November 25, 2024

छात्राें में छिपी क्षमताआें को सामने लाना शिक्षक का दायित्व -न्यायमूर्ति श्री दीपक वर्मा

विधि महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्धाटन

रतलाम 22 अप्रैल (इ खबरटुडे)। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपक वर्मा ने कहा है कि छात्र-छात्राआें में अपार क्षमताएं छिपी हुई होती हैं।यह शिक्षकाें का दायित्व है कि वे इन क्षमताआें को उभार कर सामने लाएं। उन्हाेंने एकलव्य के दृष्टांत का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में शिक्षक का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा माना गया है। जस्टिस वर्मा शनिवार को डा.कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के शुभारंभ के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दे रहे थे। 

उन्हाेंने कहा कि विद्यार्थियाें की प्रसुप्त प्रतिभाआें को कम नहीं आंका जाना चाहिए। उन्हाेंने छात्र-छात्राआें का भी आव्हान किया कि वे पूरी प्रतिबध्दता, ईमानदारी और कठोर परिश्रम के साथ अध्ययन करें और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हाें। विद्यार्थियाें को चंदन के वृक्ष जैसी प्रकृति रखनी चाहिए जो उसे काटने वालाें को भी सुगंध देता है। जस्टिस वर्मा ने कहा कि महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर शिक्षकाें और छात्राें को यह संकल्प लेना चाहिए कि वे नई शक्ति के साथ परिश्रम करेंगे और बेहतरीन उपलब्धियां हासिल करेंगे।उन्हाेंने इस संदर्भ में भोपाल गैस वेल्फेयर कमिश्नर के रूप में सभी प्रभाविताें को जल्द से जल्द राहत प्रदान करने के चुनौतीपूर्ण कार्य में विधि छात्राें द्वारा दिए गए सहयोग का उल्लेख भी किया। उन्हाेंने इस बात पर जोर दिया कि भोपाल के स्थानीय संस्थान के विधि छात्राें के पूरे सहयोग के चलते ही समय-सीमा में लोगाें को राहत पहुंचाने का लक्ष्य हासिल किया जा सका और 5 लाख 35 हजार प्रकरणाें का निराकरण संभव हुआ।

जस्टिस वर्मा ने अपने उद्बोधन में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32,अनुच्छेद 136 और अनुच्छेद 142 का जि करते हुए इनके तहत की गई अपीलाें के निराकरण की प्रयिा पर भी प्रकाश डाला। उन्हाेंने कहा कि विधि महाविद्यालय ने बीते 5 दशकाें में समाज को अच्छे नागरिकाें के साथ-साथ प्रसिध्द कानूनविद् भी प्रदान किए हैं। उन्हाेंने डा.कैलासनाथ काटजू की प्रतिमा के अनावरण को स्वयं के लिए एक सौभाग्यशाली अवसर बताया। जस्टिस वर्मा ने छात्र-छात्राआें को उनके सुनहरे भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उपलब्धियाें के लिए आकाश ही उनकी सीमा होनी चाहिए। उन्हाेंने आशा व्यक्त की कि विधि महाविद्यालय को भविष्य में और बेहतर उपलब्धियां हासिल हाेंगी।

इस अवसर पर उच्च न्यायालय की इंदौर खण्डपीठ के न्यायमूर्ति मूलचंद गर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि डा.कैलासनाथ काटजू एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ थे। वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के अलावा अन्य महत्वपूर्ण पदाें पर भी आसीन रह चुके हैं। अतएव डा.कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय का छात्र होना गौरव का विषय है। उन्हाेंने कहा कि इस महाविद्यालय ने देश को अनेक विख्यात कानूनविद् दिए हैं। श्री गर्ग ने कहा कि स्थानीय लॉ कालेज में गुणवत्तापूर्ण विधि शिक्षा दी जाती है। जहां अन्य नगराें के छात्र विधि की पढाई के लिए बडे शहराें की ओर प्रस्थान करने को विवश है वहीं रतलाम जिले के विद्यार्थियाें को स्थानीय स्तर पर ही विधि की श्रेष्ठ शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है। उन्हाेंने आशा व्यक्त की कि डा.कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के विद्यार्थी कठोर परिश्रम करते हुए चमकदार उपलब्धियां हासिल करेंगे और विधि के क्षेत्र में प्रदेश और देश में अपने कालेज का नाम रोशन करेंगे। इसके लिए यह जरूरी है कि आचारनीति के उच्च मानदण्डाें का पालन किया जाए।

इस अवसर पर शिक्षाविद् एवं अर्थशास्त्री डा.गौरव वल्लभ ने डा.कैलासनाथ काटजू द्वारा लिखित पुस्तकाें का उल्लेख करते हुए उनकी विद्वता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्हाेंने कहा कि वकालत के लिए व्यक्ति का एक अच्छा मनोविज्ञानी होना बेहद जरूरी है। उन्हाेंने विधि की शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता में सुधार समय की आवश्यकता हैं। डा.वल्लभ ने ब्रिटेन में लिखी गई एक थीसिस का हवाला देते हुए कहा कि विपक्षी की बात को धैर्यपूर्वक व बिना किसी पूर्वाग्रह के सुनने की क्षमता विधि के अध्ययन से ही विकसित होती है। डा.वल्लभ ने इस सिलसिले में महात्मा गांधी का भी जि किया।उन्हाेंने विधि महाविद्यालय में नए डिप्लोमा कोर्स आरंभ करने की पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्हाेंने कहा कि विधि के प्रोफेसर्स की संख्या चिंतनीय रूप से कम है और इस स्थिति में सुधार लाने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं। डा.वल्लभ ने विधि महाविद्यालय की अधोसंरचना को अद्भुत बताते हुए कहा कि संभवत:पूरे देश में 50 वर्ष पूर्ण करने वाले विधि महाविद्यालयाें की संख्या पांच-छह से अधिक नहीं होगी।

इस मौके पर महापौर शैलेन्द्र डागा ने कहा कि विधि महाविद्यालय निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।उन्हाेंने कहा कि सभी नागरिकाें को महत्वपूर्ण अधिनियमाें एवं अन्य कानूनाें की जानकारी होना वांछनीय है। महापौर ने सुझाव दिया कि 10 वीं से 12 वीं तक की कक्षाआें में ऐसे महत्वपूर्ण अधिनियमाें को पाठयसामग्री में सम्मिलित किया जाए। रतलाम नगर विधायक पारस सकलेचा भी विशेष आमंत्रित के रूप में कार्यम में मौजूद थे।

कार्यम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस.के.जैन, कलेक्टर राजेन्द्र शर्मा, एस.पी. डा.रमनसिंह सिकरवार भी मौजूद थे। आरंभ में मुख्य अतिथि जस्टिस दीपक वर्मा ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया। इस मौके पर महाविद्यालय की छात्राआें ने वन्दे मातरम् का गायन किया तथा मां सरस्वती की वंदना भी प्रस्तुत की। रतलाम एज्यूकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष शिव कुमार झालानी तथा सचिव शरद फाटक सहित अन्य पदाधिकारियाें ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियाें का पुष्पहाराें से स्वागत किया। श्री झालानी ने अतिथियाें के सम्मान में स्वागत भाषण दिया। उन्हाेंने विधि महाविद्यालय की स्थापना की परिस्थितियाें का जि करते हुए इस महती कार्य में योगदान देने वालाें का भी उल्लेख किया। उन्हाेंने बताया कि संस्थान के छात्राें द्वारा बीते 50 वर्षो के दौरान गौरवशाली उपलब्धियां हासिल की गई हैं। श्री झालानी ने विशेष रूप से अभिभाषकगण द्वारा कालेज में नि:शुल्क शिक्षण कार्य करने को बडा योगदान निरूपित किया। रतलाम एज्यूकेशनल सोसायटी के सचिव शरद फाटक ने सेटरी रिपोर्ट प्रस्तुत की। अपने भाषण में उन्हाेंने कहा कि यहां विधि की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राएं आज विधि के क्षेत्र में उच्च पदाें पर आसीन है। उन्हाेंने आने वाले वर्षों में महाविद्यालय में नए डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की भी जानकारी दी।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि जस्टिस वर्मा ने पूर्व विधायक एवं रतलाम एज्यूकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष शिव कुमार झालानी और संस्थापक सदस्य अकबर अली एस.आरिफ को सम्मानित किया। विधि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वरिष्ठ अभिभाषकाें दयाशंकर व्यास, मदनलाल ओझा, समरथमल जैन व शांतिलाल लोढ़ा को भी मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। सोसायटी के पदाधिकारियाें ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियाें को स्मृति चिन्ह भेंट किए। मुख्य अतिथि ने विधि महाविद्यालय के श्रेष्ठ उपलब्धि हासिल करने वाले पूर्व छात्राें को भी सम्मानित किया। इनमें डा.अनिल पारे, श्रीमती सईदाबानो रहमान, प्रदीप व्यास, राकेश श्रोत्रिय, सुश्री सुनीता बार्लो, कैलाश यादव, आर.के.श्रीवास,मोहम्मद मूसा खान, कैलाश व्यास,श्रीमती सबा खान, रविन्द्र प्रतापसिंह चुण्डावत, अम्बिकाप्रसाद व्यास, कमलेश भरकुन्दिया व श्रीमती मनीषा बसेर शामिल थे। इस मौके पर मुख्य अतिथि जस्टिस वर्मा ने महाविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया।

कार्यम में रतलाम एज्यूकेशनल सोसायटी के उपाध्यक्ष मधुकांत पुरोहित,कोषाध्यक्ष केदार अग्रवाल तथा सदस्य डा.मनोज सोलंकी,श्रीमती सबा खान, सुभाष जैन, कैलाश व्यास व निर्मल कटारिया भी मौजूद थे। इनके अलावा बार एसोसिएशन के सदस्यगण एवं महाविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष कु. मीनाक्षी सोनी तथा बडी संख्या में छात्र-छात्राएं भी कार्यम में उपस्थित थे।

कार्यम का संचालन कैलाश व्यास व आशीष दशोत्तर ने किया। महाविद्यालय की प्राचार्य श्रीमती अनुराधा तिवारी ने अतिथियाें का आभार माना।

डा.कैलासनाथ काटजू की प्रतिमा का अनावरण

        डा.कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के शुभारंभ के मौके पर मुख्य अतिथि जस्टिस दीपक वर्मा ने महाविद्यालय परिसर में डा.कैलासनाथ काटजू की प्रतिमा का अनावरण किया। मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियाें ने प्रतिमा पर पुष्पहार अर्पित किए।इसके पूर्व महाविद्यालय की छात्रसंघ अध्यक्ष कु.मीनाक्षी सोनी ने मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियाें को तिलक लगाकर उनका स्वागत किया। रतलाम एज्यूकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष शिव कुमार झालानी व अन्य पदाधिकारियाें ने अतिथियाें को बैज लगाकर उनका पुष्पहाराें से स्वागत किया।

 

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