November 9, 2024

रतनगढ़ माता मंदिर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने चढ़ाया देश का विशाल घंटा

मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिये हर संभव सुविधाएँ जुटाई जायेंगी

भोपाल 17 अक्टूबर (इ खबरटुडे)।ऐतिहासिक एवं पवित्र रतनगढ़ माता मंदिर पर आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश का विशालतम एवं सबसे वजनी घण्टा (ध्वनि-यंत्र) अर्पित किया। अर्पण से पहले श्री चौहान ने सपत्नीक घण्टे की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिये हरसंभव सुविधाएँ जुटाई जायेंगी।

घण्टे की स्थापना के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ माता मंदिर एवं कुँअर बाबा मंदिर में पहुँचकर पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र एवं स्थानीय सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद भी उनके साथ थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पवित्र रतनगढ़ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिये सुविधाएँ जुटाने में सरकार धन की कमी नहीं आने देगी। उन्होंने कहा कि मंदिर तक श्रद्धालु सुविधाजनक तरीके से पहुँच सकें, इसके लिये सिंध नदी पर पहले से बने पुल के समानान्तर एक और पुल बनाया जायेगा। साथ ही गौराघाट से मंदिर तक सभी सड़क का निर्माण किया जायेगा। श्री चौहान ने कहा कि मंदिर परिसर में यात्रियों के लिये धर्मशाला का निर्माण भी करवाया जायेगा। इन सब कार्यों के लिये राज्य शासन द्वारा जल्द ही कार्य-योजना तैयार की जायेगी।

इस मौके पर विधायक भारत सिंह कुशवाह, घनश्याम पिरौनिया और प्रदीप अग्रवाल, जिला पंचायत ग्वालियर की अध्यक्ष श्रीमती मनीषा यादव और दतिया जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती रजनी प्रजापति सहित स्थानीय जन-प्रतिनिधि एवं श्रद्धालु मौजूद थे।

21 क्विंटल वजनी है घण्टा, बजाने पर निकलती है मीठी धुन

मंदिर पर अर्पित किया गया अनूठा एवं आकर्षक घण्टा लगभग 21 क्विंटल वजनी है। देश के किसी भी मंदिर में स्थापित यह सबसे बड़ा घण्टा बताया जा रहा है। घंटे को टाँगने के लिये लगाए गए एंगल व उन पर मढ़ी गई पीतल और घंटे के वजन को जोड़कर लगभग 50 क्विंटल वजन होता है। इस घण्टे को प्रख्यात मूर्ति शिल्पज्ञ प्रभात राय ने तैयार किया है। घण्टे से मधुर ध्वनि पैदा हो, इसके लिये इसमें टिन धातु का उपयोग विशेष रूप से किया गया है। घण्टे के निर्माण में 55 प्रतिशत से अधिक तांबा और 35 प्रतिशत के लगभग जिंक तथा अन्य धातुओं का उपयोग किया गया है।

इस बड़े घंटे में उन श्रद्धालुओं व भक्तजनों के अंश व आस्थाएँ शामिल हैं, जो पहले मंदिर में छोटे-छोटे घंटे चढ़ाकर गए हैं। इन छोटे-छोटे घंटों को गलाकर इस घंटे को तैयार किया गया है।

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