December 24, 2024

मध्यप्रदेश ने रचा 24.99 प्रतिशत कृषि विकास दर का इतिहास

आर्थिक विकास दर में बड़े राज्यों में अव्वल
प्रति व्यक्ति आय में 350 प्रतिशत से अधिक वृद्धि

भोपाल 31 मई(इ खबरटुडे)।  बीते कुछ वर्षों से मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में की जा रही पुरजोर कोशिशों के चलते मध्यप्रदेश ने कृषि विकास दर का नया इतिहास रच दिया है। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2013-14 के अग्रिम अनुमान के अनुसार मध्यप्रदेश में कृषि विकास दर 24.99 प्रतिशत रही। इसमें पशुपालन भी शामिल है।

उल्लेखनीय है कि कृषि के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिये भारत सरकार द्वारा लगातार दो वर्ष से मध्यप्रदेश को प्रतिष्ठित कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजा जा रहा है। वर्ष 2012-13 में प्रदेश की कृषि विकास दर 20.16 प्रतिशत तथा वर्ष 2011-12 में 19.85 प्रतिशत रही थी।

कृषि क्षेत्र में आधार वर्ष 2004-05 में सकल घरेलू उत्पाद से आय 31238.30 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 69249.89 करोड़ रुपये हो गई। इस प्रकार आधार वर्ष की तुलना में यह वृद्धि 121 प्रतिशत है। प्रदेश में वर्ष 2004-05 में गेहूँ का उत्पादन 73 लाख 27 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 193 लाख मीट्रिक टन हो गया है। इसी तरह सोयाबीन उत्पादन 37 लाख 60 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 50 लाख मीट्रिक टन और चावल का उत्पादन 13 लाख 09 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 69 लाख 50 हजार मीट्रिक टन हो गया है। इन फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल 104 लाख 80 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 140 लाख 15 हजार हेक्टेयर हो गया, जो 34 प्रतिशत अधिक है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012-13 में सभी खाद्यान्नों में 278 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था। इसमें कुल गेहूँ 161 लाख मीट्रिक टन था। सकल अनाज के उत्पादन की वृद्धि में इस प्रकार मध्यप्रदेश गत वर्ष की तुलना में दोहरे अंक से ज्यादा की बढ़त हासिल करते हुए देश में सर्वाधिक कृषि उत्पादन वृद्धि वाला राज्य बना।

नवाचारी योजनाएँ

कृषि के क्षेत्र में नवाचारों में भी मध्यप्रदेश आगे रहा है। विशेष रूप से उल्लेखनीय पहल जो मध्यप्रदेश में हुई उसमें जीरो प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, बीज उत्पादन सहकारी समितियों का विस्तार, गेहूँ, धान, मक्का, चने के खाद्यान्नों में बीज प्रतिस्थापन दर में उल्लेखनीय वृद्धि प्राप्त करना, कृषि केबिनेट का गठन, हलधर योजना के माध्यम से किसानों के खेतों में गहरी जुताई, रिज एण्ड फरो का वितरण, श्री पद्धति से धान उत्पादन, संकर मक्का का 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को वितरण, यंत्रदूत ग्राम योजना में 139 ग्राम को विकसित किया जाना, उर्वरक के अग्रिम भंडारण की योजना, ई-उपार्जन जैसे अभिनव नवाचारों को विशेष रूप से मध्यप्रदेश में अपनाया गया। सिंचित क्षेत्र का भी तेजी से विस्तार हुआ, जिससे गेहूँ और अन्य सिंचित फसलों की उत्पादकता बढ़ी।

आर्थिक विकास

प्रति व्यक्ति आय प्रचलित मूल्यों पर

वर्ष                प्रति व्यक्ति आय

2004-05             15,442

2005-06             16,631

2006-07             19,028

2007-08             20,935

2008-09             25,278

2009-10             28,651

2010-11             32,453

2011-12             37,979

2012-13             44,989

2013-14             54,030

केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा वर्ष 2013-14 के लिये जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार मध्यप्रदेश की सकल राज्य घरेलू उत्पाद दर स्थिर मूल्यों पर 11.08 प्रतिशत है। देश के बड़े राज्यों में यह सबसे अधिक है। आधार वर्ष 2004-05 में मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 112926.89 करोड़ था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 238526.47 करोड़ हो गया है। इस प्रकार आधार वर्ष की तुलना में वित्तीय वर्ष 2013-14 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद में 111 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

प्रति व्यक्ति आय

मध्यप्रदेश की प्रति व्यक्ति आय में आधार वर्ष की तुलना में 350 प्रतिशत से अधिक की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में प्रचलित मूल्यों पर मध्यप्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 15 हजार 442 थी, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 54 हजार 30 रुपये हो गई है। यह वृद्धि लगातार हर वर्ष होती आ रही है।

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