December 24, 2024

सूचना के अधिकार कानून की धज्जियां उडा रहे हैं सीएमएचओ

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स्वास्थ्य विभाग में हो रही गडबडियों को छुपाने के चक्कर में नहीं दे रहे जानकारियां
रतलाम,22 मार्च (इ खबरटुडे)। शासकीय कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए देश में सूचना का अधिकार कानून के रुप में लागू किया गया है। लेकिन अपनी गडबडियों को छुपाने के लिए सीएमएचओ डॉ.पुष्पेन्द्र शर्मा जैसे अधिकारी इस कानून की धज्जियां उडाने में भी कोई संकोच नहीं करते। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत दिए गए आवेदनों पर कोई कार्यवाही ही नहीं की जा रही है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में विगत 5 फरवरी को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया था। अधिनियम के मुताबिक एक माह की अवधि के भीतर आवेदक को इच्छित जानकारी उपलब्ध करा दी जाना चाहिए। परन्तु निर्धारित अवधि के बाद पूरा एक पखवाडा गुजर जाने के बावजूद उक्त कार्यालय द्वारा आवेदक को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
उल्लेखनीय है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में स्वयं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ही लोक सूचना अधिकारी के रुप में नामांकित है। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक को प्रथम अपीलीय अधिकारी के रुप में नामांकित किया गया है।
जब आवेदक को निर्धारित अवधि गुजर जाने के बावजूद इच्छित जानकारी नहीं दी गई,तब आवेदक ने सीधे कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी अर्थात मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पुष्पेन्द्र शर्मा से इस सम्बन्ध में पूछताछ की। डॉ.शर्मा ने भी आवेदक को कोई संतुष्टिजनक उत्तर नहीं दिया। हांलाकि सूचना का अधिकार अधिनियम में अपील का भी प्रावधान है और आवेदक ने इस मामले में अपील करने की तैयारी कर ली है। लेकिन इसके बावजूद यह वास्तविकता अपनी जगह कायम है कि स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का कतई कोई महत्व नहीं है और अपनी गडबडियों व अनियमितताओं को छुपाने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते है।
बजट होगा लैप्स
वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पूर्व शासन द्वारा आवंटित धनराशि का पूरा पूरा उपयोग हो इस उद्देश्य से कलेक्टर राजीव दुबे ने समस्त जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए है कि पूरी धनराशि का उपयोग किया जाए और आवंटित बजट किसी भी हालत में लैप्स नहीं होना चाहिए। जिले का स्वास्थ्य विभाग इस मामले में सबसे फिसड्डी है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते है कि डॉ.पुष्पेन्द्र शर्मा की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर नियुक्ति के बाद से जिले में चल रही विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में शिथिलता आ गई है। केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए करोडों रुपए की राशि जिलों को भेजी जा रही है। रतलाम जिले में काम की स्थिति यह है कि विभाग आवंटित धनराशि का उपयोग ही नहीं कर पा रहा है। महकमे के अधिकारियों की रुचि केवल उन कार्यों में है,जिनमें उन्हे अपना लाभ होता दिखाई दे। इसका परिणाम यह है कि अनेक योजनाओं का बजट लैप्स होने की हालत में है। आवेदक ने स्वास्थ्य विभाग को मिली धनराशि और उसके उपयोग के सम्बन्ध में ही जानकारियों मांगी थी। लेकिन चूंकि अधिकारियों को यह जानकारी देने में अपनी पोल उजागर होने का खतरा था इसलिए उन्होने कानून की धज्जियां उडाने से भी परहेज नहीं किया।

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