कर्मचारियों की इ अटैन्डेन्स योजना का विरोध अब भोपाल तक पहुंचा,विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्तुत
रतलाम,26 मार्च (इ खबरटुडे)। जिला प्रशासन द्वारा शासकीय कर्मचारियों की इ अटैन्डेन्स के लिए चालू करवाए गए लोकसेवक एप का विरोध तूल पकडता जा रहा है। इस मामले में जहां कर्मचारियों ने सूचना के अधिकार के तहत प्रशासन से कई जानकारियां मांगी है,वहीं शिक्षा विभाग में चालू की गई इ अटैन्डेन्स को लेकर विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना प्रस्तुत की गई है।
प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेशभर के शिक्षकों की इ अटैन्डेन्स योजना के लिए एम-शिक्षा मित्र एप बनवाकर समस्त शिक्षकों के लिए एन्ड्राईड फोन खरीदना अनिवार्य किया गया है। इस योजना को लेकर शिक्षक समुदाय आक्रोशित है और प्रदेश भर में इसका विरोध किया जा रहा है। इस योजना के प्रदेशव्यापी विरोध को देखते हुए विधायक रामनिवास रावत ने इस सम्बन्ध में विधानसभा अध्यक्ष को ध्यानाकर्षण सूचना दी है।
विधायक रामनिवास रावत ने अपनी ध्यानाकर्षण सूचना में कहा है कि एम शिक्षा मित्र एप की व्यवस्था को लागू करने में कई व्यावहारिक दिक्कतें आ रही है। अनेक शिक्षकों के पास एन्ड्राइड मोबाइल नहीं है। अनेक दूरस्थ ग्रामीण विद्यालयों में इन्टरनेट कनेक्टिविटी नहीं मिलती। कई शिक्षक अब भी स्मार्ट फोन को उपयोग करना नहीं जानते। ऐसी स्थिति में इ अटैन्डेन्स योजना लागू करना व्यावहारिक नहीं है।
ध्यानाकर्षण सूचना में कहा गया है कि एक ओर तो शिक्षा विभाग ने स्कूल समय में एन्ड्राइड फोन का उपयोग करने पर शिक्षकों के विरुध्द कार्यवाही करने के निर्देश दे रखे है। वहीं अब एम शिक्षा मित्र एप के कारण शिक्षकों को विद्यालय समय में ही एन्ड्राइड मोबाइल का उपयोग करना अनिवार्य हो जाएगा। इसका विपरित असर बच्चों के शिक्षण भी पडेगा। इसके अलावा इ अटैन्डेन्स योजना के कारण शिक्षकों को ऐसा लग रहा है,जैसे उन्हे निगरानीशुदा बदमाशों की श्रेणी में ला दिया गया है। एक ओर तो प्रदेश के हजारों शासकीय विद्यालय शिक्षक विहीन पडे है,वहीं दूसरी ओर सरकार शिक्षकों को निगरानीशुदा बदमाशों के समकक्ष लाकर खडा कर रही है। सरकार ने करोडों रु.इस अदूरदर्शितापूर्ण और अव्यावहारिक योजना पर खर्च कर डाले है। इससे समस्त शिक्षक समुदाय में तीव्र रोष और असन्तोष है।
सूचना के अधिकारी में मांगी जानकारी
इधर रतलाम जिले में सभी विभागों के कर्मचारियों के लिए इ अटैन्डेन्स योजना लागू कर सभी कर्मचारियों को लोकसेवक एप डाउनलोड करने के निर्देश दिए गए है। सभी कर्मचारी संगठन एकसाथ इसके खिलाफ खडे हो गए है। कर्मचारियों ने इस सम्बन्ध में सूचना के अधिकार के तहत जिला प्रशासन से यह जानकारी भी मांगी है कि शासन के किस आदेश के तहत यह योजना लागू की गई है। लोकसेवक एप को बनाने पर कितनी राशि व्यय की गई है और यह किस मद से व्यय की गई है। कर्मचारियों का कहना है कि इस एप को बनवाने और मेन्टेन करने पर जो हजारों रुपए व्यय किए जा रहें है वे कहां से किए जा रहे हैं।
डाटा लीक का खतरा
निजी कंपनी से एन्ड्राईड एप बनवाए जाने से शासकीय कर्मचारियों के डाटा लीक का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। लोकसेवक एप एक निजी कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। उक्त निजी कंपनी ने रतलाम से पहले कटनी जिला प्रशासन को यह एप उपलब्ध करवाया था। एप डाउनलोड करने वाले प्रत्येक कर्मचारी को लागिन व पासवर्ड जारी किया जाता है। लोकसेवक एप पर लागिन करने वाले प्रत्येक शासकीय कर्मचारी की अनेक जानकारियां सर्वर पर पंहुच जाती है और एप विकसित करने वाली कंपनी जब चाहे इस डाटा का दुरुपयोग कर सकती है। कर्मचारियों का कहना है कि शासन के पास स्वयं का एप विकसित करने की क्षमता है। यदि शासन को इ अटैन्डेन्स योजना लागू करना है,तो निजी कंपनी से एप बनवाने की बजाय शासन को स्वयं ही ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए,जिससे कि डाटा लीक का कोई खतरा ना रहे।