December 24, 2024

Land Fraud : धोखाधडी और भ्रष्टाचार के आरोपी भू माफिया राजेन्द्र पितलिया को अवैध तरीके से आंवटित जमीन के मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद,अब तक नहीं हुई आवंटन निरस्ती की कार्यवाही

bodhi

रतलाम,08 जनवरी (इ खबरटुडे)। फर्जी स्कूल के नाम पर नगर निगम की बेशकीमती जमीन को कौडियों के भाव आवंटित कराने के मामले में भू माफिया राजेन्द्र पितलिया के विरुद्ध धोखाधडी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के तीन साल गुजर जाने के बावजूद अब तक नगर निगम ने अवैध रुप से आवंटित भूमि को वापस लेने की कोई कार्यवाही नहीं की है। जबकि ऐसे मामलों में प्रथमदृष्टया अपराध पाए जाने पर सबसे पहले जमीन की लीज निरस्त करने की कार्यवाही की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि जमीनों की हेराफेरी करके करोडों रुपए का साम्राज्य खडा करने वाले भू माफिया राजेन्द्र पितलिया और नगर निगम के तत्कालीन दोषी अधिकारियों के विरुद्ध प्रदेश की आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्ल्यू) द्वारा धोखाधडी की धारा 420 भादवि,आपराधिक षडयंत्र की धारा 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की गंभीर धाराओं के तहत विगत दिनांक 31 अक्टूबर 2017 को आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था। उक्त आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने के बाद आभियुक्त राजेन्द्र पितलिया ने गिरफ्तारी से बचने के लिए जिला न्यायालय से अग्र्रिम जमानत लेने का प्रयास किया था,लेकिन जिला न्यायालय ने अग्र्रिम जमानत के आवेदन को इस आधार पर निरस्त किया था कि ईओड्ब्ल्यू द्वारा प्रकरण में एकत्रित किए गए साक्ष्य से अपराध में अभियुक्त की संलिप्तता प्रथम दृष्टया पाई जाती है,इसलिए अभियुक्त को अग्र्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। जिला न्यायालय द्वारा पूरी तरह यह स्पष्ट कर दिया गया था कि नगर निगम से अवैध तरीके से भूमि आवंटन कराने में राजेन्द्र पितलिया प्रथम दृष्टया दोषी है।
जिला न्यायालय की सुस्पष्ट राय सामने आने के बाद नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों को तुरंत पितलिया को आवंटित जमीन का आवंटन निरस्त करने की कार्यवाही कर देना चाहिए थी। परन्तु राजेन्द्र पितलिया ने अपने धनबल के प्रभाव का उपयोग कर नगर निगम में ऐसी कोई कार्यवाही शुरु ही नहीं होने दी।
एफआईआर हुए को अब तक तीन वर्ष से अधिक समय गुजर चुका है,लेकिन नगर निगम अब तक इस ओर से आंखे मूंदे हुए है।
मजेदार तथ्य यह है कि नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार और धोखाधडी के आरोपी राजेन्द्र पितलिया को उच्च न्यायालय से राहत मिलने का इंतजार करते रहे,ताकि उन्हे पितलिया के खिलाफ तुरंत कोई कार्यवाही ना करना पडे। अपने धनबल के प्रभाव से राजेन्द्र पितलिया अपनी गिरफ्तारी से तब तक बचता रहा,जब तक कि हाई कोर्ट ने उसकी अग्र्रिम जमानत की अर्जी को स्वीकार नहीं कर लिया।
शहर की कई बेशकीमती सरकारी जमीनों की हेराफेरी में आरोपों को झेल रहे भू माफिया राजेन्द्र पितलिया की खासियत यह बताई जाती है कि वे उच्च न्यायालय के निर्णयों की व्याख्या अपने हिसाब से करते है। उन्होने उच्च न्यायालय से मिले अग्र्रिम जमानत के आदेश को कुछ इस तरह से पेश किया जैसे उन्हे मामले से ही बरी कर दिया गया हो।
उच्च न्यायालय के फैसले की राजेन्द्र पितलिया द्वारा की गई व्याख्या को नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने भी सिर माथे लिया और उन्हे अवैध तरीके से आवंटित की गई भूमि को वापस लेने की कोई कार्यवाही नहीं की गई।
एक मजेदार तथ्य यह भी है कि इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री को की गई एक शिकायत के निराकरण में नगर निगम के अधिकारियों ने यह तो माना कि जमीन आवंटन में अनियमितता तो हुई है,लेकिन आवंटन निरस्त करने के लिए एमआईसी और परिषद की बैठक में प्रस्ताव पारित ना होने का बहाना बनाया गया। जबकि नियमानुसार,अनियमितता के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने के लिए निगम के अधिकारी ही सक्षम होते है,उन्हे एमआईसी या परिषद की अनुमति की आïवश्यकता नहीं होती। नगर निगम के अधिकारियों ने यह तर्क पिछली अगस्त में तब दिया,जब कि अभी नगर निगम में निर्वाचित परिषद अस्तित्व में ही नहीं है और निगम के कामकाज प्रशासक देखते है।

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