December 25, 2024

Eclipses : वर्ष 2023 में चार में से दो ग्रहण दिखेंगे भारत में

chandragrahan

उज्जैन,04जनवरी(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)। वर्ष-2023 में दो सूर्य एवं दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। इनमें से भारत में दो दिखाई देंगे और दो नहीं। एक ग्रहण को दिखने के बाद भी ग्रहण की मान्यता नहीं दी गई है। ग्रहण की शुरूआत 23 अप्रेल पूर्ण सूर्यगृहण से होगी। इसके बाद 5 एवं 6 मई की दरमियानी रात प्रतिच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। 14 -15 मई की दरमियानी रात को तीसरा ग्रहण सूर्य ग्रहण होगा।28-29 अक्टोबर की दरमियानी रात चौथा एवं अंतिम ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण होगा।

शासकीय जीवाजी वेधशाला, उज्जैन के प्रभारी अधीक्षक डॉ.आर पी गुप्त के अनुसार वर्ष 2023 में 4 गृहण रहेंगे। वेधशाला का 1942 से अपना एक पंचांग प्रकाशित होता है। यह पंचांग बाजार के पंचांगों से हटकर वर्षभर गृहों की स्थिति को दर्शाता है। गृहों की युती खगोलीय घटनाक्रमों की जानकारी से भरा रहता है।

पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह 23 अप्रेल को पूर्ण सूर्य ग्रहण के रूप में भारत को छोड़कर अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण हिंद महासागर,इण्डोनेशिया,फिलीपिंस एवं दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई देगा। कुछ स्थानों पर यह 100 प्रतिशत दिखाई देगा।

दूसरा ग्रहण प्रतिच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। 5 एवं 6 मई की दरमियानी रात को यह ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण कुछ स्थानों पर 98 प्रतिशत तक दिखेगा। चूंकि खगोल शास्त्र में माना गया है कि प्रतिच्छाया ग्रहण में चंद्रमा का कोई भी भाग पृथ्वी को वास्तविक छाया से नहीं ढंकता है। इसलिए इसे ग्रहण के रूप में मान्यता नहीं है। हालांकि इस ग्रहण को उज्जैन में रात्रि 10 बजकर 42 मिनिट 3 सेकण्ड से मध्य रात्रि 1 बजकर 3 मिनिट 7 सेकण्ड तक देखा जा सकेगा।

तीसरा ग्रहण सूर्य ग्रहण होगा, जोकि 14 -15 मई की दरमियानी रात को लगेगा। यह कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा। यह भारत में दिखाई नहीं देगा। यह केवल हवाई, उत्तर एवं दक्षिणी अमेरिका,मध्य अमेरिका,उत्तरी अफ्रीका, अटलांटिक एवं प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई देगा। इनके कुछ स्थानों पर यह 98 प्रतिशत तक दिखाई देगा।

इस वर्ष का चौथा एवं अंतिम ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह 28-29 अक्टोबर की दरमियानी रात को दिखेगा। यह ग्रहण उज्जैन में दिखेगा। उज्जैन में रात्रि 1 बजकर 4 मिनिट 8 सेकण्ड से मध्य रात्रि 2 बजकर 23 मिनिट 5 सेकण्ड तक देखा जा सकेगा। ग्रहण का क्षेत्र पश्चिमी प्रशांत महासागर,एशिया,यूरोप,अफ्रिका, दक्षिण पूर्व अमेरिका, उत्तर पूर्व अमेरिका,अटलांटिक महासागर,हिंद महासागर क्षेत्र में दिखेगा।

गौरतलब है कि उज्जैन शहर के दक्षिण की ओर क्षिप्रा नदी के पास जयसिंहपुर नामक स्थान में बना यह प्रेक्षा गृह “जंतर महल’ के नाम से जाना जाता है। इसे जयपुर के महाराजा जयसिंह ने सन् 1733 ई. में बनवाया था। उन दिनों वे मालवा के प्रशासन नियुक्त हुए थे। इसका निर्माण 1725 ई. में शुरू हुआ था। कालांतर में इस वेधशाला का कई बार जिर्णोद्धार किया गया है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds