December 27, 2024

प्रधानमंत्री आवास योजना से एक गांव में एक साथ बने 36 घर

smar village

झाबुआ,09 फरवरी (इ खबरटुडे)। प्रधानमंत्री आवास योजना में झाबुआ जिले की कालाखूट पंचायत में भगत फलिए में स्वीकृत 48 घर में से एक साथ 36 घर बन गये हैं। इस आदिवासी बाहुल्य जिले में खेतों में मकान बनाकर रहने की परम्परा की वजह से फलिए बनाए जाते हैं। एक फलिए में 10 से लेकर 50 मकान तक हो जाते हैं। भगत फलिए में 450 ग्रामीण रहते हैं। डेढ़ लाख रुपये प्रति हितग्राही सरकारी मदद से फलियेवासी का आवास का सपना पूरा हुआ है।

जिला मुख्यालय से करीब 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित झाबुआ जनपद की कालाखूंट पंचायत में चार गांव कालाखूंट, खटापानी, पिटोल छोटी और पांचनाका आते हैं। वर्ष 2016-17 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यहाँ 285 आवास स्वीकृत हुए थे। इनमें से 122 आवास पूर्ण हो चुके हैं एवं 66 मकानों की स्वीकृति हाल ही में मिली है। इसके अलावा भगत फलिए में 48 मकान स्वीकृत हुए थे।

शासकीय रिकार्ड में भगत फलिया बना मोदी फलिया
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान बन जाने से ग्राम पंचायत कालाखूंट में 2 अक्‍टूबर को ग्राम सभा में प्रस्तावित पारित कर भगत फलिए का नाम बदलकर मोदी फलिया रखा है। झाबुआ जनपद के पंचायत इंस्पेक्टर बाबूलाल मेडा का कहना है कि फलियों का नामांकरण हमेशा से ही गांव की चौपाल पर बैठकर ही तय किया जाता है। इससे फलियों की पहचान स्पष्ट हो जाती है। नाम बदलने का मामला पहली बार हुआ है। अब शासकीय रिकार्ड में भी भगत फलिया का नाम बदलकर मोदी फलिया दर्ज हो गया है।

झाबुआ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में दूर-दूर मकान होने के कारण फलियों के आधार पर ही ग्रामीण का पता लगाया जा सकता है। जिस तरह शहरी क्षेत्र में वार्ड होते हैं, उसी तरह यहां के गांव में फलिए का कुछ न कुछ नाम होता है। कभी जाति, तो कभी विशेष व्यक्ति अथवा पद के आधार पर तो कभी मंदिर के आधार पर फलिए का नाम रखा जाता है।

हितग्राही वसना लालचंद बबेरिया का कहना है कि पहले उनका कच्चा मकान था लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना के कारण उन्हें पक्का मकान मिला। वहीं नेहा सवना बबेरिया का कहना है कि लम्बे समय से वे मकान के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस बार गरीबी रेखा की सूची के आधार पर उन्हें मकान मिल गया। अन्य हितग्राही लीलाबाई हज्जी बबेरिया और शंकर पूर्णिया का कहना है कि अब पक्का मकान हो जाने से बरसात की सारी दिक्कते खत्म हो गई हैं।

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