राग रतलामी/कोरोना का कहर त्यौहारों पर,सबसे बुरा असर नेताओं पर
-तुषार कोठारी
रतलाम। नवरात्रि का पूरा पर्व कोरोना की भेंट चढ गया। ना तो कालिका माता में मेला सजा और ना ही गरबा पाण्डाल सजे। शहर में यूं तो कई जगह दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की गई लेकिन गरबों की धूम नदारद ही रही। कोरोना के चलते इंतजामियां की सख्ती के चलते कहीं कोई आयोजन ना हो सका। दीवाली का भी इस बार ऐसा ही हश्र होने की पूरी आशंका है।
त्यौहारों के सूने सूने रह जाने से गरबा खेलने वाली बालिकाएं युवतियां.उन्हे देखने आने वाले युवक,गरबा पाण्डालों के आयोजक,मेले में आने वाले दुकानदार,मेले में खरीददारी के लिए जाने वाले महिला पुरुष बच्चे सभी दुखी हुए। लेकिन त्यौहारों के सूने रह जाने का सबसे बडा दुख नेताओं को महसूस हुआ। नवरात्रि में गरबे होते,तो इन गरबा प्रांगणों में होने वाली दुर्गा पूजा में नेताओं को शामिल होने का मौका भी हाथ लगता। दुर्गापूजा करने जाते तो वहां मौजूद लोगों में उन नेताओं के नाम गूंजते। इसका कुछ ना कुछ फायदा तो नेताओं को चुनाव में जरुर मिलता। लेकिन ये सारी बातें धरी रह गई। ना त्यौहार मना और ना नेताओं को अपनी इमेज चमकाने का मौका ही मिल पाया।
शहर के तमाम नेताओं को पूरा भरोसा है कि विधानसभा उपचुनाव होने के तुरंत बाद में नगर निगम चुनाव की सरगर्मिया शुरु हो जाएंगी। वार्डो का आरक्षण तो हो ही चुका है। विधानसभा चुनाव के बाद महापौर पद की स्थिति भी जल्दी ही साफ हो जाएगी। रतलामी बन्दों को पूरा भरोसा है कि इस बार महापौर का पद पिछडा वर्ग के खाते में जाने वाला है। इसी लिहाज से पिछडा वर्ग वाले नेताओं के अरमां जवां होने लगे है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ पुरुष नेता ही उम्मीदें लगा रहे महिला नेत्रियां भी इसमें पीछे नहीं हैे। पंजा पार्टी की आपा से लगाकर फूल छाप की पटरी पार वाली मैडम तक,हर कोई यही सोच रहा है कि उससे ज्यादा मजबूत दावेदार कोई हो ही नहीं सकता। तमाम नेताओं का अंदाजा है कि दीवाली के फौरन बाद चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगेंगी और तब उन्हे पूरी ताकत से इसमें जुटना पडेगा। महापौर पद की लाटरी किस वर्ग के लिए खुलेगी यही फिलहाल सबसे बडा सवाल है। तभी यह तय हो पाएगा कि कौन सी पार्टी कैसा प्रदर्शन कर पाएगी।
वर्दीवालों की वाहवाही
पिछले दो हफ्ते वर्दी वालों के लिए बेहद खास साबित हुए। पहले तो वर्दी वालों ने बापू नगर इलाके में चल रहे जिस्मफरोशी के ठिये का भण्डाफोड कर दिया। जब वर्दी वालों का यह कारनामा आम लोगों तक पंहुचा,तो लोग सन्न से रह गए। रतलाम को बडा ही सुसभ्य शहर मानने वालों के लिए ये खबर जोर का झटका देने वाली थी। हांलाकि कुछ लोगों को इस खबर से ये फीलींग भी आई कि अब रतलाम महानगर बनने की राह पर चल पडा है। इससे पहले तक ऐसे किस्से बडे शहरों में ही सुने जाते थे। ये रतलाम के लिए शायद पहला मौका था कि इतना बडा रैकेट सामने आया। वर्दी वालों का यह भी कहना है कि अभी इसमें और भी नए खुलासे हो सकते हैैं। अगर ऐसा हुआ तो फिर तो यह पक्का हो जाएगा कि अब रतलाम शहर तरक्की की राह पर है और महानगर बनने की तरफ बढ रहा है। इस तरह के किस्से कहानियां बडे शहरों में ही होते है। वर्दी वालों ने एक और बडा कारनाया कर दिखाया। दूर दराज के एक गांव में बनाई जा रही नकली शराब की फैक्ट्री का भण्डाफोड भी वर्दीवालों ने कर दिया। फैक्ट्री भी इतनी बडी कि लगता है जैसे वो सरकारी फैक्ट्रियों से काम्पिटिशन कर रहे थे। फैक्ट्री चलाने वाले कुछ तो पकड मेंआ चुके है,बाकियों की खोजबीन जारी है। वर्दीवालों का यह कारनामा सामने आने के बाद अब सवाल यह पूछा जा रहा है कि ये काम तो मदिरा वाले महकमे का था। फैक्ट्री वर्दीवालों ने पकडी तो मदिरा वाला महकमा क्या कर रहा था?
मैडम की दबंगई
फूल छाप की पटरी पार वाली मैडम ने पिछले दिनों इलाके में निजी काम से आए एक निजी इंजीनियर को जमकर खरीखोटी सुनाई। मैडम ने इंजीनियर को इतना धमकाया कि अगर वो फौरन मैडम के पास ना पंहुचा तो मैडम निगम में जाकर उसकी कुटाई कर देंगी। निजी काम से आए निजी इंजीनियर को पहले तो समझ में ही नहीं आया कि उसे क्यों धमकाया जा रहा है? बाद में उसकी समझ में आया कि मैडम जी उसे सरकारी इंजीनियर समझ कर धमका रही है। जबकि उसका सरकार से कोई लेना देना ही नहीं था। बस फिर क्या था,फिर इंजीनियर साहब ने मैडम की जमकर खबर ले ली। इंजीनियर साहब को इस पर भी बेहद आश्चर्य हुआ कि सरकारी इंजीनियरों मेंं मैडम की जलीकटी सुनने की कितनी क्षमता है?