रतलाम:सूचना के अधिकार कानून का मखोल उड़ने पर हाईकोर्ट में याचिका स्वीकार
रतलाम,10 जनवरी (इ खबरटुडे)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सूचना के अधिकार कानून का हर स्तर पर मखोल उड़ने पर याचिका दर्ज कर ली है। न्यायमूर्ति वंदना कसरेकर ने रतलाम नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी और आयुक्त के खिलाफ याचिका दर्ज करने के साथ उन्हें नोटिस जारी करने के आदेश दिए है। इस मामले में उनकी पेशी 24 फरवरी 2020 को नियत की गई है।
याचिकाकर्ता अभिभाषक कपिल मजावदिया है,जिन्होंने नगर निगम से रतलाम में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट के तहत जमीन खोदकर बिछाई जा रही पाइप लाइन और सीवरेज प्लांट से जुड़ी योजना से संबंधित जानकारी विधिवत आवेदन देकर मांगी थी। श्री मजावदिया ने बताया कि उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत 20 सितंबर 2017 को आवेदन प्रस्तुत कर 40 बिंदुओं की जानकारी मांगी थी। नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी ने 30 दिन की समय सीमा में इस पर कोई कार्यवाही नहीं की, तो प्रथम अपीलीय अधिकारी के रूप में नगर निगम आयुक्त के समक्ष 17 नवंबर 2017 को पहली अपील प्रस्तुत की।
पहली अपील पर आयुक्त द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। इससे असंतुष्ट होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील की। विडंबना है कि उनकी अपील पर आयोग ने दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाए याचिकाकर्ता को सिर्फ परामर्श दिया कि आयोग से आदेश प्राप्ति के 15 दिन के अंदर लोक सूचना अधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होकर अभिलेखों का अवलोकन करें और आवश्यक जानकारी को चिन्हित करें।
आयोग ने लोक सूचना अधिकारी को भी सिर्फ यह आदेश दिए कि वह जानकारी से संबंधित अभिलेखों का 15 दिन में अवलोकन करावे और चिन्हित अभिलेख की निशुल्क प्रमाणित उसी समय उपलब्ध कराएं। सूचना आयोग के इन आदेशों के बाद भी नगर निगम में याचिकाकर्ता को अभिलेखों का अवलोकन नहीं कराया गया और उनके द्वारा मांगे गए दस्तावेजों की प्रति भी उपलब्ध नहीं कराई गई। इससे व्यथित होकर श्री मजावदिया ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में 22 अक्टूबर 2019 को याचिका प्रस्तुत की थी।
इस याचिका में बताया गया है कि याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार कानून के तहत जो जानकारी नगर निगम से मांगी थी, वह गोपनीय नहीं है और उससे विभाग को किसी प्रकार का नुकसान होने वाला नहीं है।
नगर निगम में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध होने के बाद भी लोक सूचना अधिकारी द्वारा जानकारी नहीं देना और प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा उस पर कोई कार्रवाई नहीं करना दुर्भावना दर्शाता है। राज्य सूचना आयोग से भी याचिकाकर्ता को जानकारी नहीं देने वाले अधिकारियों को सिर्फ निर्देश दिए गए और किसी प्रकार से दंडित नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी दंड के पात्र हैं और याचिकाकर्ता चाही गई जानकारी प्राप्त करने का पूर्ण अधिकारी है।
उन्होंने उच्च न्यायालय से याचिका में सूचना का अधिकार कानून का मखौल उड़ाने वाले दोषी अधिकारियों को दंडित करने और याचिकाकर्ता को मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश देने का आग्रह किया है। उच्च न्यायालय ने यह याचिका दर्ज कर नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी और नगर निगम के अपीलीय अधिकारी (निगम आयुक्त) को नोटिस जारी जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। प्रकरण में याचिकाकर्ता की पैरवी एडवोकेट ऋषिराज त्रिवेदी एवं कैलाश कौशल द्वारा की जा रही है।