मार्च महीने में इस जंगली सब्जी की खेती से कमा सकते हैं आलू से कई गुना ज्यादा मुनाफा

मार्च महीने में अगर आप भी सब्जी की खेती करना चाहते हैं और कुछ अच्छा खासा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आज ही बंजार पडी भूमि पर सूरन की खेती मार्च महीने में कर सकते हैं सूरन खेती की एक खासियत है कि पूरे खरीफ सीजन तीन ही बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है इसमें खास बात एक और बताई गई है कि मई महीने के बाद इसकी सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती
जिमीकंद और सूरन की सब्जी को शाकाहारी लोगो का मटन भी कहा गया है
सूरन की खेती ज्यादातर मार्च महीने में की जाती है अगर बात करें पैदावार की तो सूरन की खेती पैदावार में आलू से तीन या चार गुना ज्यादा होती है पारंपरिक खेती से हटकर कुछ करना चाहते हैं तो सूरन की खेती कर कर से पांच गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं
आपको बता दें कि रायबरेली के अंदर ज्यादातर क्षेत्रों में जिमीकंद और सूरन सब्जी उगाई जाती है और लोगों का कहना है कि शाकाहारी और पंडित लोगों का मटन भी कहा जाता है शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र सभी जगह के लोगों की यह एक लोकप्रिय सब्जी है.
इन लोगों का कहना है कि सूरन को एक जंगली फसल माना जाता था पहले सूरन की खेती घरों के पीछे थोड़ी बहुत और बगीचों में थोड़ा बहुत लेकिन आज के समय सूरन और जिमीकंद की खेती बड़े स्तर पर की जाती है और खेती कर बहुत ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं अगर किस वैज्ञानिक तरीके से सूरन और जिमीकंद की खेती करे तो 5 से 6 महीने के अंदर एक एकड़ में अपनी लागत का 4 गुना मुनाफा कमा सकते हैं
आपको बता दें कि सूरन की खेती गर्म जलवायु में 35 से 25 डिग्री तापमान के बीच होती है सूरन की खेती के लिए बालू दोमट मिट्टी इसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था भी रखना अति आवश्यक है सूरन का उत्पादन लागत 3 लख रुपए प्रति हेक्टेयर तथा आए लगभग 12 लख रुपए तक की जा सकती है आमतौर पर 6 से 8 माह में तैयार होने वाली फसल है अगर सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है तो 15 मार्च से 15 मई के बीच लगाया जा सकता है अगर पानी की सुविधा कम है तो वहां जून के अंतिम सप्ताह में मानसून शुरू होने पर भी लगा सकते हैं.
सूरन की अच्छी पैदावार लेने के लिए यह 5 टॉप की किस्म चुने
बताया जाता है कि सूरन की तासीर थोड़ी गर्म होती है देसी किस्म का सुरंन खाने से गले के अंदर खुजली की भी समस्या हो सकती है फिलहाल सूरन की कई किस्म को विकसित किया गया है जिसे खाने से खुजली नहीं होती और आज के समय बाजारों में उन किस्मो की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है सूरन की बेहतर और उन्नत किस्म में से एक है, गजेंद्र एन-15, श्री पदमा, कुसुम, अगर इन किस्मों की रोपाई करते हैं तो प्रति एकड़ 20 से 25 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं किसान मौसम के हिसाब से ही उन्नत किस्म का चयन करें