December 25, 2024

discrimination/भारत में महापुरुषों ने जाति और समाज के भेदभाव से दूर रहकर ही देश की संस्कृति को बचाया था,महापुरुषों को जाति और समाज के आधार पर बांटना बंद करो-आचार्य श्री भीमाशंकर जी महाराज

BHIMAHNK

रतलाम,13 मार्च (इ खबरटुडे)। भारत देश में जन्म लेने वाले ऐसे कई महापुरुष हुए है ,जिन्होंने जाति और समाज के भेदभाव को स्वयं से दूर रख कर अपनी संस्कृति को कट्टर और वामपंथियों से हमारे देश को सुरक्षित रखने का प्रयास किया था और आज फिर हमारे देश में जाति और समाज में भेदभाव बढ़ा कर हिन्दू समाज को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। यदि हमे हमारे धर्म और राष्ट को बचाना है तो पुनः उन्ही महापुरुषों की विचार धाराओं को अपने जीवन में उतारना होगा। देश हित में उक्त पंक्तिया सैलाना के पिपलौदा में पधारे आचार्य श्री भीमाशंकर जी महाराज ने भागवत कथा के वाचन के दौरान कहीं।

जानकारी के अनुसार सैलाना के पिपलौदा में 10 दिवसीय भागवत कथा के वाचन के तीसरे दिन पूज्य गुरु देव श्री भीमाशंकर महाराज जी द्वारा कथा के दौरान कथा पांडाल में मौजूद लोगो से अपने देश से प्रेम करने और देश सुरक्षा में समाज के सभी वर्गों को संगठित रहने का आग्रह किया। इस दौरान गुरु देव श्री भीमाशंकर महाराज ने देश के महापुरुषों और उनके बलिदान को लोगो के सामने प्रस्तुत करते हुए बताया कि हमारे देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए कई वीरों ने प्राण न्योछवर किये थे। और आज उनके विचारो को भुलाकर उन्हें उनकी जाति के आधार अपने आप में बांट देना बिल्कुल भी सही नहीं है। वास्तविकता में वे सभी महापुरुष जाति और समाज के मतभेदों में उलझे ही नहीं। लेकिन आज हमारे देश में महाराणा प्रताप को राजपूतो से ,सरदार वल्भभाई पटेल को पाटीदारो से ,वीर तेजाजी को जाट समाज से ,भगवान परशुराम को ब्राह्मणों से ,टाट्या भील को भील समाज से जोड़ कर बाटा जाता है।

लेकिन वास्तविकता में ये सभी महापुरुष उस धर्म के लिए लड़े जिसमे सभी जाति और समाज के लोग थे। जब उन्होंने स्वयं किसी जाति समाज को अलग नहीं समझा तो आज हम उन्ही महापुरुषों को ही जाति और समाज के आधार पर बाँटने वाले कौन होते है। सच तो यह है कि कोई भी जाति-समाज उच्च या निम्न नहीं होता है। उच्च और निम्न तो मनुष्य के कर्म होते है जो वह अपनी बुद्धि से करता है। अगर लड़ना ही है तो अपनी संस्कृति और देश के हित में लड़ो।
इस दौरान कथा पांडाल राष्ट्र भक्ति से परिपूर्ण दिखाई दे रहा था और भारत माता की जय के नारो से गूंज उठा।

आचार्य श्री भीमाशंकर जी महाराज ने कहा कि देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है अपने देश के प्रति वफादार,इस देश को जो खा गए वो देश क्या बचाएंगे।। जिस प्रकार धन जरूरी है,उसी प्रकार धर्म का जीवन मे हिना ज़रूरी है।। लेकिन उन सबसे ऊपर है राष्ट्र धर्म जिसमें देश भक्ति ओर धर्म नही उसके सारी भक्ति बेकार,इसके साथ ही भक्त ध्रुव वृतांत भी बताया।

उक्त कथा का आयोजन पिपलौदा के धर्मप्रेमी और गुरु भक्त रवि प्रताप भाटी और उनके परिवार द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर कथा पांडाल में आज विशेष तौर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवँ मोहन भागवत के निकटम राम चन्द्र खराड़ी विशेष रूप से उपस्तिथ रह कर कथा का रसपान किया और भागवताचार्य भीमाशंकर शास्त्री जा आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर गुरु भक्त और कार्यकम संयोजक अतुल जी गौड़ ,मंडल सदस्य धीरज रुणवाल ,मुकेश पांचाल ,समरथ जी , संजय राठौर ,राकेश जैन उपस्थित रहे।

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