October 10, 2024

नेता चाहते है महानगर बनाना,पुलिस देहाती कस्बा बनाने पर तूली ; ग्यारह बजे बाजार बन्द करने का फरमान

रतलाम,03 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। शहर के निर्वाचित जनप्रतिनिधि नगर को महानगर बनाना चाहते है,लेकिन पुलिस शहर को देहाती कस्बा बनाने पर तूली है। महानगरों में चौबीसों घण्टे व्यावसायिक गतिविधियां चालू रखने पर जोर दिया जाता है,रतलाम की पुलिस नवरात्रि के दिनों में भी रात ग्यारह बजे डण्डे के जोर दुकानें बन्द करवाने निकल पडती है। शहर के बाहरी इलाकों में लगातार चोरी की वारदातें होती है,पुलिस शहर के मुख्य चौराहों पर डण्डे बजाने में व्यस्त रहती है।

कोरोना काल की बन्दिशों में दो साल गुजरने के बाद इस वर्ष त्यौहारों को लेकर जबर्दस्त उत्साह है। शहर में पहले से ज्यादा और अधिक भव्य गरबा पाण्डाल सजाए गए है। बालिकाओं और महिलाओं में भी जबर्दस्त उत्साह है पिछले वर्षों की तुलना में इस बार काफी अधिक बालिकाएं और महिलाएं गरबों में हिस्सेदारी कर रही है। गरबा आयोजनों की अधिकता का असर ये भी है कि बडी संख्या में लोग सपरिवार गरबा देखने निकल रहे है और मध्य रात्रि के बाद तक सड़कों पर जबर्दस्त ट्रैफिक देखा जा सकता है।

कोरोना काल के पहले आमतौर पर नवरात्रि और दीवाली त्यौहारों के दिनों में व्यावसायिक गतिविधियों को मध्य रात्रि तक चालू रखने की अनुमति दी जाती थी। लेकिन इस बार नवरात्रि के शुरुआती दिनों में पुलिस अपनी कस्बाई मानसिकता के चलते साढे दस बजे ना सिर्फ बाजार बल्कि नवरात्रि मेले की दुकानेंं भी साढे दस बजे के बाद बन्द करवाने में लगी थी। जब इसके विरोध में स्वर उठे और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन के सामने यह मुद्दा उठाया,तो नवरात्रि के दिनों में रात बारह बजे तक दुकानें खुली रखने की अनुमति दे दी गई।

व्यावसायिक गतिविधियों को मध्यरात्रि तक चालू रखे जाने की सहमति दिए जाने के बाद भी जमीन पर पुलिस का रवैया नहीं बदला है। पुलिस के जवान रात साढे दस बजे से दुकानदारों को दुकानें बन्द रखने की चेतावनी देने लगते है। रात ग्यारह बजे उनका लहजा थोडा सख्त हो जाता है और साढे ग्यारह बजने तक वे गाली गलौज की अभद्र भाषा का उपयोग करने के साथ डण्डे तक बजाने लगते है और दुकानदारों को मजबूरन दुकानें बन्द करना पडती है।

नवरात्रि में सप्तमी,अष्टमी और नवमी के दिन रात भर गरबे चलते है और माता की आराधना में लगी बालिकाएं और महिलाएं रात भर गरबे करने के बाद सुबह ढोल ढमाकों के साथ नवदुर्गा के विसर्जन के लिए झाली तालाब पंहुचती है। लेकिन कस्बाई मानसिकता वाले पुलिस अधिकारियों को इससे कोई लेना देना नहीं। बीती रात सप्तमी की रात थी और अनेक गरबा स्थलों पर मध्यरात्रि के बाद भी नवदुर्गा की आराधना का क्रम जारी था,लेकिन शहर के तमाम प्रमुख बाजारों में पुलिसकर्मी दुकानें बन्द करने के अभियान में रात ग्यारह बजे ही लग गए थे। गरबा देखने के लिए निकले परिवार खानपान और चाय की दुकानों पर चाय इत्यादि पी रहे थे,लेकिन पुलिसकर्मी उसी समय दुकानदारों को अभद्र भाषा में दुकानें बन्द करने के लिए डांट रहे थे।

पुलिस की कस्बाई मानसिकता का परिचय रेलवे स्टेशन इलाके में भी रोजाना देखने को मिलता है। अमूमन सभी शहरों में रेलवे स्टेशन और बसस्टैण्ड के इलाकों में खानपान की दुकानें पूरी रात चालू रहती है। रतलाम रेलवे का बडा जंक्शन है और रात भर ट्रेनों के आने जाने का क्रम बना रहता है। बडी संख्या में यात्रियों के आने जाने का सिलसिला बना रहता है। कुछ वर्षों पूर्व तक स्टेशन इलाके की दुकानें रात भर खुली रहती थी,लेकिन पुलिस ने अब इस इलाके में भी रात ग्यारह बजे डण्डे बजाने शुरु कर दिए है।

यहां नहीं चलता जोर……

शहर के सभी प्रमुख इलाकों और यहां तक कि रेलवे स्टेशन इलाके में भी पुलिस रात साढे दस ग्यारह बजे डण्डे के जोर पर दुकानें बन्द करवा देती है। हालत ऐसी हो जाती है कि मध्यरात्रि को यदि किसी को दूध या किसी खाद्य सामग्र्री की जरुरत हो तो उसे नहीं मिल सकती। लेकिन शहर में एक ऐसा इकलौता इलाका भी है,जहां पुलिस का जोर नहीं चलता। इस इलाके में रात दो तीन बजे तक न सिर्फ खानपान की दुकानें बल्कि कैरम की दुकानें भी चालू रहती है। शहर का यह इलाका मोचीपुरा चौराहा है। मुस्लिम बहुल इस इलाके में पुलिस का जोर कभी चलता हुआ नहीं दिखाई दिया। मध्य रात्रि के बाद यदि किसी को पान गुटका या सिगरेट की जरुरत लगती है,तो वह बेखटके इस इलाके में जाकर ले आता है।

जहां चोरों का खतरा,वहां पुलिस नदारद

पुलिस की अतार्किक कार्यप्रणाली का एक बडा उदाहरण ये भी है कि शहर के बाहरी दूर दराज के इलाकों में बसी कालोनियों में पुलिस की सक्रियता ना के बराबर है। इन इलाकों में चोरी की वारदातें लगातार होती रहती है। लेकिन पुलिस की गश्त इन इलाकों में नजर नहीं आती। पुलिस की सारी सक्रियता उन इलाकों में नजर आती है,जहां शहर के लोग बडी संख्या में मौजूद रहते है। जबकि तथ्य यह है कि जहां शहर के नागरिक बडी संख्या में मौजूद रहते है,वहां चोरी इत्यादि की वारदातें नहीं होती। शहर के स्टेशन रोड,दो बत्ती चौराहे इत्यादि में लोगों की पर्याप्त आवाजाही रहती है। पुलिस दूर दराज की कालोनियों में गश्त लगाने की बजाय प्रमुख मार्गों पर मौजूद लोगों को डराने धमकाने में व्यस्त रहती है।

कानून व्यवस्था क्र स्थिति के मद्देनज़र दिए आदेश – एसपी अभिषेक तिवारी

पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी का कहना है कि कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए आमतौर पर रात ग्यारह बजे तक दुकानें बन्द किए जाने के आदेश दिए गए है। विशेष परिस्थितियों में इस समय को बढाया भी जाता है। श्री तिवारी का कहना है कि रेलवे स्टेशन इलाके में भी स्थितियों को देखकर समय बढाने का निर्णय लिया जा सकता है। इ खबरटुडे से चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि कई बार देर रात तक दुकानें खुली रहने से विवाद की स्थितियां बन जाती है,इसलिए रात ग्यारह बजे ही दुकानें बन्द करवाई जाती है।

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