November 5, 2024

सीआरपीएफ सिपाहियों की मौत,देश के लिए शर्म और क्षोभ का विषय

भारतीय किसान संघ के महामंत्री प्रभाकर केलकर ने कहा

नई दिल्ली,8 अप्रैल (इ खबरटुडे)। बिहार के औरंगाबाद में सीआरपीएफ के डिप्टी कमाण्डेन्ट व दो जवानों की चिकित्सा सहायता नहीं मिलने से हुई मृत्यु पूरे देश के लिएprabhakarji शर्म और क्षोभ का विषय है। देश की रक्षा में जुटे सिपाहियों के मामले में इस तरह की उदासीनता बरती जाना अक्षम्य अपराध है और देश की जनता को इस संवेदनहीन व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाना होगी। बम को निष्क्रिय करते समय घायल हुए सिपाहियों को घण्टों तक चिकित्सा सहायता नहीं मिलना और आखिरकार उनकी मौत हो जाना पूरे देश के लिए दुखद और शर्मनाक विषय है।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रभाकर केलकर ने कहा है कि इस घटना को देखकर मन क्रोध और निराशा से भर उठा। उल्लेखनीय है कि बिहार के औरंगाबाद जिले में डिबरा पुलिस थाना क्षेत्र में माओवादियों द्वारा बारुदी सुरंगे लगाए जाने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर सीआरपीएफ और पुलिस के कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे। घटनास्थल पर बारुदी सुरंगों का पता लग जाने के बाद बम निरोधी दस्ते को बुलवाने का प्रयास किया गया,लेकिन जब बम निरोधी दस्ते ने वहां पंहुचने से इंकार कर दिया,तब सीआरपीएफ के डिप्टी कमाण्डेन्ट इन्द्रजीत सिंह ने खुद ही इन सुरंगों को हटाने का प्रयास शुरु किया। इसी दौरान बम विस्फोट हो गया और वे गंभीर रुप से घायल हो गए। इस घटना में सीआरपीएफ के दो जवान टी पन्ना एवं पवन कुमार भी घायल हो गए। घायल इन्द्रजीत सिंह और दो जवानों को घटनास्थल से अस्पताल तक ले जाने के लिए दो घण्टे तक तो वाहन की ही तलाश होती रही। मौके पर एम्बूलेंस नहीं थी,आखिरकार एक निजी यात्री बस से घायलों को औरंगाबाद के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। इस सरकारी अस्पताल में दो घण्टों तक घायलों को देखने व उपचार करने के लिए कोई डाक्टर उपलब्ध नहीं था।
डिप्टी कमाण्डेन्ट इन्द्रजीतसिंह चिकित्सकीय मदद की गुहार लगाते रहे। उनकी यह मर्मस्पर्शी गुहार टीवी के जरिये पूरे देश को दिखाई दे रही है। डिप्टी कमाण्डेन्ट कहते रहे कि उन्हे फौरन चिकित्सकीय मदद की जाए। वे कहते रहे कि उन्हे हैलीकाफ्टर के द्वारा किसी बडे चिकित्सालय  ले जाया जाए अन्यथा वे जीवित नहीं बच पाएंगे,लेकिन दो घण्टों तक वे चीखते रहे। किसी ने उनकी एक ना सुनी। करीब दो ढाई घण्टे बाद किसी तरह हैलीकाप्टर की व्यवस्था की गई और उन्हे रांची के अपोलो अस्पताल ले जाया गया,लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। इन्द्रजीत सिंह व उनके साथ घायल हुए दोनो जवानों ने आखिरकार दम तोड दिया।
भाकिसं के महामंत्री श्री केलकर ने कहा है कि यह घटना देशवासियों की आंखे खोलने के लिए पर्याप्त है। देश की व्यवस्था इतनी संवेदनहीन है कि देश की सुरक्षा में लगे सिपाहियों को समय पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध नहीं करा पाती है। इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से मन क्रोध और निराशा से भर गया है। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए आवश्यक है कि व्यवस्था को संवेदनशील बनाया जाए और इसके लिए आवश्यक है कि देश का जनमत अपनी आवाज मुखर करें। उन्होने देशवासियों से आव्हान किया है कि व्यवस्था को संवेदनशील बनाने के लिए जहां भी संभव हो अपनी आवाज को मुखर करें,जिससे कि व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आ सके। उन्होने जागरुक नागरिकों से आव्हान किया है कि इस मुद्दे को पूरी ताकत के साथ सोश्यल मीडीया में उठाए,जिससे कि व्यवस्था में बदलाव आए और देश की सुरक्षा में जुटे किसी सिपाही को फिर कभी इस तरह अपनी जां ना गंवानी पडे।

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