Raag Ratlami MLA : “मास्साब से माननीय” बने नेताजी के लिए मुसीबत बना बदला हुआ “अंदाजे बयां”/जमीनखोरो के खिलाफ कार्रवाई की गेंद अब वर्दी वालों के पाले में
-तुषार कोठारी
रतलाम। सियासत में कौन कब क्या बन जाए पता ही नहीं चलता। पिछले चुनाव में देहाती इलाके में एक मास्साब सियासत में आकर माननीय हो गए। मास्साब से माननीय बने तो उनका अंदाजेबयां ही बदल गया। लेकिन सियासत में हर पांच साल बाद परीक्षा देना पडती है। अब परीक्षाएं नजदीक आ रही है,तो लोग कह रहे है कि मास्साब से माननीय बने नेताजी का बदला हुआ अंदाजेबयां उन्हे इस बार परीक्षा पास नहीं करने देगा।
देहाती इलाके में वैसे तो फूल छाप वालों की अच्छी पकड रही है। इसी के चलते मास्साब को माननीय बनने का मौका मिला था,लेकिन माननीय बनने के बाद नेताजी ने जो अदाएं दिखाई,उसका असर ये हुआ कि तमाम देहाती इलाके में लोग उनसे नाराज होने लगे। नाराजगी बढते बढते इतनी बढ चुकी है कि सियासत को समझने वाले अब देहाती सीट को फूल छाप के खाते से निकलते हुए देखने लगे है। सियासती समझ रखने वालों का कहना है कि अगर फूल छाप ने बदलाव ना किया तो जनता खुद बदलाव कर देगी।
वैसे मास्साब से माननीय बने नेताजी को सरकार ने हाल ही में एक नया ओहदा दिया है। इस ओहदे को सम्हालने के लिए माननीय बडे लाव लश्कर के साथ गुड्डु भैया के इलाके में पंहुचे थे। उन्हे लगा कि ये नया ओहदा उनकी आने वाले समय की चुनौतियों को कम कर देगा। लेकिन ऐसा लगता नहीं है। माननीय ने पिछले सालों में गैर तो ठीक अपने वालों को भी नहीं छोडा। तबादले से लेकर किसी भी छोटे मोटे काम को करवाने के लिए,उन्हे चढावा दिए जाने के किस्से अब फिजाओं में गूंजने लगे है।
गांव देहात के लोग वैसे तो बेहद दयालु है,लेकिन जब कोई अपने वाला दिल तोडता है,तो दया के भाव नदारद हो जाते है। ऐसा ही कुछ माननीय के साथ हो रहा है। फूल छाप के कार्यकर्ताओं में भी जबर्दस्त नाराजगी है। माननीय ने सामान्य कार्यकर्ताओं की पूछ परख तो कभी की नहीं,कुछ खास लोगों के कब्जे में ही बने रहे।
तो कुल मिलाकर अब आने वाली परीक्षा में माननीय का पास होना मुश्किल बताया जा रहा है। हांलाकि माननीय को अभी भी इस बात का एहसास नहीं हुआ है कि उनके पैरों तले की जमीन जोशीमठ की तरह धंसकने लगी है। आने वाली परीक्षा में ही इस बात पर मुहर लगेगी कि उनके पैरो तले की जमीन अब पूरी तरह खिसक चुकी है।
कार्रवाई की गेंद वर्दी वालों के पाले में…..
शहर में अवैध कालोनियां बनाने वाले जमीनखोरो का मामला अब वर्दी वालों के पाले में है। निगम वालों ने तो आखिरकार अपने हिस्से का काम पूरा कर गेंद वर्दी वालों के पाले डाल दी। अवैध कालोनियां बनाने वाले तमाम जमीनखोरों को पहले तो गुजरते हुए साल की वजह से राहत मिल गई थी। तब वर्दी वालों का कहना था कि जमीनखोरो के खिलाफ मुकदमें नए साल में ही दर्ज किए जाएंगे। निगम के अफसरों ने बीते हुए साल के आखरी हफ्ते में तमाम जमीनखोरो के खिलाफ शिकायतेंं वर्दीवालों को सौंप दी थी। नए साल का पहला हफ्ता भी अब खत्म हो चुका है। उम्मीद की जा रही थी कि नए साल की शुरुआत में ही जमीनखोरो का हिसाब हो जाएगा,लेकिन पहला हफ्ता गुजर जाने के बावजूद अब तक ऐसी कोई खबर नहीं आई है।
वर्दी वालों के कप्तान का कहना है कि शिकायतें तो उनके पास आ गई है,मगर शिकायतों के साथ दस्तावेज नहीं आए है। दस्तावेज मांगे जा रहे है। दस्तावेज मिलते ही वर्दी वाले अपना काम शुरु कर देंगे और तमाम जमीनखोरो के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर लिए जाएंगे। हांलाकि वर्दी वालों की तरफ से हो रही इस लेटलाली के चलते लोगों को ये लग रहा है कि लेटलाली के पीछे लेनदेन की कहानी का रोल है। वैसे भी वर्दीवालों के हाथ जब भी कोई शिकायत लगती है,पहले तो वे इस शिकायत को पूरी तरह निचोडने में लग जाते है। जिसके खिलाफ शिकायत होती है,उससे जांच के नाम पर लाभ प्राप्त किए जाते है और बाद में अगर कोई दबाव पडता है,तो तब कहीं जाकर मुददमा दर्ज करने की नौबत आती है।
इस मामले में हकीकत क्या है पता नहीं,लेकिन जमीनखोरो के खिलाफ मुकदमें दर्ज होने में हो रही देरी से लोगों के मन में शंका जरुर उपज रही है।
थमा नहीं सरकारी बुलडोजर
जिला इंतजामिया के बडे साहब की सदारत में अवैध कब्जेधारियों और अतिक्रमणों पर चालू हुआ बुलडोजर लगातार चलता जा रहा है। पहले सड़कों को चौडा करने के लिए शहर में चल रहा था,अब शहर के आस पास की सरकारी जमीनों पर चल रहा है। हफ्ते के आखरी दिन बडे साहब ने बुलडोजर चलवा कर करोडों की सरकारी जमीन फिर से सरकार को लौटा दी।
हांलाकि ये अवैध कब्जे नए तरीके के थे। इन कब्जों में जमीन पर कोई इमारत नहीं बनाई गई थी,बल्कि जमीन पर कब्जा जमाकर खेती की जा रही थी। बडे साहब के फरमान पर बुलडोजर के साथ पूरा अमला मौके पर पंहुचा। बडे साहब खुद भी मौके पर मौजूद रहे। कहा जा रहा था कि ये कब्जे बाहुबलियों के है। लेकिन बुलडोजर वाले अमले के सामने कोई बाहुबली नहीं आया और जमीन पर अवैध तरीके से की जा रही पूरी खेती उजाड कर कब्जा मुक्त करा लिया गया। बडे साहब की ये मुहिम आने वाले दिनों में भी जारी रहने वाली है।