मध्यप्रदेश विधानसभा ने पारित किया मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी (बालिका प्रोत्साहन) विधेयक 2018
एक जनवरी 2006 के बाद जन्मी बालिकाओं को मिलेगा लाभ : मंत्री श्रीमती चिटनिस
रतलाम ,28 जून (इ खबरटुडे)।मध्यप्रदेश विधानसभा ने मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी (बालिका प्रोत्साहन) विधेयक 2018 पारितकर दिया है। महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने विधेयक का प्रस्ताव रखा। श्रीमती चिटनीस ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 12 अक्टूबर 2017 को घोषणा की थी कि ‘लाड़लियों को वर्तमान ने निर्धारित लाभ एवं शिक्षा की व्यवस्था का प्रावधान है,उनकी रक्षा कानून बनाकर भी की जायेगी’। श्री चौहान की भावना के अनुरूप विभाग ने विधेयक का प्रारूप प्रस्तुत किया था। श्रीमती चिटनीस ने कहा की 2007 से आरंभ हुई लाड़ली लक्ष्मी योजना के सकारात्मक प्रभावों को अक्षुण्ण रखने के लिये मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी (बालिका प्रोत्साहन) विधेयक 2018 लाया गया है।
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनीस ने कहा कि योजना से लिंगानुपात में सकारात्मक परिवर्तन आया है। वर्ष 2001 की जनगणना में शिशु लिंगानुपात 1000 बालक पर 919 बालिका था, जो वर्ष 2011 में बढ़कर 931 हो गया है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे (3) 2005-06 में बाल विवाह की दर में 57.3 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2015-16 के सर्वे में घटकर 32.4 प्रतिशत हो गई। लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रभाव पर सुशासन एवं नीति विश्लेषण पूर्व द्वारा कराये गये अध्ययन में यह तथ्य सामने आया कि योजना से लाभांवित माता-पिता के एक लड़की और एक लड़के पर तीन गुना तथा दो लड़कियों पर छ: गुना परिवार नियोजन की संख्या में वृद्धि हुई है। योजना में दो बच्चों की शर्त होने के कारण परिवार नियोजन की संख्या में वृद्धि हुई। परिणाम स्वरूप योजना संचालन के पूर्व प्रदेश में 2001 में 24.34 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि दर दर्ज की गई जो वर्ष 2011 की जनगणना में घटकर 20.35 प्रतिशत हो गई।
योजना के क्रियान्वयन से बालिकाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर में भी सुधार हुआ। सेम्पिल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2007 के अनुसार प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 74 प्रति हजार थी जो 2017 के सर्वे में घटकर 47 प्रति हजार हो गई। बालिकाओं का स्कूल ड्राप आउट रेट 2004-5 में 21.80 प्रतिशत था जो वर्ष 2016-17 में घटकर 4.71 प्रतिशत रह गया।
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनीस ने बताया की 01 जनवरी 2006 अथवा उसके बाद जन्मी बालिकाएँ प्रोत्साहन के लिये पात्र होंगी। जन्म के एक साल के अन्दर पंजीयन के लिये आवेदन प्रस्तुत करना और बालिका को आंगनवाड़ी में दर्ज कराना आवश्यक होगा। माता-पिता का प्रदेश का मूल निवासी होना, आयकर दाता ना होना आवश्यक है। लाभ दो संतानों पर ही मिलेगा। अनाथालय/संरक्षण गृह में निवासरत बालिकायें तथा वैधानिक रूप से दत्तक बालिकाऐं भी योजना के लिये पात्र होंगी। जेल में बंद महिला कैदियों की जन्मी बालिकाओं को भी योजना के अन्तर्गत लाभांवित किया जायेगा।
हितग्राही बालिका को कक्षा 6 में प्रवेश पर 2000 कक्षा 9 में प्रवेश पर 4000 कक्षा 11 में प्रवेश पर 6000 और कक्षा 12 में प्रवेश पर 6000 रूपये ई-पेमेन्ट के माध्यम से प्रदान किये जाते हैं। आयु 21 वर्ष होने पर 1 लाख की राशि का भुगतान इस शर्त पर किया जायेगा कि बालिका का विवाह 18 वर्ष की आयु के पूर्व न हो और वह 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित हो चुकी हो। योजना के आरंभ से आज तक 28 लाख 82 हजार बालिकाओं को लाभांवित किया जा चुका है। योजना पर 6 हजार 366 करोड़ का व्यय किया गया।