November 5, 2024

मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी पर दर्ज हो आपराधिक प्रकरण

भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रभाकर केलकर ने कहा

रतलाम, 27 अप्रैल (इ खबरटुडे)। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रभाकर केलकर ने यहां कहा कि देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विरुध्द पद और गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन करने तथा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के विरुध्द प्रधानमंत्री को शपथ उल्लंघन करने हेतु दुष्प्रेरित करने का आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।  श्री केलकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दस वर्षीय कार्यकाल में देश की सुरक्षा और अन्य संवेदनशील मुद्दों से जुडी अत्यन्त गोपनीय और महत्वपूर्ण सूचनाएं कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के माध्यम से लीक होने की भी गहराई से जांच होना चाहिए ,जिससे यह पता चल सके कि इन सूचनाओं के लीक होने से देश को दूरगामी प्रतिकूल परिणाम तो नहीं झेलने पडेंगे।
श्री केलकर यहां इ खबर टुडे से विशेष चर्चा कर रहे थे। उन्होने कहा कि भारत में प्रत्येक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को अपने पदग्रहण के पूर्व भारतीय संविधान की शपथ लेना आवश्यक है,और जब कभी विधायक या सांसद को मंत्री बनाया जाता है तो उसके लिए पद और गोपनीयता की शपथ लेना अनिवार्य होता है। देश का प्रधानमंत्री भी पदग्रहण करने से पूर्व पद और गोपनीयता की शपथ लेता है और इस शपथ का निर्वाह अनिवार्य लोकतांत्रिक दायित्व है। यह शपथ भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७५(४) के अन्तर्गत ली जाती है। लेकिन यदि प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति पद और गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन करता है,तो यह निश्चित ही आपराधिक कृत्य है,जिस पर अविलम्ब कार्यवाही की जाना जरुरी है। जिस व्यक्ति ने शपथ तोडने के लिए दुष्प्रेरण किया,उसके विरुध्द भी आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए।
श्री केलकर ने  प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार रहे संजय बारू द्वारा लिखित पुस्तक द एक्सीडेन्टल प्राइम मिनीस्टर का हवाला देते हुए कहा कि इस पुस्तक के सामने आने से यह तथ्य निर्विवाद रुप से साबित हो गया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पद और गोपनीयता की शपथ का खुला उल्लंघन किया है। प्रधानमंत्री के विचार के लिए आने वाली प्रत्येक फाइल और प्रत्येक विषय को वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताया करते थे,जबकि श्रीमती सोनिया गांधी की संवैधानिक हैसियत मात्र एक सांसद की थी। प्रधानमंत्री के सामने देश की सुरक्षा जैसे अत्यन्त संवेदनशील और अति महत्वपूर्ण विषय लाए जाते है। संविधान ने यह व्यवस्था दी है कि इस प्रकार के अति संवेदनशील और गोपनीय विषयों की गोपनीयता पूर्णत: सुरक्षित रहना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दस वर्षीय कार्यकाल में गोपनीयता की शपथ का बार बार खुला उल्लंघन होता रहा।  संयज बारू की पुस्तक से साफ होता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोई भी निर्णय लेने को स्वतंत्र नहीं थे,और प्रत्येक फाइल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास भेजी जाती थी। एक सौ बीस करोड की जनसंख्या का मुकुटमणि कहलाने वाला प्रधानमंत्री पद,एक तरह से बंधक बना कर रख लिया गया था। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि इस पूरे मामले की अत्यन्त गहराई से जांच की जाए कि इन दस वर्षों में कौन कौन सी महत्वपूर्ण सूचनाएं स्वयं प्रधानमंत्री के जरिये लीक हुई और इसकी वजह से कहीं देश की सुरक्षा या हितों पर कहीं दूरगामी प्रतिकूल परिणाम तो नहीं पडा।
श्री केलकर ने कहा कि इस पूरे मामले में जहां देश की सुरक्षा जैसा अतिमहत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा  जुडा हुआ है,वहीं देश के विकास को बाधित करने का मुद्दा भी जुडा हुआ है। संजय बारू की पुस्तक से यह साफ है कि प्रधानमंत्री के पास विचार के लिए आने वाली प्रत्येक फाइल प्रधानमंत्री के निर्णय से पहले कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती गांधी को भेजी जाती थी और श्रीमती गांधी की सहमति के बाद ही मनमोहन सिंह इस पर हस्ताक्षर करते थे। देश के विकास से जुडी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की फाइलें भी मनमोहन सिंह के दस वर्षीय कार्यकाल के दौरान उनके समक्ष लाइ गई होंगी। विकास से जुडी इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं की फाइलें भी मनमोहन सिंह ने हस्ताक्षर करने से पूर्व अनुमति के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के पास भेजी होंगी। कांग्रेस अध्यक्ष के विचार करने के कारण इन परियोजनाओं की स्वीकृती इत्यादि में बेवजह देरी होती रही होगी। इस तरह देश के विकास को अवरुध्द करने का अपराध भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती गांधी द्वारा किया गया है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दसवर्षीय कार्यकाल की अत्यन्त सूक्ष्मता से जांच कर इस पर कार्यवाही की जाना आवश्यक है।
श्री केलकर ने कहा कि संजय बारू की पुस्तक से यह भी स्पष्ट हुआ है कि केन्द्रीय मंत्रीमण्डल के सदस्य भी प्रधानमंत्री को कोई महत्व नहीं देते थे। मंत्रीमण्डल के सदस्यों की नियुक्ति में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कोई दखल नहीं था। इसी वजह से दूरसंचार विभाग ए.राजा को दिया गया और इसकी परिणीती टू जी घोटाले के रुप में सामने आई। इस प्रकार यूपीए सरकार में हुए ढेरों घोटालों के आपराधिक षडयंत्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी भी पूरी तरह शामिल है। इन मामलों में भी उनकी संलिप्तता के आधार पर कार्यवाही की जाना चाहिए।

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