राग रतलामी/ शहर की फिजाओं में तैरती डरावनी खबरें,कई पार्टियां फेल होने की तैयारी में
-तुषार कोठारी
रतलाम। शहर की फिजाओं में इन दिनों कुछ डरावनी खबरें तैर रही है। जिधर जाईए उधर चर्चा है कि कुछ बडी पार्टियां फेल होने वाली है। इनमें खान पान सेवाओं से जुडे लोग है,तो कपडे के कारोबारी भी है। चिकित्सा व्यवसाय से जुडे लोग है,तो मनोरंजन व्यवसाय से जुडे लोग भी। कुछ पार्टियां तो फेल हो भी चुकी है। शहर की कारोबारी दुनिया में एक बडा भूचाल सा आता दिखाई दे रहा है और मजेदार बात यह है कि देश में चल रही मंदी का इसमें कोई रोल नहीं है। ये भूचाल तो किसी और ही वजह से आ रहा है।
दीवाली के दिनों में तो बाजार तेजी पर होता है,और है भी। लेकिन इन्ही दिनों में बडी पार्टियों के फेल होने की बातें भी है। जानकार लोगों का कहना है कि ये सारा गडबडझाला,प्रापर्टी के चक्कर में हुआ है। शहर में प्रापर्टी का धन्धा लंबे समय से फलता फूलता रहा है। पिछले कुछ सालों में कई सडक़छाप लोग प्रापर्टी की बदौलत प्रापर्टीवाले हो गए। प्रापर्टी हर किसी को ललचाने लगी। दलालों का जलवा इतना बढा कि हर कोई दलाल बनने के चक्कर में लग गया। जमे जमाए दलाल,इन्वेस्टर को जरुरत न होने पर भी इन्वेस्ट करने के लिए उकसाने लगे। जमीने,मल्टियां और बडी प्रापर्टियां सारे इन्वेस्टर्स को इसी में धन नजर आने लगा। तमाम के तमाम लोग प्रापर्टी के लिए खुद की औकात से दुगुनी तिगुनी रकम के कर्जे लेने लगे। उन्हे उम्मीद थी कि प्रापर्टी लेने के फौरन बाद उसकी कीमत बढ जाएगी और सारे कर्जे चुक जाएंगे,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रापर्टी तो आ गई,लेकिन भाव नहीं बढे। खरीददार ही नहीं मिले। नतीजा सामने है,पार्टियां फेल होने की स्थिति में है और कर्जा देने वालों की सांसे चढी हुई है। कहने वाले कह रहे है कि दीवाली के बाद इस तरह के कई धमाके होने की आशंका है।
मैडम जी की नाकामी से, पंजा पार्टी की उम्मीदें जवां
शहर सरकार के चुनाव की हलचलें अब तेज होने लगी है। सरकारी अफसरो ने पंजा पार्टी के मनमुताबिक नए वार्ड बनाकर जनता के सामने रख दिए है। फूल छाप वाले इस नई जमावट को देख कर गुस्सा हो रहे हैं। कोई कोर्ट जाने की तैयारी में है,तो कोई बयान जारी करके अपनी नाराजगी जता रहा है। फूल छाप वालों का कहना है कि सरकारी लोगों ने पंजा पार्टी के कहने पर उनके हिसाब से नए वार्ड बनाने की तैयारी की है,ताकि चुनाव में पंजा पार्टी को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। सूबे के चुनाव में पंजा पार्टी ने भले ही सरकार बना ली,लेकिन पंजा पार्टी को ये अच्छे से समझ में आ रहा था कि अगर शहरी चुनाव पुराने तौर तरीकों से हुए,तो पंजा पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है। और अगर ऐसा हो गया,तो इसकी आंच सूबे की सरकार तक भी आएगी। यहीं वजह थी कि पंजा पार्टी ने चुनावी प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया। पहले शहर के प्रथम नागरिक को जनता सीधे चुनती थी,लेकिन पंजा पार्टी ने ये हक अब पार्षदों को दे दिया है। अब जनता केवल पार्षदों के लिए वोट देंगे और फिर पार्षद तय करेंगे कि महापौर कौन होगा? इतना करने पर भी पंजा पार्टी को खुद पर भरोसा नहीं हो रहा था। इसलिए शहर दर शहर जमावट बदलने की तैयारी की गई। हर शहर के वार्डों का नक्शा ही बदल दिया गया। पहले के जो वार्ड थे,उनके मोहल्लों में बदलाव कर ऐसी जमावट कर दी गई ताकि पंजा पार्टी को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। पंजा पार्टी की ये सारी जमावट में उपरी तौर पर पंजा पार्टी को फायदा दिलाने के लिए हुई,लेकिन पंजा पार्टी के ही कुछ जानकारों का कहना है कि इस सारी जमावट की आड में कई बार दल बदल चुके दादा ने अपना खेल भी खेल लिया। कुछ जमावटें ऐसी कर डाली,जिससे कि पंजा पार्टी के भीतर दादा की दादागिरी बढ सके। पंजा पार्टी के कुछ समझदार इससे नाराज भी है।
लेकिन,जब इतना कुछ हो गया है,तो पंजा पार्टी के नेताओं के मन में लड्डू भी फूटने लगे है। शहर सरकार का सिरमौर बनने का सपना न जाने कितनों ने संजो लिया है। जिसको देखो,वही अपने आपको शहर सरकार के सिरमौर के रुप में देख रहा है। कोई रोकडें की जुगाड में लगा है,तो कोई उपर वाले आकाओं को साधने की जुगत कर रहा है। इसी चक्कर में कई सारे लोग लगातार झाबुआ तक की दौड लगाते रहें है। नगर निगम की मैडम जी के कारण भी पंजा पार्टी के नेताओं की उम्मीदें जोर मार रही है। उन्हे लगता है कि मैडम जी ने पिछले पांच सालों में शहर का जो भट्टा बैठाया है उसका फायदा भी पंजा पार्टी को ही मिलने वाला है।
तरक्की पर शहर,सडक़ों पर फायर
लगता है शहर की तरक्की हो रही है। लेकिन ये तरक्की विकास के मामले में नहीं बल्कि जरायम के मामले में है। जरायमपेशा लोगों के हौंसलें बुलंद होते दिख रहे है। बदमाशों का हौंसला, भरे बाजार में फायर करने तक बढ चुका है। पहले ऐसी खबरें बडे शहरों से आती थी,लेकिन अब हमारे शहर में भी इस तरह की खबरें पैदा होने लगी है।