पर्दे के पीछे से चलेगा असंतोष का ‘वार’
दोनों ही प्रमुख प्रत्याशी के साथ अन्य भी अछूते नहीं
उज्जैन,28 मार्च (इ खबरटुडे)। लोकसभा चुनाव 2014 को लेकर उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र पर प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये गये। प्रत्याशियों ने प्रचार-प्रसार भी प्रारंभ कर दिया है। प्रत्याशी घोषणा के साथ ही असंतोष का स्वर भी मुखरित हुआ है। कुछ हद तक असंतोष के स्वर को दबा लिया गया है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि असंतोष की यह वार पर्दे के पीछे से जारी रहेगी। कांग्रेस-भाजपा के साथ आप भी इससे अछूती नहीं कही जा सकती है।
उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र पर वर्तमान में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू का कब्जा है। वर्ष 2009 के चुनाव में तत्कालीन सांसद भाजपा के डॉ. सत्यनारायण जटिया के खिलाफ असंतोष की लहर चल पड़ी थी। इसका परिणाम हार के रुप में सामने आया। वैसे तो हार बहुत यादा मतों के अंतर से नहीं रही लेकिन यह खास बात थी कि इस चुनाव में कई दिग्गज धराशायी हो गए। डॉ. जटिया के साथ ही देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा महासचिव थावरचंद गेहलोत, मंदसौर सीट से एल.एन. पाण्डे जैसे नेताओं को पलटकर देखना पड़ा। असंतोष की वार के चलते ही यह स्थिति बनी थी। इस बार भी हालात किसी भी दल के पक्ष में नहीं कहे जा सकते हैं।
भाजपा प्रत्याशी को कई खतरे
लोकसभा चुनाव 2014 के लिये भाजपा ने विक्रम विश्वविद्यालय दर्शन शास्त्र अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. चिंतामणि मालवीय को प्रत्याशी घोषित किया है। डॉ. मालवीय मूलत: संघ से जुड़े रहे हैं। उन्हें संघ के उम्मीदवार के रुप में ही देखा जा रहा है। वैसे इस सीट पर भाजपा महासचिव थावरचंद गेहलोत, डॉ. सत्यनारायण जटिया सहित कई दिग्गजों ने अपनी दावेदारी जताई थी। व्यक्तिवादी राजनीतिक व्यवस्था से परे रहते हुए भाजपा ने इस सीट पर नये उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। गुटीय राजनीति पर नियंत्रण के लिये भी पार्टी की ओर से यह रणनीति लगाई गई है। इसके बावजूद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा प्रत्याशी को असंतोष की वार का सामना न करना पड़ा। पूर्व विधायक गोविन्द परमार की ओर से हाल ही में असंतोष जताया गया है। इसके साथ ही कुछ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी को असंतोष के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे जिले के 7 विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के विधायक काबिज हैं। विधानसभा चुनाव 2013 में 7 विधानसभा क्षेत्रों में करीब सवा लाख वोट की जीत का अंतर यहां से है। लोकसभा चुनाव में यह अंतर किस स्तर पर आता है, इस बात से तय होगा कि असंतोष का वार कितना चल पाता है।
कांग्रेस में मनुहार का दौर
वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव में प्रेमचंद गुड्डू ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने इस सीट पर लंबे अंतराल के बाद अपनी जीत दर्ज की है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिये यह सीट इस बार प्रतिष्ठा का प्रश्न बनेगी। कांग्रेस सांसद और स्थानीय कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के बीच सामंजस्य का अभाव शुरुआती दौर से ही बना हुआ है। पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. बटुकशंकर जोशी, पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती, पूर्व विधायक कल्पना परुलेकर सहित कई कांग्रेस नेताओं के साथ सांसद प्रेमचंद गुड्डू समन्वय नहीं बैठा सके। या यूं कहें कि थ्री सी पर सही तरीके से काम नहीं हो सका। इसमें संगठन की कमजोरियां भी कई स्थानों पर सामने आई हैं। समन्वय, सम्पर्क और संवाद की स्थितियों के पर्याप्त नहीं बन पाने के कारण वर्तमान में सांसद को सामंजस्य बैठाने के लिये मशक्कत करना पड़ रही है। इसके बाद भी यह बात पूरे जोर से नहीं कही जा सकती है कि असंतोष के वार से वे अछूते रह जायेंगे। पर्दे के पीछे से कहीं न कहीं असंतोष का वार होना तय माना जा रहा है।
आप में भी ‘दरार’
भाजपा और कांग्रेस पार्टी को जहां असंतोष के वार का डर सता रहा है वहीं नये दल के रुप में सामने आये आप पर भी दरार का डर बरकरार है। आप ने उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र से अनिता हिंडोलिया को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसे लेकर अंदर खाने में कहीं न कहीं असंतुष्टि का अभाव देखने को मिला है।
कल से नामांकन दाखिल होंगे
निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार 29 मार्च से नामांकन दाखिल करने का दौर शुरु हो जायेगा। तीसरे दौर में उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र के लिये 24 मार्च को मतदान होना है। 29 मार्च से नामांकन दाखिल करने का सिलसिला शुरु होते ही और भी कई सारे असंतोष बाहर निकल आयेंगे।