स्वास्थ्य सेवाओं में कसावट से जनसामान्य में प्रसन्नता
लेकिन कुछ भ्रष्ट और निकम्मे कर्मचारी कसावट से परेशान
रतलाम,17 जून (इ खबरटुडे)। नवागत कलेक्टर डॉ.संजय गोयल द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में कसावट लाने के लिए की जा रही कडी कार्यवाहियों से जहां जनसाधारण में प्रसन्नता हैं वहीं,शासकीय सेवा में होकर मक्कारी करने वाले चिकित्सकों के एक वर्ग में निराशा और आक्रोश का माहौल है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ कतिपय भ्रष्ट और मक्कार चिकित्सक,अस्पताल के अन्य बहुसंख्य कर्मठ चिकित्सकों को किसी तरह भडकाने के प्रयासों में जुट गए हैं,जिससे कि जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में सुधार लाने के प्रयासों को रोका जा सके।
कलेक्टर डॉ.संजय गोयल स्वयं एक विशेषज्ञ चिकित्सक है। उन्होने रतलाम जिले का कार्यभार सम्हालने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के प्रयास प्रारंभ कर दिए थे। डॉ. गोयल ने सबसे पहले शहर के दो निजी चिकित्सालयों समर्पण हास्पिटल और अग्रवाल नर्सिंग होम पर छापा मारकर इन अस्पतालों में चल रही अनियमितताओं पर रोक लगाई थी। उक्त दोनो अस्पताल अब तक बंद है और निकट भविष्य में भी इनके फिर से प्रारंभ होने के कोई आसार नहीं है। इन दो अस्पतालों में से एक समर्पण अस्पताल,शासकीय जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक दम्पत्ति डॉ.पीआर सिंह और मंजूङ्क्षसह का था। जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आए थे,कि समर्पण हास्पिटल में शासकीय दवाएं उपयोग में लाई जा रही थी। इसी आधार पर पुलिस ने डॉ.पुष्पराज सिंह और मंजूसिंह के विरुध्द आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया है।
निजी अस्पतालों से शासकीय चिकित्सकों की सम्बध्दता और जिला चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं को देखते हुए कलेक्टर डॉ.गोयल ने जब जिला चिकित्सालय को सुधारने का अभियान प्रारंभ किया,तो अस्पताल में पदस्थ बहुसंख्य कर्मठ और अच्छे चिकित्सकों में तो इसकी अच्छी प्रतिक्रिया सामने आई,लेकिन कतिपय भ्रष्ट और मक्कार चिकित्सकों को यह अभियान नागवार गुजरा।
कलेक्टर ने चिकित्सालय के ओपीडी में मरीजों की भारी भीड उमडने के मद्देनजर प्रथम श्रेणी चिकित्सकों को भी अपनी सेवाएं देने के निर्देश जारी किए थे। कतिपय मक्कार चिकित्सकों को ये निर्देश उनके अपमान जैसे लगे,जबकि मरीजों की भीड को देखते हुए सिविल सर्जन ने स्वयं भी ओपीडी में मरीज देखना प्रारंभ कर दिया था। इसी तरह सर्जरी के मरीजों को आने वाली कठिनाईयों को देखते हुए डॉ.गोयल ने सर्जरी के मरीजों का पृथक से रजिस्ट्रेशन करने की योजना बनाई ताकि उन्हे सर्जन की सेवाएं समय पर प्रदान करवाई जा सके। अभी यह योजना क्रियान्वित भी नहीं हो पाई थी कि मक्कार चिकित्सकों में घबराहट बढने लगी और मक्कार चिकित्सकों के इस धडे ने किसी न किसी तरह इस अभियान को रोकने के प्रयास प्रारंभ कर दिए।
चिकित्सा व्यवसाय से जुडे सूत्रों के मुताबिक शासकीय सेवा में रत चिकित्सकों को इस बात पर भडकाने की कोशिश की जा रही है कि उनका अपमान किया जा रहा है। भ्रष्ट चिकित्सक,इस प्रयास में है कि किसी तरह सभी चिकित्सकों को राजी कर हडताल करने और सेवा छोडने जैसी धमकियां देकर अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने के अभियान को रोका जा सके। सूत्रों के मुताबिक चिकित्सकों की संस्था में भी इस विषय को लाने के प्रयास किए जा रहे है। भ्रष्ट चिकित्सकों की दिक्कत यह है कि वे नाम के लिए तो शासकीय सेवा में है,लेकिन उनका अधिकांश समय निजी चिकित्सालयों में काम करके मोटी फीस कमाने में गुजरता है। कलेक्टर डॉ.गोयल ने शहर के निजी चिकित्सालयों को इस सम्बन्ध में कडी हिदायत दी है कि यदि उनके नर्सिंग होम में शासकीय चिकित्सक काम करता पाया गया,तो नर्सिंग होम को इसका खामियाजा भुगतना होगा।
अब देखना यह है कि जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं सुधारने के इस अभियान मे जुटे जिला चिकित्सालय के कर्मठ चिकित्सक और कलेक्टर डॉ.संजय गोयल अपने अभियान में सफल होते हैं या जिला चिकित्सालय में ही कार्यरत कतिपय भ्रष्ट और मक्कार चिकित्सक अपनी हठधर्मिता के चलते इस अभियान को रुकवा पाते है। बहरहाल शहर के आम और गरीब लोग तो यही चाहते है कि शासकीय चिकित्सालय में उन्हे अच्छी सेवाएं निशुल्क मिले और इसके लिए प्रशासन मक्कार कर्मचारियों पर कडा नियंत्रण रखे।