मलेरिया रथ से होगा प्रचार-प्रसार, मलेरिया से बचाव के लिये
रतलाम 01 जून (इ खबरटुडे)।मलेरिया निरोधक माह जून 2016 के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वंदना खरें ने मलेरिया रथ प्रचार-प्रसार के लिए हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया मोके पर डॉ. वंदना खरें ने बताया की प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी मलेरिया,डेंगू, चिकुनगुनिया आदि वेक्टर जनित रोगो के नियंत्रण एवं बीमारी के संबंध में जन-जागरूकता के उद्देश्य से रथ चलेगा।
इस वर्ष वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है, कार्ययोजना के अनुसार जिले में बाजना, सैलाना के 267 अतिसंवेदनशील ग्रामों का चयन भारत शासन के निर्धारित मापदण्ड जिसमें 5 एपीआई (एक हजार की जन संख्या वाले क्षेत्र में माह में एक से दो पोजिटिव केश फेलसिपेरम मलेरिया के मिलना सामान्य माना जाता हैं दो से अधिक केश फेलसिपेरम मलेरिया के मिलने पर हाई रिसक की श्रेणी मानी जाती है) से ऊपर वाले ग्राम सम्मिलित हैं, इन अतिसंवेदनशील ग्रामों में मलेरिया रथ द्वारा प्रचार-प्रसार जॉच एंव उपचार सुविधा उपलब्ध करायी गई हैं, साथ-साथ संबंधित क्षेत्र में लार्वा सर्वे एवं फीवर सर्वे कार्य भी किया जावेगा।
कार्ययोजना के अनुसार 16 जून 2016 से इन अतिसंवेदनशील ग्रामों में अल्फासापर मेथ्रीन एस.पी 5 प्रतिशत दवा द्वारा घरों के अंदर छिड़काव कार्य भी किया जावेगा। यह छिड़काव कार्य दो चक्रों में पूर्ण किया जावेगा। रतलाम शहर में एंटीलार्वा गतिविधि के अंतर्गत लार्वा सर्वे किया जाकर लार्वा पाये गए जलस्त्रोंतो (नाले,गढढें,कंटेनर) में लार्वासाईड टेमोफॉस दवा डालकर उन्हें नष्ट किया जावेगा। शहरी क्षेत्रों में भी मलेरिया रथ प्रोंग्राम के अनुसार चलाया जायेगा जिसमें वार्ड वाईस प्रचार-प्रसार एवं शहरी एंटीलार्वा टीम द्वारा सर्वे कार्य किया जायेगा।
पील की जाती हैं कि मलेरिया/डेंगु/चिकुनगुनिया बिमारी से बचने हेतु कोई भी बुखार आने पर तुरन्त पास के स्वास्थ्य केन्द्र में रक्त पट्टी बनवाकर जांच करवाए साथ ही मच्छरों से बचने हेतु निम्न उपाय अपनाए।
उपाय :-
- अपने घरों के आस-पास नालियों एवं गढ्ढों में पानी एकत्रित न होने देवें। रूके हुए पानी में सप्ताह में एक बार मिट्टी का तैल अथवा अपने दुपहियें वाहनों का जला हुआ तैल अवश्य डालें। ऐसा करनें से मच्छरों की उत्पत्ति रूकती हैं
- पानी की टंकी ,नांद ,कुलर ,ड्रम का पानी व अन्य एकत्रित पानी सप्ताह में एक बार अवश्य खाली करें एवं पानी ढंक कर रखें ।
- सप्ताह में एक बार अपने कुलर का पानी खाली कर ,पुनः सुखाकर पानी भरें
- हेंड पम्प के आस पास पानी इक्कठा न होने देवें , नाली बनाकर बहा देवें ।
- सेप्टीक टेंक खुला नही रखें एवं टेंक के गैस पाईप के उपर मच्छरजाली लगावें
- शाम को घरों में नीम की पत्तियों का धुंआ करें ,एवं नीम का तैल लगावें ।
- रात में सोते समय मच्छरदानियों का उपयोग करें ,क्योकि मलेरिया फैलाने वाले मच्छर रात में ही काटते हैं
- पुरी बांह (लम्बी आस्तीन) के कपडें पहनें ।
- नारियल/सरसों के तैल में नीम का तैल मिलाकर शरीर के खुले हिस्से पर लेप करें ।
- बुखार आने पर स्वयं कोई दवाईयों का सेवन न करें , शीघ्र ही नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर खुन की जांच कराकर उपचार लेवें ।
- खुन की जांच कराने की सुविधा समस्त शासकीय चिकित्सालयो, डिस्पेंसरी, आयुर्वेद औषधालय , स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं आशा कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध हैं ।