November 22, 2024

Petrol-diesel prices: पेट्रोल-डीजल के दामों में आ सकती है और कमी, भारत-अमेरिका समेत अनेक देशों ने लिया बड़ा फैसला

transportation and ownership concept - man pumping gasoline fuel in car at gas station

नई दिल्ली,23 नवंबर (इ खबरटुडे)। पेट्रोल और डीजल के दामों में उत्पाद शुल्क में कमी के बाद तो थोड़ी राहत मिली है, लेकिन कच्चे तेल के दाम ऊंचे स्तर पर बने होने के कारण कीमत अभी भी 95 से 100 रुपये प्रति लीटर के बीच बनी हुई है। इस बीच तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने कीमतों में नरमी के लिए कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी से इनकार कर दिया है। ऐसे में भारत, अमेरिका समेत कच्चे तेल के बड़े उपभोक्ता देशों ने जवाबी रणनीति तैयार की है, ताकि ज्यादा आपूर्ति से दाम खुदबखुद नीचे आ जाएं। सरकार के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि भारत क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी लाने के लिए रणनीतिक तेल भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने की तैयारी कर रहा है।

भारत ने स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व से 50 लाख बैरल तेल जारी करने का फैसला किया है। अमेरिका, जापान, चीन, ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया ने भी ऐसा ही कदम उठाया है। अमेरिका ने 5 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल रिलीज करने का निर्णय़ किया है। भारत लगातार कहता रहा है कि पेट्रोलियम पदार्थों का दाम तार्किक होने चाहिए औऱ बाजार द्वारा तय होने चाहिए न कि उत्पादक देश इसे नियंत्रित करें। भारत औऱ अन्य उपभोक्ता देश तेल की आपूर्ति को बनावटी तरीके से उत्पादक देशों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। इससे कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जिसका बड़े उपभोक्ता देशों पर असर पड़ा है। सरकार ने हाल ही में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर कम किया है। फिर भी दाम उच्च स्तर पर बने हुए हैं। अमेरिकी सरकार ने ओपेक देशों से उत्पादन बढ़ाने का अनुरोध किया था, जिसे अनसुना कर दिया गया।

भारत ने अमेरिका, चीन और अन्य दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ बाजार में ज्यादा कच्चा तेल लाने पर काम कर रहा है। अगले 7-10 दिन में यह कवायद शुरू हो जाएगी। भारत के रणनीतिक भंडार से निकाले जाने वाले कच्चे तेल को मंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड को बेचा जाएगा। ये दोनों सरकारी तेल रिफाइनरी यूनिट रणनीतिक तेल भंडार से पाइपलाइन के जरिये जुड़ी हुई हैं।

अधिकारी का कहना है कि आवश्यकता पड़ने पर भारत अपने रणनीतिक भंडार से और ज्यादा मात्रा में कच्चे तेल की निकासी का भी फैसला ले सकता है। सरकार ने कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जारी तेजी के बीच अन्य देशों के साथ मिलकर इमरजेंसी तेल भंडार से कच्चे तेल का बड़ा भंडार बाहर बाजार में लाने का मन बनाया है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने में मदद मिलेगी। भारत ने अपने पश्चिमी एवं पूर्वी दोनों तटों पर रणनीतिक तेल भंडार स्थापित किए हैं, आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और कर्नाटक के मंगलूरु एवं पदुर में ये भूमिगत तेल भंडार बनाए गए हैं। इनकी कुल भंडारण क्षमता करीब 3.8 करोड़ बैरल की है।

भारत ने यह कदम तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक द्वारा से कीमतों में कमी लाने के लिए उत्पादन बढ़ाने से इनकार करने के बाद उठाने का मन बनाया है। अमेरिका ने भारत के साथ चीन और जापान के एकजुट प्रयास करने का अनुरोध किया था। दूसरे देशों के साथ समन्वय बनाकर रणनीतिक भंडार से तेल निकासी का काम प्रारंभ किया जाएगा. अमेरिकी सरकार इसमें पहल करेगा। गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले हफ्ते दुबई में कहा था कि तेल कीमतें बढ़ने का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था के दोबारा पटरी पर लौटने पर पड़ रहा है। आईआईएफ सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि अगर भारत, अमेरिका समेत बड़े देश रिजर्व भंडार से कच्चे तेल की खेप बाहर लाते हैं तो दामों में कमी दिखाएगी। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिलेगी, लेकिन यह राहत कुछ समय के लिए हो सकती है।

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