उपचुनाव से पहले ही मंत्री पद से हट जाएंगे सिलावट-राजपूत
भोपाल,30 सितंबर(इ खबर टुडे)। प्रदेश की सत्ता का भविष्य तय करने के लिए हो रहे 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कुछ चीजें पहली बार होंगी। पहले बार 14 मंत्री उपचुनाव लड़ेंगे।
मतदान से पहले तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री नहीं रहेंगे। दोनों ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 21 अप्रैल को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
नियमानुसार कोई भी ऐसा व्यक्ति छह माह से अधिक अवधि के लिए मंत्री नहीं रह सकता है, जो विधानसभा का सदस्य न हो। इस हिसाब से 21 अक्टूबर को दोनों मंत्रियों की यह समयसीमा समाप्त हो जाएगी।
इस समयसीमा में उपचुनाव की प्रक्रिया भी पूरी नहीं होगी। दोनों अपनी परंपरागत सीटों से उपचुनाव लड़ रहे हैं और तीन नवंबर को मतदान होगा। नतीजे दस नवंबर को आएंगे। वहीं, पहली बार उपचुनाव समय पर न होने की वजह से दो विधानसभा की सीटें छह माह से अधिक अवधि तक रिक्त रही हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था।
इसी वजह से कमल नाथ सरकार गिर गई थी और चौथी बार शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया गया और इसमें मंत्री पद छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई।
विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि प्रविधान यही है कि छह माह तक ऐसे व्यक्ति को मंत्रिपरिषद का सदस्य रखा जा सकता है, जो विधानसभा का सदस्य नहीं है। इस अवधि में उसका सदस्य निर्वाचित होना जरूरी नहीं है।
यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो निर्धारित अवधि के बाद स्वमेव संबंधित व्यक्ति मंत्री पद पर नहीं रहता है। 21 अक्टूबर को सिलावट और राजपूत को मंत्री बने छह माह हो जाएंगे। आदर्श आचरण संहिता प्रभावी हो चुकी है और अब मंत्रिमंडल का विस्तार भी नहीं हो सकता है।
उधर, यह भी पहली बार हो रहा है कि कोई विधानसभा की सीट छह माह से अधिक अवधि तक रिक्त रही हो। जौरा सीट कांग्रेस विधायक बनवारीलाल शर्मा और आगर मनोहर ऊंटवाल के निधन की वजह से रिक्त हुई थी। विधानसभा सचिवालय ने सीट रिक्त घोषित कर उपचुनाव कराने के लिए सूचना चुनाव आयोग को दे दी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से चुनाव आयोग ने उपचुनाव नहीं कराए।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि महामारी की स्थिति को देखते हुए कानूनी प्रविधानों के अनुसार ही चुनाव नहीं कराए गए थे। अब सभी 28 विधानसभा सीटों के लिए एक साथ उपचुनाव हो रहे हैं।
दोबारा मंत्री बनाने का उदाहरण नहीं
विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव ईसराणी का कहना है कि छह माह की अवधि पूरी होने के बाद मंत्री पद स्वमेव चला जाएगा। ऐसे किसी व्यक्ति को दोबारा मंत्री बनाए जाने का उदाहरण नहीं है, जो विधानसभा का निर्वाचित सदस्य न हो।
यह व्यवस्था सिर्फ आपात स्थिति के लिए रखी गई है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि किसी भी व्यक्ति को छह-छह माह कर पूरे पांच साल मंत्री बनाकर रखा जा सके। यह संविधान की भावना के खिलाफ होगा।