Vedic clock / उज्जैन में कालगणना की दृष्टि से जन्तर मन्तर पर लगेगी वैदिक घड़ी, भूमि पूजन किया गया
उज्जैन,07 नवम्बर(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)। कालगणना की दृष्टि से लगभग 300 साल पहले जयपुर के महाराजा जयसिंह ने उज्जैन में जन्तर मन्तर(वेधशाला ) का निर्माण कराया था। इसको पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से यहां एक करोड़ 62 लाख रुपये की लागत से वैदिक घड़ी का निर्माण कराया जा रहा है। यह घड़ी वैदिक काल गणना के सिद्धांतों के आधार पर होगी। प्रतिदिन सूर्योदय में होने वाले परिवर्तन तथा देश और दुनिया में अलग अलग स्थानों पर अलग अलग समय पर होने वाला सूर्योदय भी सिंक्रोनाइज होगा।
बहुत जल्द उज्जैन आने वाले पर्यटकों के लिए शासकीय जीवाजी वेधशाला वैदिक घड़ी को लेकर आकर्षण का केंद्र रहेगी। वैदिक घड़ी की एप्लिकेशन में विक्रम पंचांग भी समाहित रहेगा,जो प्रतिदिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त, विक्रम संवत मास, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्योहार, चोघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, प्रमुख अवकाश, आकाशस्य ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि ज्योति:स्वरूप पदार्थो का स्वरूप, संचार, परिभ्रमण, कालग्रहण आदि घटनाओं का निरूपण, तिथि वार, नक्षत्र, योग, करण, आदि की विस्तृत जानकारी अनिवार्य रूप से उपलब्ध करायेगी।
वैदिक घड़ी एप्लिकेशन को मोबाइल, एलईडी, स्मार्ट टीवी, टैब, डिजिटल घड़ी आदि पर अवश्य देखा, दिखाया जा सकेगा। वैदिक घड़ी के बैकग्राउंड ग्राफिक्स में सभी ज्योतिर्लिंग, नवग्रह, राशि चक्र, सूर्योदय, सूर्यास्त आदि रहेगा।उज्जयिनी में दक्षिण की ओर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के दाहिनी तरफ जयसिंहपुरा स्थान पर प्रेक्षाग्रह जन्तर मन्तर महल (वेधशाला)के नाम से जाना जाता है। इसे जयपुर के महाराजा जयसिंह ने 1733 ईस्वी में बनवाया था। जैसा कि भारत के खगोलशास्त्री तथा भूगोलवेत्ता यह मानते आये हैं कि देशांतर रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है। यहां के प्रेक्षाग्रह का भी विशेष महत्व रहा है। यहां चार यंत्र लगाये गये हैं, जिनमें सम्रात यंत्र, नाद वलम यंत्र, दिगांरा यंत्र एवं मिट्टी यंत्र। इन यंत्रों का सन 1925 में महाराजा माधवराव सिंधिया ने मरम्मत करवाया था। रविवार को वैदिक घड़ी निर्माण कार्य का भूमि पूजन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल नगर निगम आयुक्त श्री रोशन सिंह की उपस्थिती में सम्पन्न हुआ।
इंदौर टेक्सटाईल की भूमि पर नगर वन का भूमि पूजन
उज्जैन शहर में हरियाली क्षेत्र में वृद्धि करने एवं वायु प्रदूषण में कमी करने के उद्देश्य से नगर निगम द्वारा चामुंडा माता चौराहा स्थित (इंदौर टेक्सटाइल परिसर) में लघु वन पर्यावरण विभाग के सहयोग से बनाया जा रहा है।प्रदेश के विभिन्न शहरों में पर्यावरण उन्नयन कार्यक्रम अंतर्गत वायु प्रदूषण कम करने एवं हरियाली क्षेत्र विकसित करने के मद्देनजर लघु वन पर्यावरण विभाग के सहयोग से 02 करोड़ की लागत से लघु वन स्थापित किया जाएगा जो पूरी तरह से प्रकृति के अनुरूप होगा। नगर वन मे 3 हजार पौधो का रोपण किया जाएगा जिसमें 56 प्रजाति के पौधों के साथ ही जड़ी बूटी के पौधे लगाए जाएंगे साथ ही परिसर में जो प्राचीन बावड़ी एवं पुरानी निर्माण कार्य है उन्हें पुनः संवारा जाएगा साथ ही सीमेंट का रोड ना बनाते हुए प्राचीन कच्चा मार्ग ही बनाया जाएगा साथ ही ओपन जिम का भी निर्माण किया जाएगा।शहर के 11 ऐसे स्थान जहां पर सर्वाधिक प्रदूषण होता है इनमें से एक चामुंडा माता चौराहा है जहां गाड़ियों एवं बड़े वाहनों की आवाजाही अत्यधिक रहती है इसलिए शहर के मध्य स्थान को चयनित किया गया जहां ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो ऑक्सीजन सर्वाधिक मात्रा में सृजित करेंगे।नगर वन का भूमि पूजन उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव महापौर मुकेश टटवाल ने किया ।