November 18, 2024

मुख्यमंत्री की मनुहार भी काम ना आई,सैलाना नगर परिषद चुनाव में भाजपा को बगावत का खतरा,तीन प्रत्याशी मैदान में

सैलाना/रतलाम,27 जुलाई (इ खबरटुडे)। सैलाना नगर परिषद के चुनाव में बगावत को रोकने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा की गई मनुहार भी किसी काम ना आई और भाजपा नेता बाबूलाल पाटीदार ने अपनी पत्नी शिवकन्या पाटीदार को निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में मैदान में उतार दिया है। अब सैलाना में अध्यक्ष पद के लिए भाजपा और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के अलावा एक बागी उम्मीदवार होने से मुकाबला रोचक हो गया है। त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा से क्रान्ति जोशी,कांग्रेस से नम्रता राठौड और निर्दलीय प्रत्याशी शिवकन्या पाटीदार अपनी किस्मत आजमा रहे है।
उल्लेखनीय है कि सैलाना नगर पंचायत में भाजपा की अधिकृत सूचि जारी होने के बाद से ही बगावत के स्वर उभरने लगे थे। स्थानीय स्तर पर वरिष्ठ नेताओं की समझाईश के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए बाहर के वरिष्ठ नेता भी सैलाना पंहुचे थे। यहां तक कि स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान ने बगावत पर आमादा बाबूलाल पाटीदार को फोन करके पार्टी का अनुशासन मानने की समझाईश दी थी।
गुरुवार को नामांकन वापसी की अंतिम तिथी थी। नामांकन वापसी का समय समाप्त होने के बाद जो तस्वीर उभर कर सामने आई है,उससे यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के प्रयास का भी कोई असर नहीं हुआ और अब भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी क्रान्ति जोशी को चुनौती देने के लिए जहां कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी नम्रता राठौड मैदान में हैं,वहीं भाजपा के ही जिला पदाधिकारी रहे बाबूलाल पाटीदार की पत्नी शिवकन्या पाटीदार निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में सामने है।
त्रिकोणीय मुकाबला होने से मामला रोचक हो गया है। भाजपा के लिए पहले ही अपनी साख बचाना एक बडी चुनौती थी। लेकिन अब शिवकन्या के रुप में बागी प्रत्याशी के मैदान में आ जाने से मामला और पेचीदा हो गया है। सैलाना नगर में पाटीदार समुदाय के मतदाताओं की बडी संख्या है और वे नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में है। हाल ही में हुए किसान आन्दोलन के बाद कृषक वर्ग में और खासतौर पर पाटीदार समुदाय में सरकार के प्रति नाराजगी भी है। भाजपा ने किसान संदेश यात्राएं निकालकर किसानों की नाराजगी कम करने की कोशिशें भी की है,लेकिन इसका कोई खास असर जमीन पर नजर नहीं आ रहा है।
सैलाना नगर पंचायत और नगर परिषद का इतिहास भी भाजपा के पक्ष में नहीं रहा है। नगर पंचायत के चुनाव प्रारंभ होने से लेकर आज तक अध्यक्ष पद पर भाजपा प्रत्याशी की कभी जीत नहीं हुई है। वर्तमान  परिषद में पहली बार पार्षदों के चुनाव में भाजपा ने बहुमत हासिल किया था,लेकिन अध्यक्ष पद फिर भी कांग्रेस के ही खाते में गया था। इस बार भाजपा ने अध्यक्ष पद पर कब्जा करने की उम्मीदें लगा रखी है,लेकिन बागी प्रत्याशी के मैदान में आ जाने से स्थितियां जटिल होने लगी है।
नगर के पन्द्रह वार्डों में भी अधिकांश स्थानों पर बहुकोणीय मुकाबलों की स्थिति बनी है। पन्द्रह वार्डों के लिए कुल चालीस प्रत्याशी मैदान में है। भाजपा में बगावत सिर्फ अध्यक्ष पद पर ही नहीं है,बल्कि कई वार्डों में भी भाजपा के बागी प्रत्याशी मैदान में है। आने वाले तेरह दिनों में सैलाना में राजनीति के रोचक दाव पेंच देखने को मिलेंगे और उसके बाद ही यह तय होगा कि जीत किसकी होगी?

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