर तैयार है। इसका कमर्शियल रन जल्द शुरू होने वाला है।
दो रिंग रोड, 4 बस स्टैंड सहित कई प्रोजेक्ट जारी
तेजी से बढ़ते इंदौर में प्रोजेक्ट की संख्या भी उतनी ही तेजी से बढ़ रही है, लेकिन समय पर काम पूरे नहीं होने से लाभ नहीं मिलता। आर्थिक नुकसान तो है ही।
12 मेजर रोड (MR) बनना हैं शहर में 112 किमी
एमआर में से 52 किमी पर अब भी काम जारी।
17 चौराहों पर फ्लायओवर प्रस्तावित हैं।
78 किमी की दो रिंग रोड 48 किमी का निर्माण, 30 पर काम जारी
18 हजार करोड़ में इंदौर मनमाड़ प्रोजेक्ट बनेगा।
125 एकड़ में एशिया की सर्वश्रेष्ठ मंडी बन रही।
150 किमी के दो आउटर रिंग रोड की भी तैयारी।
नया जिला अस्पताल 83 करोड़ में
पश्चिमी इंदौर के लिए 2016-17 में 300 बेड के अस्पताल की योजना बनाई गई थी। 2018 में इसका निर्माण शुरू हुआ। फिर 14 करोड़ में 100 बेड का बनना तय हुआ। अब दोबारा 300 बेड का अस्पताल 83 करोड़ रुपए में बनाया जा रहा है।
4 नए बस स्टैंड बनाने की योजना
मास्टर प्लान में एक आईएसबीटी और तीन बस स्टैंड बनना तय किया गया है। 100 करोड़ रुपए के आईएसबीटी का काम जून 2020 में और 16 करोड़ की लागत से बनने वाले नायता मुंडला का काम 2021 में शुरू हुआ।
2400 करोड़ में बनेगा स्टार्टअप पार्क
इसे बनाने की कवायद 2014 से चल रही है। पहले विजय नगर चौराहे के समीप प्रस्तावित किया, फिर 2023 में सुपर कॉरिडोर पर एयरपोर्ट के समीप 25 एकड़ जमीन तय की गई। वन विभाग व अन्य आपत्तियों के चलते 2 साल से अटका है।
आधुनिक परिवहन
मेट्रो की रफ्तार से बदलेगी इंदौर के विकास की तस्वीर
प्रोजेक्ट- बेहतर लोक परिवहन के लिए 2014-15 में इसकी शुरुआत की गई। 2017 में रिंग रूट की डीपीआर तैयार हुई। यह 24 किमी तक एलिवेटेड और 8 किमी अंडरग्राउंड बनेगी।
7500 करोड़ रुपए थी लागत, जो अब लगभग दोगुनी हो चुकी है।
अंडर ग्राउंड रूट को लेकर विवाद है। जिन इलाकों में ट्रैक बनाया है, वहां से बहुत कम संख्या में यात्री मिलने की आशंका है।इसलिए जरूरी – एयरपोर्ट से विजय नगर तक पहुंचने का समय आधा रह जाएगा। किफायती भी होगा।
समयावधि – 2025 तक ऑपरेशन का लक्ष्य तय था। अब 2028 तक होने की संभावना।
वर्तमान स्थिति 17 किमी के कॉरिडोर का
60 फीसदी काम हुआ है। रेडीसन के आगे एलिवेटेड का काम तो शुरू हो गया, मामला अंडर ग्राउंड पर अटका है।
लाभ – इससे सुपर कॉरिडोर, एमआर 10 के
आसपास बसाहट को त्वरित साधन मिलने से यहां आवासीय-कमर्शियल विकास तेजी से होगा। लोकल एरिया प्लान से ट्रैक के पास हाईराइज कल्चर जैसे बदलाव होंगे। आईटी-फिनटेक कंपनियां इंदौर की ओर रुख करेंगी। हालांकि अभी वहां उतना ट्रैफिक नहीं है।
जाम से मिलेगी मुक्ति
बायपास पर ट्रैफिक लोड कम करेंगे फ्लायओवर
प्रोजेक्ट – बायपास के आसपास आबादी और ट्रैफिक में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसे देखते हुए एमआर-10 और रालामंडल क्रॉसिंग पर फ्लायओवर बनाए जा रहे हैं।
100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होना है। अभी 55% काम ही पूरा।
इसलिए जरूरी- शहर में प्रवेश की राह आसान
होगी। बायपास के आसपास आवासीय विकास में तेजी आएगी।
समयावधि – जुलाई 2024 तक बनना था। 2025 के अंत तक पूरा होने की संभावना।
वर्तमान स्थिति – ब्रिज का निर्माण चल रहा
है। अभी 50 से 55 फीसदी काम हुआ है। पीयर्स बन रहे हैं। इस साल के अंत तक निर्माण पूरा होने की उम्मीद है।
लाभ – प्रोजेक्ट 10-12 साल पहले एमआर-
10 के निर्माण से ही अपेक्षित था। इसके बनने से बायपास के दोनों ओर आवासीय व कमर्शियल विकास में तेजी आएगी। ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं घटेगी। इस दिशा में शहर का विकास होगा। नगर निगम को भी जन सुविधाएं मुहैया करवाने में आसानी होती।
इंदौर से फ्रैंकफर्ट, दुबई की कनेक्टिविटी अब जरूरी
प्रोजेक्ट – नई हवाई पट्टी बनाना और वर्तमान को विस्तार देने का प्लान है। 1950 एकड जमीन भी आरक्षित है। रन वे अभी 2700 मीटर का है, इसे 4000 मीटर तक बढ़ाएंगे, ताकि बड़े एयर क्राफ्ट भी उतर सकें।
900 करोड़
से अधिक खर्च होंगे पुराने टर्मिनल को विकसित करने में इसलिए जरूरी इंदौर से अमेरिका, यूरोप व अन्य देश जाने के लिए मुंबई या दिल्ली नहीं जाना होगा। एक्सपोर्ट बढ़ेगा।
समयावधि – 2020-21 तक हवाई पट्टी विस्तार का लक्ष्य था। 2026 तक बनने की उम्मीद।
वर्तमान स्थिति – 40-50% काम हुआ।
इमीग्रेशन, क्लीयरेंस सेंटर बने। पैरिशिएबल कार्गो फेसिलिटी काम कर रही। नए एयरोब्रिज, नाइट पार्किंग व एटीआर सुविधाएं बन गई हैं।
लाभ- बड़ा निवेश मिल सकता है। सेंट्रल इंडिया का हवाई अड्डा होने से शहर लॉजिस्टिक, एक्सपोर्ट और पर्यटन का बड़ा केंद्र बन सकता है। वर्तमान में 30 हजार करोड़ का सालाना एक्सपोर्ट होता है। यह 50 हजार करोड़ तक हो सकता है, क्योंकि फूड प्रोसेसिंग, फार्मा व इंजीनियरिंग में संभावनाएं अच्छी हैं।