November 25, 2024

सहकारिता के माध्यम से बढ़ सकती है शोषित पीडितो की क्रयशक्ति- श्री देवांगन

शनिवार से प्रारम्भ होगा सहकार भारती का दो दिवसीय सम्मलेन

रतलाम 11 जुलाई (इ खबर टुडे)।  सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री विजय देवांगन ने कहा की देश में विकेन्द्रीकृत व्यवस्था के माध्यम से नई रोशनी निकलनी चाहिए। सहकारिता ही ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से समाज का नवनिर्माण हो सकता है। लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। रोजगार के अवसर सृजन हो सकते हैं। सामान्य जन की आर्थिक समृध्दि हो सकती है। मीडिया से जुडे लोगों को चाहिए कि वह समाज को खड़ा करने के लिए अपनी भूमिका का निर्वाह करे। क्योंकि यह वर्ग भी ऐसा है जो समाज को सही दिशा दे सकता है।
श्री देवांगन ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए यहां कहा कि समाज के नवनिर्माण में सहकार भारती एक एनजीओ के रूप में कार्य कर रहा है। हमारा मानना है कि राष्ट्रवादी सहकारी बंधुओं के विचार विनिमय से सहकारिता की शुध्दि, वृध्दि एवं समृध्दि हो सकती है तथा अन्तिम पंक्ति में बैठे शोषित, पीडित बंधुओं की क्रय शक्ति बढ़ाकर उन्हें भारत के विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। इस समय देश में 5 लाख 61 हजार से अधिक सहकारी संस्थाएं हैं जिसमें देश की 27 करोड़ जनता कार्यरत है। सहकार भारती परिवार के बंधुओ द्वारा 105 नागरीय सहकारी बैंक 2 हजार से अधिक ेडिट साख सहकारी संस्थायें 40 हजार स्वयं सहायता समूज, 4 लाख से अधिक स्वंय सहायता की देखरेख, अनेक प्रदेशो में सहकारी गृह निर्माण, उपभोक्ता, सहकारी कारखान, जिसमें कृभको जैसी संस्थाएॅ  एवं अन्य सहकारी संस्थाओं का संचालन हो रहा है ।
हम प्रत्येक तीन वर्षो में प्रदेश एवं देश का अधिवेशन करते है । इस वर्ष हमारे 15 रायों का अधिवेशन है जिसमें 7 रायों का सम्पन्न हुआ है 8 वॉ राय मध्यप्रदेश का 12-13 जुलाई को रतलाम में होने वाला है। जिसमें सहकारिता से जुडे विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श होगा। कई सहकारिता नेता इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। उद्धाटन 12 जुलाई को दोपहर 12 बजे बिरियाखेड़ी स्थित सिंधु भवन में होगा
उन्हाेंने कहा कि  ”देश में अच्छे दिन आयेगे ? कैसे आवेगे ? कौन लायेगा ? किसके बदौलत आवे ? कौन मार्ग होगा जिससे अच्छे दिन आवेगे अच्छे दिन का अर्थ क्या है ? सहकारी भारती मानती है कि देश की सामान्य जनता तक पोषक तत्वा वाला भोजन की उपलब्धता। सभी को आवश्यक वस्त्र की उपलब्धता। सभी परिवारो को सामन्य छत अर्थात मकान। सबके लिये शुध्द पेयजल की व्यवस्था। सभी परिवार की चिकित्सा सुविधा। देश के भविष्य बच्चों को उसके रूचिनुसार, परिवार शिक्षा की व्यवस्था कर सके उतना साधन। हर गॉव व गली में पहुॅच मार्ग। आवश्यक पर्याप्त विद्युत आपूर्ति एवं दूरसंचार। अच्छे रोजगार के लिये कुशलता विकसित करने का पर्याप्त उपम। आम लोगो की सुरक्षा। पर्यावरण एवं सामाजिक सुरक्षा।
श्री देवांगन ने कहा कि देश में इस समय 10 से 20 रू कमाने वाला वर्ग 23 प्रतिशत अर्थात 27 करोड लोग हैं। 20 से 50 रू. कमाने वाला 20 प्रतिशत अर्थात 23 करोड़ के लगभग लोग हैं। 50 से 100-200 रू कमाने वाला वर्ग लगभग 25-26 प्रतिशत अर्थात लगभग 30 प्रतिशत लोगों को समृध्दि की मुख्य धारा में खड़ा करना होगा इसके अलावा 22 करोड़ से भी अधिक बेरोजगारो को रोजगार मुहैया करवाना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारा मानना है अच्छे दिन इनके भाग्य परिवर्तन से होगा। यह परिवर्तन कोई कार्पोरेट घराना पध्दति, योजना से नहीं होगा न केवल प्राइवेट सेक्टर, व्यवसायिक सेक्टर, न ही पूंजीवाद से, समाजवाद से और न ही साम्यवाद से होगा यह सबसे अधिक होगा सहकारिता वाद से, सहकारी तंत्र से और होगा देश की सामान्य जनता की भागीदारी से।
इतिहास  गवाह है किसी भी देश का निर्माण वहॉ की सरकार ने नहीं किया । देश बनता है वहॉ के नागरिकों के कौशल व परिश्रम से समर्पण से । दुर्भाग्य से आजादी के बाद अब तक सरकार करेगी ऐसा भाव जनता में निर्माण हुआ है और उसका पोषण सत्ता में बैठे नेताओं ने किया है । आज इसी का दुष्परिणाम है कि कि लोग सबसिडी अथवा सस्ते मूल्य की अनाज प्राप्त कर अपनी कर्मशक्ति से दूर जा रहे है, राष्ट्र की मानवीय शक्ति का हास हो रहा है । देश की जनता की भागीदारी के बिना देश की जनता की भागीदारी के बगैर यह संभव नहीं ।
जब यह कहेगे कि अच्छे दिन आयेगे तो देश की जनता दूर हो जायेगा । शब्द प्रयोग होना चाहिये देश में अच्छे दिन आयेगे तब देश की जनता की भागीदारी होगी।
राष्ट्रीय महामंत्री जीतू भाई व्यास ने कहा कि देश में जिस गुजरात मॉडल की चर्चा होती है वह सहकारिता पर ही आधारित है। अमूल डेरी ने सहकारिता में क्रान्ति ला दी है जहां 27 लाख माताएं कार्य कर रही हैं जिनकी दूध से करोड़ों रुपए की आय होती है। सिंचाई, गृह निर्माण के क्षेत्र में भी सहकारिता ही मुख्य आधार है। रिजर्व बैंक जिस तरह कार्य कर रहा है उससे सहकारिता में बाधा उत्पन्न हो रही है जिस पर भी केन्द्र सरकार को विचार करना होगा। उन्होंने बताया कि गुजरात की नागरिक बैंकों ने विदेशों  में भी अपनी ब्रांचे खोलने की योजना बनाई है। गुजरात में सहकारी आन्दोलन जिस तरह से आगे बड़ा है वह अन्य रायों के लिए भी एक मिसाल है।
यह जानकारी देते हुए मालवा प्रान्त के मीडिया प्रभारी शरद जोशी ने दी। श्री जोशी ने बताया कि पत्रकार वार्ता में मालवा प्रान्त के अध्यक्ष रामचन्द्र गोयल, जिलाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा, संगठन प्रमुख सुभाष मण्डवारिया, महामंत्री रमेश बदलानी, नगर अध्यक्ष सुनील पोरवाल, डॉ. दिनेश पोरवाल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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